Farmers Protest Chandigarh News: दिल्ली की सीमाओं पर चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन के 5 साल पूरे होने पर आज एक बार फिर अन्नदाता सड़कों पर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर चंडीगढ़ के सेक्टर 43 में हजारों किसानों ने डेरा डाल दिया है और सरकारों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं, तो आने वाले दिनों में एक और बड़े और उग्र आंदोलन की शुरुआत हो सकती है।
आज किसान आंदोलन की पांचवीं सालगिरह है और इस मौके को देशभर के अलग-अलग प्रदेशों में मनाया जा रहा है। पंजाब के किसान संगठनों ने फैसला किया कि वे इस दिन को चंडीगढ़ में मनाएंगे, जिसके लिए सरकार से सेक्टर 43 में जगह ली गई है।
‘शांतिमय प्रदर्शन और हजारों की भीड़’
किसान नेताओं के अनुसार, यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिमय ढंग से आयोजित किया गया है। एसकेएम की सभी जत्थेबंदियां यहां पहुंच रही हैं। आयोजकों ने बताया कि उन्होंने करीब 30 से 40 हजार लोगों के बैठने का इंतजाम किया था, लेकिन अनुमान है कि यह संख्या 50 हजार तक भी पहुंच सकती है। दोपहर 12-1 बजे तक सभी किसानों के पहुंचने की उम्मीद है और यह रैली शाम 4 बजे तक चलेगी।
‘बिजली बिल और स्मार्ट मीटर का विरोध’
रैली में सबसे प्रमुख मुद्दा एमएसपी (MSP) का है, जो किसानों का कहना है कि सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया है। इसके अलावा, बिजली संशोधन बिल को लेकर भी गहरा आक्रोश है। किसान नेताओं ने साफ कहा कि सरकार जो स्मार्ट मीटर लगा रही है और बिजली संशोधन बिल ला रही है, उसका वे पुरजोर विरोध करते हैं।
उन्होंने आम जनता को समझाते हुए कहा कि यह मुद्दा सिर्फ किसानों का नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसके घर में बिजली का मीटर लगा है। स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिल पहले देना होगा और पूरा सिस्टम कॉर्पोरेट के हाथों में चला जाएगा। कॉर्पोरेट अपनी मनमर्जी से बिल वसूलेगा, जिससे आम आदमी का बड़ा नुकसान होगा।
‘केन्द्र और पंजाब सरकार दोनों निशाने पर’
इस रैली में केंद्र और पंजाब सरकार दोनों ही किसानों के निशाने पर हैं। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार थर्मल प्लांट और जमीनों को बेचने जा रही है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा, हाल ही में आई बाढ़ और खराब फसल (झाड़ कम निकलने) का मुआवजा न तो केंद्र सरकार ने दिया है और न ही पंजाब सरकार ने।
गन्ने के रेट को लेकर भी नाराजगी जताई गई है कि पंजाब सरकार ने अभी तक इसे फिक्स नहीं किया है। साथ ही, चंडीगढ़ और यूनिवर्सिटी के मसले को भी उठाया गया, जहां छात्र परेशान हैं और चुनाव की तारीखों को लेकर सरकार जानबूझकर मामले को उलझा रही है।
‘बड़े आंदोलन की चेतावनी’
किसानों का कहना है कि वे आज पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दोनों को अपना मांग पत्र (मेमोरेंडम) सौंपेंगे। उन्होंने सरकारों को आगाह किया है कि अगर आने वाले दिनों में उनकी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे मजबूर होकर एक बड़ा आंदोलन शुरू कर सकते हैं। सरकार अक्सर किसानों को दोष देती है कि वे आंदोलनकारी हैं, लेकिन आज वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने आए हैं।
आम पाठक पर असर
बिजली संशोधन बिल और स्मार्ट मीटर का मुद्दा सीधे तौर पर आम आदमी की जेब से जुड़ा है। अगर बिजली वितरण निजी हाथों में जाता है और प्रीपेड स्मार्ट मीटर अनिवार्य होते हैं, तो मध्यमवर्गीय और गरीब परिवारों के लिए बिजली का खर्च उठाना मुश्किल हो सकता है। किसानों का यह विरोध परोक्ष रूप से आम उपभोक्ताओं के अधिकारों की भी लड़ाई है।
जानें पूरा मामला
पांच साल पहले केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से भी लंबा आंदोलन चला था। सरकार ने कानून वापस ले लिए थे, लेकिन एमएसपी की कानूनी गारंटी और बिजली बिल जैसे मुद्दों पर सहमति बनने के बावजूद उन्हें पूरी तरह लागू नहीं किया गया। आज उसी आंदोलन की पांचवीं वर्षगांठ पर किसान एकजुट होकर अपनी लंबित मांगों को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।
मुख्य बातें (Key Points)
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चंडीगढ़ के सेक्टर 43 में किसान आंदोलन की 5वीं सालगिरह पर हजारों किसान जुटे।
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एमएसपी की गारंटी और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने की प्रमुख मांग।
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बाढ़ और फसल नुकसान के मुआवजे तथा गन्ने के रेट को लेकर सरकार के खिलाफ रोष।
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मांगे पूरी न होने पर भविष्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई।






