Fund raising : वित्त वर्ष 2021-22 में लिस्टेड कंपनियों ने कॉर्पोरेट बॉन्ड्स के प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिये 5.88 लाख करोड़ रुपये जुटाए, जो छह साल का निचला स्तर है। इसकी वजह इक्विटी मार्केट का अच्छा प्रदर्शन और बैंकों से कम ब्याज पर आसानी से लोन मिलना रही हैं।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के डाटा से पता चलता है कि यह 2020-21 में जुटाए गए रिकॉर्ड 7.72 लाख करोड़ रुपये से 24 फीसदी कम है।
इस साल बढ़ेगी क्रेडिट डिमांड
एक्सपर्ट्स ने कहा कि अगर इंटरेस्ट रेट साइकिल प्रतिकूल नहीं होता है तो मौजूदा वित्त वर्ष में कर्ज के जरिये फंड जुटाने से जुड़ी गतिविधियां बढ़ने का अनुमान है। आर्थिक परिदृश्य में सुधार को देखते हुए कॉर्पोरेट्स से क्रेडिट की डिमांड में भी इजाफा होगा।
फर्स्ट वाटर कैपिटल फंड (एआईएफ) के लीड स्पॉन्सर रिकी कृपलानी ने कहा, “वित्त वर्ष 23 के दौरान बॉन्ड्स के जरिये कर्ज जुटाने से जुड़ी गतिविधियां कुछ बढ़नी चाहिए, क्योंकि कॉर्पोरेट इंडिया अब अगले चरण के पूंजी खर्च पर जोर दे रहा है। ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावनाओं को देखते हुए, जोखिम लेने वाले इनवेस्टर्स इन बॉन्ड्स में अच्छी दिलचस्पी दिखा सकते हैं।”
ऊंची सरकारी उधारी से लग सकता है झटका
क्रेडअवेन्यू के चीफ बिजनेस ऑफिसर विभोर मित्तल ने कहा कि आर्थिक परिदृश्य में सुधार के क्रम में क्रेडिट की ऊंची मांग के चलते प्राइवेट डेट मार्केट में मजबूती आने की उम्मीद है।
हालांकि, ऊंची सरकारी उधारी और प्रतिकूल इंटरेस्ट रेट साइकिल से इसे झटका लग सकता है। वित्त वर्ष 22 में कॉर्पोरेट बॉन्ड्स के प्राइवेट प्लेसमेंट से 5.88 करोड़ रुपये जुटाए गए थे। यह 2015-16 के बाद निचला स्तर है, जब लिस्टेड कंपनियों ने 4.58 लाख करोड़ रुपये जुटाए थे।
वित्त वर्ष 22 में आए 22 इश्यू
वित्त वर्ष 22 में कुल 1,405 इश्यू आए, जबकि 2020-21 में यह संख्या 1,995 रही थी। डेट मार्केट पर ज्यादातर फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियों का कब्जा है, जो आगे उधार देने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल करती हैं।
गैर फाइनेंशियल कंपनियां अपने कॉर्पोरेट उद्देश्यों, पूंजी खर्च और इनऑर्गैनिक ग्रोथ के अवसरों के लिए अपने मौजूदा कर्ज को चुकाने के लिए फंड जुटाती हैं।