Food Safety Scam India : क्या आप जानते हैं कि जिस सेब को आप सेहतमंद समझकर खा रहे हैं या जिस दूध को आप अपने बच्चों की हड्डियों की मजबूती के लिए पिला रहे हैं, वह असल में उन्हें बीमार कर रहा है? भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर एक बेहद डरावनी सच्चाई सामने आई है। FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि फूड इंडस्ट्री में मुनाफे के लिए आपकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
अक्सर हम बाजार से चमकते हुए फल और सब्जियां यह सोचकर खरीदते हैं कि ये ताजे और विटामिन्स से भरपूर हैं। लेकिन सच्चाई इसके बिल्कुल उलट हो सकती है। फूड इंडस्ट्री के काले सच का पर्दाफाश करते हुए यह बात सामने आई है कि यह ‘फूड स्कैम’ केवल जंक फूड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी रोजमर्रा की थाली तक पहुंच चुका है। FSSAI के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल टेस्ट किए गए फूड सैंपल्स में से लगभग 20 से 30 प्रतिशत सैंपल सेफ्टी या क्वालिटी स्टैंडर्ड्स में फेल हो जाते हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि बाजार में मौजूद हर तीसरा खाने का आइटम सवालों के घेरे में है।
दूध और मसालों में मिलावट का जहर
स्थिति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दूध, जिसे हम संपूर्ण आहार मानते हैं, उसके 40 प्रतिशत से ज्यादा सैंपल्स में मिलावट पाई गई है। यह मिलावट बच्चों की सेहत के साथ सीधा खिलवाड़ है। बात सिर्फ दूध तक नहीं रुकती; आपकी रसोई में मौजूद मसाले भी सुरक्षित नहीं हैं। मसालों में आर्टिफिशियल कलर्स और लेड (सीसा) जैसे जहरीले तत्व पाए गए हैं। ‘शुद्ध शहद’ के नाम पर कई बार आपको इंडस्ट्रियल शुगर सिरप बेचा जा रहा है, जो सीधे तौर पर धोखाधड़ी है। घी और तेल में होने वाली मिलावट सीधे आपके दिल (Heart) और किडनी (Kidney) जैसे महत्वपूर्ण अंगों को डैमेज कर रही है।
चमकते फलों के पीछे पेस्टिसाइड का खतरा
वीडियो रिपोर्ट्स और WHO के मुताबिक, जिन फलों और सब्जियों को हम बिना अच्छे से धोए खाते हैं, उन पर केमिकल और पेस्टिसाइड का रेसिड्यू (अवशेष) रह सकता है। यह धीमे जहर की तरह काम करता है। लंबे समय तक इनका सेवन करने से शरीर में गंभीर हेल्थ इश्यूज पैदा हो सकते हैं। यह लापरवाही नहीं, बल्कि एक पैटर्न है। जब मिसलीडिंग लेबल्स लगाए जाते हैं और जानबूझकर शुद्धता के झूठे दावे किए जाते हैं, तो इसे केवल लापरवाही नहीं कहा जा सकता, इसे ‘स्कैम’ कहा जाना चाहिए।
मुनाफे के लिए जान से खिलवाड़: एक विश्लेषण
एक वरिष्ठ संपादक के तौर पर इस स्थिति का विश्लेषण करें तो यह मामला सिर्फ ‘मिलावट’ का नहीं, बल्कि ‘विश्वासघात’ का है। जब एक उपभोक्ता ‘प्रीमियम’ दाम चुकाता है, तो वह सुरक्षा की उम्मीद करता है। लेकिन कंपनियां चमक-दमक और भ्रामक विज्ञापनों के जरिए आंखों में धूल झोंक रही हैं। यह जहर धीमे असर करता है, इसलिए लोग तुरंत इसके प्रभाव को समझ नहीं पाते, लेकिन यह अंदर ही अंदर वाइटल ऑर्गन्स को खोखला कर रहा है। यह अब एक व्यक्तिगत पसंद का मामला नहीं, बल्कि एक ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’ का मुद्दा बन चुका है।
उपभोक्ता क्या करें?
इस खतरनाक जाल से बचने के लिए आपकी सावधानी ही सबसे बड़ा हथियार है। पैकेटबंद खाना खरीदते समय FSSAI का लाइसेंस नंबर जरूर चेक करें। अगर कोई प्रोडक्ट ‘असामान्य रूप से सस्ता’ मिल रहा है, तो सावधान हो जाएं। फलों और सब्जियों की ज्यादा चमक और सफेदी को क्वालिटी का पैमाना न मानें, क्योंकि अक्सर यह रसायनों का कमाल होता है। जहां तक संभव हो, पिसे हुए मसालों की जगह खड़े (Whole) मसालों का इस्तेमाल करें। अगर आपको कहीं मिलावट का शक हो, तो चुप न रहें, बल्कि FSSAI के ‘Food Safety Connect App’ पर इसकी शिकायत दर्ज कराएं।
जानें पूरा मामला
यह रिपोर्ट भारत में खाद्य सुरक्षा की गिरती स्थिति और अनैतिक व्यापारिक प्रथाओं (Unethical Business Practices) पर आधारित है। FSSAI समय-समय पर देशभर में छापे मारकर सैंपल इकट्ठा करता है। हालिया रुझान बताते हैं कि मिलावटखोरों ने अब दूध, घी, मसाले और शहद जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों को निशाना बनाया है, क्योंकि इनकी खपत हर घर में सबसे ज्यादा होती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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High Failure Rate: FSSAI के अनुसार, 20-30% फूड सैंपल सेफ्टी टेस्ट में फेल हो रहे हैं।
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Adulterated Milk: 40% से ज्यादा दूध के सैंपल्स में मिलावट पाई गई है।
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Toxic Spices: मसालों में लेड और आर्टिफिशियल रंगों का इस्तेमाल हो रहा है।
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Consumer Action: FSSAI कनेक्ट ऐप पर शिकायत करें और असामान्य रूप से सस्ते उत्पादों से बचें।






