नई दिल्ली, 29 जनवरी (The News Air):- हाल ही में फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो (Jean-Noel Barrot) ने एक रेडियो इंटरव्यू के दौरान अमेरिका और डेनमार्क के बीच तनावपूर्ण ग्रीनलैंड मुद्दे पर चर्चा की। ट्रंप प्रशासन की ग्रीनलैंड को हथियाने की धमकियों के बीच फ्रांस ने स्पष्ट किया कि अगर डेनमार्क (Denmark) को जरूरत पड़ी, तो वह ग्रीनलैंड की रक्षा के लिए अपनी सेना भेजने के लिए तैयार है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन (Mette Frederiksen) यूरोपीय देशों का दौरा कर रही हैं और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की ग्रीनलैंड को कब्जाने की धमकियों का सामना कर रही हैं।
फ्रांस का स्पष्ट संदेश: “हम डेनमार्क के साथ खड़े हैं”
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने कहा, “हमने डेनमार्क के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है, लेकिन डेनमार्क ने इसे आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई। फिर भी, अगर डेनमार्क को जरूरत पड़ी तो हम अपनी सेना भेजने को तैयार हैं।” बारो ने जोर देकर कहा कि यूरोपीय संघ के देशों को अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए और कोई भी यूरोपीय सीमाओं के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता।
इस समय डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन यूरोपीय नेताओं से समर्थन जुटाने के लिए बर्लिन (Berlin), पेरिस (Paris), और ब्रसेल्स (Brussels) का दौरा कर रही हैं। उन्होंने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज (Olaf Scholz) और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) से मुलाकात की है।
ग्रीनलैंड पर कब्जा करना कोई हल नहीं
हालांकि, बारो ने स्पष्ट किया कि वह नहीं मानते कि अमेरिका ग्रीनलैंड पर आक्रमण करेगा। उनका कहना था, “ऐसा नहीं होगा। यूरोपीय संघ के देशों पर हमला करने की कोई संभावना नहीं है।”
ट्रंप की व्यापार युद्ध की धमकी पर फ्रांस की चेतावनी
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी दी है कि अगर वह यूरोपीय संघ (European Union) पर व्यापार शुल्क (tariffs) लगाते हैं, तो इसका खामियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ेगा। बारो ने कहा, “यूरोपीय संघ के साथ व्यापार युद्ध में अमेरिका को ही सबसे ज्यादा नुकसान होगा। यूरोप में स्थित हजारों अमेरिकी कंपनियां इस फैसले से सबसे पहले प्रभावित होंगी।”
बारो का कहना था कि अगर ट्रंप ने व्यापार शुल्क लगाए, तो यह यूरोपीय देशों में स्थित अमेरिकी कंपनियों के लिए न केवल आर्थिक नुकसान, बल्कि अमेरिकी प्रतिष्ठा के लिए भी नुकसान होगा। यह मामला यूरोपीय सुरक्षा और संप्रभुता के साथ-साथ वैश्विक व्यापार नीति पर भी असर डाल सकता है।
डेनमार्क और फ्रांस की रणनीतियाँ यह संकेत देती हैं कि ग्रीनलैंड पर किसी भी प्रकार का आक्रमण यूरोपीय देशों के बीच एक समन्वित प्रतिक्रिया को जन्म दे सकता है। वहीं, अमेरिकी व्यापार युद्ध की स्थिति में यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका की प्रतिष्ठा और कंपनियों के लिए चुनौतियाँ खड़ी हो सकती हैं।