पहले अतीक और अब मुख्तार, सालभर में बाहुबली माफियाओं से मुक्त हो गया पूर्वांचल

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पहले अतीक और अब मुख्तार, सालभर में बाहुबली माफियाओं से मुक्त हो गया पूर्वांचल - atiq ahmed and mukhtar ansari died purvanchal became free from mafia in a year

नई दिल्ली, 29 मार्च (The News Air) यूपी की बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई। मुख्तार की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई। मुख्तार की मौत के साथ ही पूर्वांचल में अपराध के एक युग का अंत हो गया। पूर्वांचल के दो सबसे बड़े बाहुबली अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी का सालभर में मारे गए। पिछले साल अतीक अहमद को पुलिस हिरासत में बदमाशों ने गोलियों से भून दिया, तो वहीं मुख्तार अंसारी के परिवार का आरोप है कि उन्हें जेल में धीमा जहर देकर मारा गया। अतीक और मुख्तार पूर्वांचल के दो ऐसे नाम से जो दशकों से राजनीतिक संरक्षण में कई काले कारनामों को अंजाम देते रहे। दोनों के खिलाफ कई गंभीर मामले चल रहे थे। दोनों बाहुबलियों ने पूर्वांचल में गाजीपुर से प्रयागराज तक अपना दबदबा चलाया। उन पर हत्या, जमीन हथियाना, सुपारी लेकर हत्या करना, अपहरण और वसूली जैसे गंभीर अपराधों के आरोप थे। उनके गुर्गे इन सब गलत कामों को अंजाम देते थे। दोनों का रौब ऐसा था जैसे ये कोई असली नहीं बल्कि वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ या फिल्म ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ की कहानी हो

राजनीतिक संरक्षण ने बढ़ाया दोनों अपराधियों को कद

मुख्तार अंसारी हो या अतीक अहमद दोनों अपराधी तो थे ही, लेकिन इनका कद बढ़ाने के पीछे राजनीतिक पार्टियों का हाथ था। सपा और बसपा दोनों पार्टियों ने अतीक और अंसारी का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए किया। पूर्वांचल ऐसे माफियाओं और संगठित अपराध के लिए बदनाम हो गया था। मुख्तार अंसारी 1995 से 2022 तक लगातार पांच बार मऊ से विधायक रहे। बिना किसी सजा के वो लगभग 27 साल विधायक रहे। हालांकि 2014 के बाद, खासकर 2017 में केंद्र और फिर राज्य में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से सब बदल गया। सीएम योगी खुद भी पूर्वांचल के गोरखपुर से ही आते हैं, ऐसे में उनका फोकस पूर्वाचंल की छवि बदलने पर रहा।

जब चला ‘बाबा का बुलडोजर’

माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार का बुलडोजर ऐक्शन बहुत तेजी से चला। इस ऐक्शन के तहत अतीक और मुख्तार दोनों की अवैध संपत्तियों को या तो जब्त कर लिया गया या जमींदोज कर दिया गया। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में ‘बाबा का बुलडोजर’ मॉडल फेमस हुआ। योगी सरकार ने अतीक और मुख्तार के लंबे समय से पेंडिग मामलों को अदालत में तेजी से आगे बढ़ाया, जिससे उन्हें आखिरकार सजा मिली। उनकी आर्थिक और कानूनी सुरक्षा दोनों खत्म हो गई। योगी के शासन में ही अतीक और अंसारी को पहली बार सजा सुनाई गई।

मुख्तार अंसारी के खिलाफ 66 मामले थे दर्ज

अंसारी 2005 से पिछले 18 सालों से जेल में था, उस पर 66 मामले दर्ज हैं, लेकिन अब तक वो किसी मामले में सजायाफ्ता नहीं था। मगर 2017 के बाद से उसे आठ बार सजा सुनाई जा चुकी है। पिछले साल मई में 32 साल पुराने अवधेश राय मर्डर केस में अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इस मामले में गवाही प्रभावित करने या कोर्ट की कार्यवाही में रूकावट डालने की उसकी चालों का अंत हो गया। राय हत्याकांड में 32 साल बाद उसे सजा मिली। इसी तरह 2021 में वाराणसी के भेलूपुर थाने में 1997 में दर्ज एक मामले में (24 साल बाद) उसके खिलाफ आरोप तय किए गए। 2022 में आगरा के जगदीशपुर थाने में 1999 में दर्ज एक अन्य मामले में भी (23 साल बाद) आरोप तय किए जा सके। साथ ही लखनऊ के आलमबाग थाने में 2000 में उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में भी (21 साल बाद) 2021 में आरोप तय किए गए। इससे पहले पुलिस और न्यायिक व्यवस्था पर उसके प्रभाव का पता चलता है।

अतीक अहमद पर भी हुआ था ऐक्शन

इससे पहले, मुख्तार अंसारी के एक खास गुर्गे और शूटर मुन्ना बजरंगी को भी 2018 में बागपत जेल में ही मार दिया गया था। अतीक अहमद के खिलाफ भी 2017 से ही लगातार पुलिस कार्रवाई होती रही, पिछले साल उन्हें उनके भाई के साथ गोली मार दी गई थी। अतीक अहमद की मौत से कुछ दिन पहले ही उसके बेटे असद अहमद की भी पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। पुलिस ने अतीक की 1400 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त कर लिया और करीब 50 बेनामी कंपनियों को सील कर दिया गया, जिनका इस्तेमाल अतीक वसूली से कमाए काले धन को सफेद करने के लिए करता था।

2017 से पहले, अतीक के खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन वो हमेशा जमानत पर छूट जाता था और बाहर रहता था। पहला मामला तो 1979 में ही दर्ज हो गया था, लेकिन यूपी की किसी भी सरकार को उसे किसी मामले में सजा नहीं दिला पाई। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि गवाह या तो मुकर जाते थे या फिर गायब हो जाते थे। योगी सरकार ने ही उमेश पाल नाम के मुख्य गवाह के अपहरण के मामले में मजबूत पैरवी की, जिसकी वजह से अतीक को पहली बार उम्रकैद की सजा हुई।

पूर्वांचल में बाहुबली का दौर खत्म

वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में कहा था कि ‘हम माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’ और कुछ ऐसा ही अतीक और मुख्तार के मामले में हुआ लगता है, हालांकि उनकी मौत विवादों में घिरी हुई है। मुख्तार के परिवार का हाल ही में ये आरोप था कि जेल में उन्हें धीरे-धीरे जहर दिया जा रहा है। उनकी मौत के बाद अब इन आरोपों की गहन जांच हो सकती है। लेकिन, बड़ी बात ये है कि पूर्वांचल अब अपने दो सबसे बड़े माफियाओं से मुक्त हो गया है और इसी के साथ बाहुबली और गुंडे से नेता बनने वालों का दौर भी खत्म हो गया है।

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