स्पोर्ट्स: भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) ने टी20 वर्ल्ड कप 2021 (T20 World Cup 2021) अपने प्रदर्शन से फैंस को काफ़ी निराश किया है। टीम इस वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच सकी। सोमवार को टीम इंडिया अपने अंतिम मुक़ाबले में नामीबिया क्रिकेट टीम (Namibia Cricket Team) को 9 विकेट से हराया। हालांकि इस मुक़ाबले का कोई महत्व नहीं रह गया था क्योंकि टीम वर्ल्ड कप से बाहर हो चुकी थी। इस वर्ल्ड कप में टीम को बड़ी टीमों के ख़िलाफ़ शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। कमज़ोर टीमों पर ज़ोर अज़माइश कर टीम इंडिया ने अपनी लाज बचाने का प्रयास किया। पाक के ख़िलाफ़ पहले मैच में टीम को 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। दूसरे मैच में न्यूज़ीलैंड ने 8 विकेट से पीट दिया। इसके बाद कमज़ोर टीमों अफ़ग़ानिस्तान, स्कॉटलैंड और नामीबिया को टीम ने बड़े अंतर से हराया।
टी20 वर्ल्ड कप से क्यों बाहर हुई टीम इंडिया?
टीम के इस प्रदर्शन पर चर्चा करना बेहद ज़रूरी है साथ वर्ल्ड कप में टीम के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाने की वजहों को जानना भी आवश्यक है। बड़ा सवाल यही है कि सुपर स्टार खिलाड़ियों से सजी टीम का प्रदर्शन इतना साधारण कैसे रह गया कि वह सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाई। आइये इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
सीनियर बल्लेबाज़ों ने नहीं ली ज़िम्मेदारी:
टी20 वर्ल्ड कप 2021 के पहले दो मुक़ाबलों में पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इन दोनों बड़े मैचों में बल्लेबाज़ों को दमदार प्रदर्शन करना चाहिए था लेकिन टीम दबाव में आ गई और साधारण स्कोर ही बना सकी। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कप्तान विराट कोहली (57 रन, 49 गेंद) और रिषभ पंत (39 रन, 30 गेंद) का बल्ला चला। अन्य सभी बल्लेबाज़ तो मानो मैदान पर केवल शक्ल दिखाने के लिए ही जा रहे थे। विराट की बल्लेबाज़ी भी काफ़ी धीमी (116.33 की स्ट्राइक रेट) रही जिससे कोई ख़ास फ़ायदा नहीं हुआ। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ (110/7 स्कोर) मैच में तो कोई भी बल्लेबाज़ अपना असर नहीं छोड़ सका। माना जा सकता है कि वर्ल्ड कप के सेफीफाइल में नहीं पहुंच पाने का सबसे बड़ा कारण भारत की ख़राब बल्लेबाज़ी ही रही। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavskar) ने भी वर्ल्ड कप में ख़राब प्रदर्शन के लिए बल्लेबाज़ों को ही ज़िम्मेदार ठहराया है। न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तो टीम ने अपना टी20 का दूसरा सबसे कम स्कोर बनाया।
टी20 में भारत के 5 न्यूनतम स्कोर:
रन – ख़िलाफ़ – साल
79 – न्यूज़ीलैंड – 2016
110/7 – न्यूज़ीलैंड – 2021
118/8 – साउथ अफ़्रीका – 2009
130/4 – श्रीलंका – 2014
135 – ऑस्ट्रेलिया – 2010
विरोधियों के मन में ख़ौफ़ पैदा नहीं कर पाए हमारे तेज़ गेंदबाज़:
प्रत्येक टीम के बाद ऐसे तेज़ गेंदबाज़ होते हैं जो विरोधी टीम को शुरुआत में ही झटके देकर दबाव बना सके। भारत के पास भी जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और मोहम्मद शमी जैसेे विश्व स्तरीय तेज़ गेंदबाज़ तो थे लेकिन वे अहम मौक़े पर चैंपियन वाला प्रदर्शन नहीं कर सके। पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पहले मैच तो हम एक भी विकेट नहीं ले पाए। पूरे मैच में भारतीय गेंदबाज़ विकेट के लिए तरसते रहे। दूसरे मैच में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ हम केवल दो विकेट ले पाए। ये दोनों विकेट बुमराह के खाते में गए। हालांकि इसके बाद कमज़ोर टीमों के ख़िलाफ़ अगले तीन मैचों में गेंदबाज़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन वह किसी काम का न रहा। क्योंकि शुरुआती दोनों मैच हारने के बाद ही टीम इंडिया के वर्ल्ड कप से बाहर होने की आशंका पैदा हो गई थी।
5 दिग्गजों के मार्गदर्शन से कंफ्यूज हुए खिलाड़ी:
टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भारतीय टीम के ख़राब प्रदर्शन को लेकर समीक्षा करने पर एक अहम कारण और निकलकर सामने आता है। वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय टीम में इतने पावर सेंटर (कोच, मेंटर, बल्लेबाज़ी कोच, गेंदबाज़ी कोच, फील्डिंग कोच) बन गए थे कि खिलाड़ी कंफ्यूज हो गए थे कि किसकी सुनें और किसकी नहीं। किस रणनीति पर काम करें और किस पर नहीं। टीम इंडिया के रणनीतिकारों की बात करें तो कप्तान विराट कोहली और चीफ़ कोच रवि शास्त्री के अलावा बल्लेबाज़ी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाज़ी कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर. श्रीधर शामिल रहे। ऊपर से वर्ल्ड कप के लिए महेंद्र सिंह धोनी को मेंटर बनाकर टीम के साथ जोड़ दिया गया। ये सभी लोग अपने-अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं और इनके पास खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग योजना होती थी। ऐसे में खिलाड़ियों के लिए यह समझना ही मुश्किल हो जाता था कि वह किसी रणनीति के तहत मैदान में उतरें।
ख़राब प्रदर्शन के लिए बीसीसीआई भी ज़िम्मेदार:
भारतीय खिलाड़ी लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं, व्यस्त कार्यक्रम के चलते उन पर थकान हावी हो रही थी। वर्ल्ड कप से ठीक पहले ज़्यादातर खिलाड़ी आईपीएल (IPL) में खेल रहे थे। वर्ल्ड कप में टीम के बाहर होने के लिए बीसीसीआई (BCCI) भी उतना ही ज़िम्मेदार है जितने खिलाड़ी। बीसीसीआई ने क्रिकेट का पूरा शेड्यूल ही बिगाड़ दिया। उसका पूरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसा कमाने में लगा रहा। टी20 वर्ल्ड कप से महज़ दो दिन पहले आईपीएल ख़त्म हुआ। वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच के लिए टीम को तैयारी करने के लिए उचित समय ही नहीं मिला। टीम इंडिया के लिहाज़ से देखें तो वर्ल्ड कप में भी टीम की शेड्यूलिंग ख़राब ही थी। पहले (24 अक्टूबर) और दूसरे मैच (31 अक्टूबर) के बीच 6 दिनों का अंतर था। इसके बाद अगले तीन मैच (3 नवंबर, 4 नवंबर और 8 नवंबर) एक के बाद एक खेले गए। कहा जा सकता है कि ख़राब शेड्यूलिंग के कारण भी टीम के प्रदर्शन पर असर पड़ा। इसके अलावा टीम इंडिया ने अपनी अंतिम टी20 सीरीज़ मार्च 2021 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेली थी। वर्ल्ड कप से कुछ समय पहले हमें बड़ी टीमों के ख़िलाफ़ कुछ टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने चाहिए थे। बोर्ड को यह समझना चाहिए था कि आईपीएल का दबाव अलग होता है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अलग।
वर्ल्ड कप जैस बड़े मंच पर भी प्रयोग करने से पीछे नहीं हटे विराट:
टी20 वर्ल्ड कप में टीम के सेमीफाइनल से बाहर होने के पीछे एक बड़ा कारण विराट कोहली के प्रयोग भी हैं। वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच पर भी विराट प्रयोग करने से पीछे नहीं हटे। बड़े टूर्नामेंट्स में टीम पहले से तय रणनीति के तहत मैदान में उतरती है। प्रत्येक खिलाड़ी की भूमिका पहले से तय होती है। लेकिन इसके बावज़ूद विराट ने वर्ल्ड कप जैसे बड़े मंच पर प्रयोग करने का जोख़िम लिया। रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ी के क्रम से छेड़छाड़ की गई और उन्हें न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ तीसरे नंबर पर भेजा गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि वे उस मैच में फ़्लॉप (14 रन, 14 गेंद) साबित हुए। हार्दिक पांड्या को अनफिट होने के बावज़ूद खिलाने का जोख़िम उठाया, इसका नतीजा ये रहा कि वे पाक के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी नहीं कर पाए। भुवनेश्वर लंबे समय से आउट ऑफ़ फॉर्म चल रहे थे इसके बावज़ूद उन्हें मौक़े दिए गए। आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। वहीं अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ी पर भरोसा न जताकर वरुण चक्रवर्ती जैसे युवा खिलाड़ी को मौक़ा दिया गया, ये भी बड़ी भूल साबित हुई। बाद के मैचों में अश्विन को खिलाना टीम के लिए फ़ायदे का सौदा साबित हुआ लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।
टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भारत का सफरनामा:
पहला मैच- पाकिस्तान ने 10 विकेट से हराया।
दूसरा मैच- न्यूज़ीलैंड ने 8 विकेट से हराया।
तीसरा मैच- अफ़ग़ानिस्तान को 66 रनों से हराया।
चौथा मैच- स्कॉटलैंड को 8 विकेट से हराया।
पांचवा मैच- नामीबिया को 9 विकेट से हराया।