बॉलीवुड में ऐसी कई फ़िल्में हैं जो क्रिकेट के खेल और मैच फ़िक्सिंग पर आधारित है । क्रिकेट पर आधारित फ़िल्में जैसे जन्नत और हाल ही में रिलीज हुई अज़हर, ऐसी ही कहानियों की गवाह हैं । इस हफ़्ते बॉक्सऑफ़िस पर रिलीज हुई एक्शन-कॉमेडी फ़िल्म ढिशूम जिसकी कहानी क्रिकेट के इर्द-गिर्द घूमती है । क्या ढिशूम बॉक्सऑफ़िस पर छक्का लगाएगी आइए विश्लेषण करते हैं ।
मध्य पूर्व में एक क्रिकेट श्रृंखला के दौरान वाघा (अक्षय खन्ना) के कहने पर खूंखार अल्ताफ (राहुल देव) द्वारा भारतीय क्रिकेट टीम के शानदार क्रिकेटर विराज शर्मा (साकिब सलीम) की एक सुनियोजित अपहरण के साथ शुरू होती है ढिशूम । मैच फ़िक्सिंग में हुए नुकसान के चलते अपने ऊपर चढ़े 400 करोड़ के कर्ज से खुद को बचाने के लिए वाघा विराज शर्मा का अपरहरण करवाता है । 36 घंटे पहले भारत-पाकिस्तान का मैच होने से थोड़ा पहले ही जब भारतीय सरकार को विराज शर्मा के अपरहरण के बारें में पता चलता है, तो सरकार विराज शर्मा का पता लगाने के लिए सर्वश्रेष्ठ पुलिस ऑफ़िसर कबीर शेरगिल (जॉन अब्राहिम) को इस काम के लिए चुनती है । राष्ट्रीय अशांति और तनाव के डर से सरकार कबीर शेरगिल को ये निर्देश देती है कि विराज के अपहरण की बात किसी भी तरह से बाहर नहीं जानी चाहिए । जब ये खबर मध्य पूर्व के दूतावास तक पहुँचती है, वे तुरंत कबीर शेरगिल के लिए सभी संभव मदद की पेशकश करने के लिए तैयार हो जाते हैं । इसी दरमियां कबीर शेरगिल पुलिस अधिकारी जुनैद (वरुण धवन) , जिससे कभी कोई केस नहीं सुलझा, को विराज शर्मा को ढूंढने के लिए चुनता है । फ़िल्म की कहानी में, विराज को ढूंढने के दौरान कई अजीबो-गरीब मोड़ आते हैं, और उसके बाद शुरू होती है कबीर, जुनैद और उनकी हर जुर्म की भागीदार इशिका (जैकलीन फ़र्नांडिस), जो की एक खूबसूरत चोर है, की ढेरो उठापटक, भाग-दौड़ और रोमांच से भरी कहनियां । क्या कबीर शेरगिल भारत-पाकिस्तान मैच शुरू होने से पहले विराज शर्मा को ढ़ूंढ पाने में सक्षम होगा, विराज शर्मा को ढ़ूंढने में जुनैद की क्या भूमिका रहती है और इशिका की क्या भूमिका रहती है और वह भारत के सबसे श्रेष्ठ खिलाड़ी के अपहरण के पीछे के रहस्य को सुलझाने में कबीर और जुनैद की किस तरह की मदद करती है, ये सब आपको फ़िल्म देखने के बाद ही पता चलेगा ।
सबसे पहली बात, ढिशूम का कथानक (रोहित धवन, तुषार हीरानंदानी ) पूर्वानुमेय है , हालांकि, कलाकारों के बीच कैमेस्ट्री, विशेषरूप से कॉमिक सीन फ़िल्म को मनोरंजक बना देते हैं ।
फ़िल्म के निर्देशन की बात करें तो, रोहित धवन (जिसकी पिछली फ़िल्म जॉन अब्राहिम और अक्षय कुमार अभिनीत देशी बॉयज़ थी ), ने मनोहर ढंग से उत्साह, शैली और पंचेज के साथ ढिशूम की पूरी कमान को संभाला । फ़िल्म को आगे बढ़ाने में उनका प्रयास काबिलेतारिफ़ है । हालांकि रोहित धवन ने पूरी कोशिश की है कि फ़िल्म के पहले हिस्से की कहानी काफ़ी गुंथी हुई और सटीक है, मध्यांतर के बाद फ़िल्म धीमी पड़ जाती है और फ़िर सांस रुका देने वाले एक्शन सीन हावी हो जाते हैं । ढिशूम के साथ, रोहित बड़े स्तर पर किसी भी बड़ी फ़िल्म को बड़े ही आराम और सहजता के साथ संभालने की अपनी क्षमता को साबित करते हैं । हालांकि, फ़िल्म में काफ़ी ज्यादा रचनात्मकता देखने को मिलती है और कुछ एक जगहों पर कुछ चीजें हजम भी नहीं होती हैं, फ़िर भी फ़िल्म मनोरंजन के मामले में निराश नहीं करती ।
अभिनय की बात करें तो ये पूरी फ़िल्म मुख्य रूप से सिर्फ़ जॉन अब्राहिम और वरुण धवन के कंधों पर चली है । जॉन अब्राहिम अपना किरदार एक समझदार और कठोर आदमी के रूप में बहुत ही पूर्णता के साथ निभाते हैं । वह वाकई इस फ़िल्मी जगत के बेहतरीन एक्शन हीरो में से एक हैं । वहीं दूसरी तरफ़, अपनी हर एक फ़िल्म के साथ वरुण धवन धीरे-धीरे एक सम्पूर्ण कलाकार होने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं । जहां एक तरफ़ वरुण धवन ने बदलापुर में अपना गंभीर अवतार दिखाया था वहीं ढिशूम में वरुण का एक प्यारा सा और कॉमिकल अवतार नजर आया है । कितनी आसानी से वरुण धवन ने हास्य दृश्यों को कार्यान्वित किया वह वाकई अत्यंत सराहनीय और प्रशंसा के योग्य है । कुलमिलाकर, इस फ़िल्म में वरुण धवन ने अपना किरदार बहुत ही आस्था और आत्मविश्वास के साथ निभाया है । जैकलीन फ़र्नांडिस फ़िल्म में ग्लैमर का तड़का लगाने में कामयाब होती हैं । यह कहना गलत नहीं होगा कि ढिशूम, एक अभिनेत्री के रूप में जैकलिन फर्नांडीज की असाधारण सुधार को दर्शाती है । हर किसी के बीच, ढिशूम अक्षय खन्ना की शानदार वापसी को भी दर्शाती है, अक्षय खन्ना इस फ़िल्म के साथ बॉलीवुड में अपनी धमाकेदार वापसी की घोषणा करते हैं । उनकी समय की समझ और संवाद अदायगी फ़िल्म में उनके किरदार को चार चांद लगा देती है । अक्षय कुमार, कैमियो के बावजूद फ़िल्म में गे के रूप में जान डाल देते हैं । साकिब सलीम काफ़ी प्रभावशाली रहे हैं । बाकी के कलाकार फ़िल्म को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं । फ़िल्म में नरगिस फ़ाकरी, परिणिती चोपड़ा और क्रिकेटर जावेद मियांदाद, मोहिंदर अमरनाथ और अतुल वसान का कैमियो भी देखने को मिलता है ।
फ़िल्म का संगीत (प्रीतम) जोशीला है । सौ तरह के, तो ढिशूम और जानेमन आह जैसे फ़िल्म के गाने पहले ही ब्लॉकबस्टर हो गए हैं । इस फिल्म की पृष्ठभूमि स्कोर (अभिजीत वघानी) शानदार है और इस फिल्म की कहानी और प्लॉट के साथ मिलकर चलता है ।
फ़िल्म में बहुत ही प्रभावशाली दृश्यों से भरी है और इसका पूरा क्रेडिट छायाकार (सिनेमेटोग्राफ़र ) अयांका बोस को जाता है । फ़िल्म को चमकदार और ग्लैमर बनाने में बोस को पूरे में से पूरे अंक दिये जाते हैं । फ़िल्म का संपादन (नितिन रोकड़े, रितेश सोनी) असाधारण रूप से करारा है,जैसा कि फिल्म की अवधि लगभग 2 घंटे की होती है । एक विशेष उल्लेख फिल्म स्टंट निर्देशक (एलन अमीन, स्टीफन रिक्टर) के लिए जिसने फ़िल्म में सांस रुका देने वाले एक्शन सीन शूट किए ।
कुल मिलाकर, ढिशूम की कहानी उम्मीद के मुताबिक है यानी कई मौकों पर दर्शकों को पूर्वानुमान हो सकता है, हालांकि, फ़िल्म का प्लॉट बांधे रखता है, लेकिन एक गुंथी हुई पटकथा, भारी-भरकम लड़ाई के सीन फ़िल्म के हित में जाते हैं । फ़िल्म की स्टार पावर यानी जॉन अब्राहिम और वरुणा धवन निश्चित रूप से युवाओं को आकर्षित करेंगे । बॉक्सऑफ़िस पर ये फ़िल्म अगले दो सप्ताह के लिए किसी भी फ़िल्म का सामना नहीं करेगी और इसलिए यह निर्माताओं के लिए एक अच्छा रिटर्न सुनिश्चित करेगी ।