FSSAI Milk Adulteration Drive India : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने दूध, पनीर और खोए में मिलावट पर लगाम लगाने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इसी बीच भारतीय क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल को एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कारण 16 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
आज के इस विस्तृत रिपोर्ट में हम तीन अहम स्वास्थ्य विषयों पर बात करेंगे। पहला – हरी पत्तेदार सब्जियों को सही तरीके से खाने का तरीका। दूसरा – यशस्वी जायसवाल को हुई बीमारी क्या है। और तीसरा – FSSAI का बड़ा अभियान और घर पर मिलावट पकड़ने के आसान तरीके।
हरी पत्तेदार सब्जियां खाने का सही तरीका
पालक, मेथी, बथुआ, मूली के पत्ते जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां सेहत के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर इन्हें सही तरीके से नहीं धोया, पकाया या खाया जाए तो इनका पूरा फायदा आपको नहीं मिल पाता?
एवरब्लूम की फाउंडर और क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट सोनिया मेहता बताती हैं कि गलत तरीके से धोने या पकाने से इन सब्जियों के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। विटामिन और मिनरल्स का नुकसान हो जाता है।
सही तरीके से कैसे धोएं
सबसे पहले पूरी पत्तेदार सब्जी को बहते पानी में रखें। थोड़ी देर के लिए रहने दें। उसके बाद काटकर इस्तेमाल करें।
एक बड़ी गलती यह होती है कि लोग पहले सब्जी काटते हैं और फिर धोते हैं। ऐसा करने से विटामिन और मिनरल्स पानी में बह जाते हैं। इसलिए हमेशा पहले धोएं फिर काटें।
स्टोर करने का सही तरीका
अगर आप हरी पत्तेदार सब्जियों को एक दिन के लिए स्टोर करना चाहते हैं तो उन्हें बिना धोए फ्रिज में रखें। खाने से पहले बहते पानी में धोएं और फिर काटकर इस्तेमाल करें।
धोकर फ्रिज में रखने से बैक्टीरिया पनपने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यह गलती न करें।
पकाने का सही तरीका
हरी पत्तेदार सब्जियों को कभी भी ज्यादा न पकाएं। इन्हें हल्का भूनें या स्टीम करें। अगर कोई ऐसी रेसिपी है जिसमें प्रेशर कुकर का इस्तेमाल हो तो तड़के में कच्ची हरी सब्जियां डाल दें।
ज्यादा पकाने से न्यूट्रिएंट्स खत्म हो जाते हैं। इसलिए ओवरकुकिंग से बचें।
आयरन का पूरा फायदा कैसे लें
हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन से भरपूर होती हैं। लेकिन प्लांट बेस्ड आयरन को शरीर तभी सही से सोख पाता है जब इसे विटामिन सी के साथ खाया जाए।
इसके लिए पालक, मेथी या बथुआ के साथ टमाटर का तड़का लगाएं। या फिर साथ में टमाटर, शिमला मिर्च और नींबू का सलाद खाएं। इन सभी में भरपूर विटामिन सी होता है।
किडनी स्टोन वालों के लिए खास सलाह
जिन लोगों को किडनी स्टोन है उन्हें हरी पत्तेदार सब्जियां संभलकर खानी चाहिए। इन सब्जियों में ऑक्सिलेट नाम का एक कंपाउंड होता है जो किडनी स्टोन बनने का खतरा बढ़ाता है।
ऐसे लोगों को इन पत्तों को पहले उबालना चाहिए और उबला हुआ पानी फेंक देना चाहिए। इससे 40 से 50 प्रतिशत ऑक्सिलेट निकल जाता है।
एक और तरीका है कि इन सब्जियों को कैल्शियम वाली चीजों के साथ खाएं जैसे दही। कैल्शियम और ऑक्सिलेट मिलकर ऑक्सिलेट अब्सॉर्प्शन कम कर देते हैं।
कच्ची खाएं या पकाकर
सोनिया मेहता के मुताबिक दोनों तरीके फायदेमंद हैं। कच्ची खाने से विटामिन सी, फोलेट और फाइबर मिलता है। पकाकर खाने से एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम मिलता है।
इसलिए कुछ बार कच्चा खाएं और कुछ बार स्टीम करके या पकाकर। इससे सभी पोषक तत्व मिल जाएंगे।
यशस्वी जायसवाल को हुआ एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस
भारतीय क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल को 16 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यशस्वी पुणे में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में मुंबई की तरफ से राजस्थान के खिलाफ खेल रहे थे।
पूरे मैच के दौरान उनके पेट में ऐंठन बनी रही। मैच के बाद तबीयत और ज्यादा बिगड़ गई। अस्पताल ले जाने पर जांच में पता चला कि उन्हें एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस हो गया है।
क्या है एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस
मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉक्टर लोहित चौहान बताते हैं कि एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस का मतलब है पेट और आंतों में अचानक सूजन आ जाना।
इसके लक्षणों में दस्त, मतली, उल्टियां, पेट में तेज दर्द और ऐंठन शामिल हैं। हल्का या तेज बुखार भी आ सकता है। कमजोरी और बदन दर्द होता है। शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
क्यों होता है यह रोग
इस बीमारी का सबसे आम कारण वायरस होता है। नोरो वायरस या रोटावायरस इसकी प्रमुख वजह हैं। यह बैक्टीरिया जैसे ई-कोलाई, साल्मोनेला, कैंपिलोबैक्टर या परजीवी की वजह से भी हो सकता है।
वायरस और बैक्टीरिया आमतौर पर दूषित खानपान के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
किसे है ज्यादा खतरा
छोटे बच्चों और बुजुर्गों को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है। जो लोग ज्यादातर बाहर का खाना खाते हैं या शराब पीते हैं उन्हें भी हाई रिस्क है।
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग, दूषित पानी पीने वाले और साफ-सफाई का ध्यान न रखने वालों को भी खतरा रहता है।
इलाज और बचाव
डॉक्टर लक्षणों को देखकर इस बीमारी का पता लगाते हैं। ब्लड टेस्ट और स्टूल टेस्ट से पुष्टि की जाती है।
ज्यादातर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाता है। मरीज को खूब पानी और ओआरएस पीना चाहिए। हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाना चाहिए। आराम करना जरूरी है।
आमतौर पर एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अगर लगातार उल्टी या दस्त हो, दस्त में खून आए, तेज बुखार हो या बहुत थकान हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
नवजात शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह ज्यादा खतरनाक होता है। लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
बचाव के लिए साफ पानी पिएं। बाहर का खाना कम खाएं। हमेशा ताजा और ढका हुआ खाना खाएं। खाने से पहले हाथ जरूर धोएं।
FSSAI का बड़ा अभियान
दूध, पनीर और खोए में मिलावट की लगातार शिकायतें आ रही थीं। इसी को देखते हुए FSSAI ने देशव्यापी ड्राइव शुरू की है।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 की धारा 16 की उपधारा 5 के तहत सभी राज्यों को नए निर्देश जारी किए गए हैं। फूड सेफ्टी अधिकारियों को कड़ी जांच करने को कहा गया है।
क्या होगी कार्रवाई
इस अभियान में सभी राज्यों के फूड सेफ्टी विभाग और FSSAI के क्षेत्रीय कार्यालयों को डेयरी सप्लाई चेन की हर स्टेज की जांच करनी है।
प्रोडक्ट कहां बन रहा है, कैसे स्टोर हो रहा है, सप्लाई कैसे की जा रही है, कौन कैसे बेच रहा है – सबकी जांच होगी। गड़बड़ी मिलने पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा।
अधिकारी यह भी देखेंगे कि सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स के पास रजिस्टर्ड लाइसेंस हो। मिलावट पाए जाने पर लाइसेंस रद्द भी किया जा सकता है।
घर पर दूध में मिलावट कैसे पकड़ें
डाइट्स एंड मोर की फाउंडर डाइटिशियन श्रेया कतियाल बताती हैं कि घर पर ही मिलावट का पता लगाया जा सकता है।
दूध की एक बूंद किसी चिकनी तिरछी सतह पर डालें। शुद्ध दूध सतह पर चिपका रहेगा या धीरे-धीरे बहेगा और पीछे सफेद लाइन छोड़ेगा। मिलावटी दूध तुरंत बह जाएगा और कोई लाइन नहीं बनेगी।
डिटर्जेंट की मिलावट कैसे पकड़ें
5 से 10 मिलीलीटर दूध में थोड़ा पानी मिलाकर अच्छी तरह हिलाएं। अगर झाग बनने लगे तो डिटर्जेंट की मिलावट है।
स्टार्च की मिलावट कैसे पकड़ें
थोड़े से दूध में आयोडीन टिंचर की 2-3 बूंदें डालें। यह किसी भी मेडिकल स्टोर पर मिल जाता है। अगर दूध का रंग नीला हो जाए तो स्टार्च की मिलावट है।
पनीर में मिलावट कैसे पकड़ें
पनीर के छोटे टुकड़े को हाथ से मसलकर सूंघें। शुद्ध पनीर में हल्की दूधिया महक होती है। साबुन या डिटर्जेंट जैसी गंध आए तो मिलावटी है।
शुद्ध कच्चा पनीर खाने में हल्का मीठा और मलाईदार लगता है। मिलावटी पनीर बहुत चिकना होता है, रबड़ की तरह खींचता है और स्वाद अजीब होता है।
पनीर पर आयोडीन टिंचर की बूंदें डालने पर रंग नीला हो जाए तो स्टार्च मिला है।
एक और तरीका है – गर्म पानी में पनीर का टुकड़ा डालकर 5-10 मिनट छोड़ दें। रबड़ जैसा खींचे या घुलने लगे तो मिलावटी है। शुद्ध पनीर नरम जरूर होगा लेकिन बनावट नहीं बदलेगी।
खोए में मिलावट कैसे पकड़ें
असली खोए से दूध जैसी मीठी खुशबू आती है और स्वाद हल्का मीठा होता है। मिलावटी खोए से केमिकल या डिटर्जेंट जैसी गंध आती है। खाने में कसैला या साबुन जैसा लगता है।
असली खोया दबाने पर नरम, दानेदार और हल्का चिकना होता है। मिलावटी खोया या तो बहुत कठोर और सूखा होगा या फिर ज्यादा चिकना और गीला।
गर्म पानी में खोया डालें। घुल जाए तो सिंथेटिक दूध या पाउडर मिला है। पूरी तरह न घुले और गुठलियां छोड़े तो असली है।
आयोडीन टिंचर टेस्ट यहां भी काम करता है। नीला रंग हो जाए तो स्टार्च की मिलावट है।
विश्लेषण: क्यों जरूरी है यह अभियान
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। लेकिन दूध और दूध उत्पादों में मिलावट एक गंभीर समस्या बनी हुई है। सिंथेटिक दूध, डिटर्जेंट, यूरिया जैसे खतरनाक केमिकल्स की मिलावट से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह खासतौर पर खतरनाक है। किडनी और लिवर पर बुरा असर पड़ता है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसलिए FSSAI का यह कदम बहुत जरूरी था।
आम आदमी के लिए सबसे बड़ी राहत यह है कि अब मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई होगी। साथ ही घर पर मिलावट पकड़ने के आसान तरीके जानकर लोग खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
- FSSAI ने दूध, पनीर और खोए में मिलावट रोकने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया, मिलावटखोरों का लाइसेंस होगा रद्द
- क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल को 16 दिसंबर को एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया
- हरी पत्तेदार सब्जियों को पहले धोएं फिर काटें, ज्यादा न पकाएं और विटामिन सी वाले खाद्य पदार्थों के साथ खाएं
- दूध, पनीर और खोए में मिलावट पकड़ने के लिए आयोडीन टिंचर टेस्ट सबसे आसान और कारगर तरीका है






