वैज्ञानिकों ने जिन रेडियाे तरंगों का पता लगाया है, वो कुछ मिलीसेकंड से कुछ सेकंड तक आती हैं। लेकिन ये तरंगें पल्सर से ही आती हैं, रिसर्चर्स इस बात पर कन्फर्म नहीं हैं। खोजे गए ऑब्जेक्ट को वैज्ञानिकों ने GPMJ1839-10 नाम दिया है। अगर यह वाकई एक पल्सर है, तो इसके काम करने का तरीका ऐसा है, जिसे वैज्ञानिक असंभव मानते आए हैं।
यह सफेद बौना तारा या मैग्नेटर भी हो सकता है। हालांकि रिसर्चर्स का मानना है कि इस तरह के तारे ऐसा विस्फोट नहीं भेजते। रिसर्चर्स ने पाया पृथ्वी पर इस तरह की तरंगें साल 1988 से आ रही हैं। डेटा जुटाने वालों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। इस शोध के बारे में मैकगिल यूनिवर्सिटी की फिजिक्स प्रोफेसर, एम कास्पी का कहना है कि समय ही बताएगा इन आंकड़ों में क्या छुपा है। भविष्य में इस तरह की और भी खोजें हो सकती हैं।
क्या ये तरंगें दूसरी दुनिया से आ रही हैं? ऐसे सवाल भी आने वाले दिनों में उठाए जा सकते हैं। एलियंस पर भरोसा करने वाले वैज्ञानिक मुमकिन है कि इस पर कुछ कहेंगे।