शंभू बॉर्डर (Shambhu Border) 20 जनवरी (The News Air): लंबे समय से किसान केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। आज किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवन पंधेर (Sarwan Pandher) ने शंभू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसानों के अगले कदम का खुलासा किया।
किसानों ने दिल्ली कूच का प्लान फिलहाल टाल दिया है। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि 14 फरवरी से पहले मीटिंग की जाए, और यह मीटिंग अब चंडीगढ़ (Chandigarh) की बजाय दिल्ली (Delhi) में होनी चाहिए।
सरकार से बातचीत पर किसानों का रुख
- किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आज, 20 जनवरी, पूरे देशभर में सांसदों के घर घेरने का ऐलान किया था।
- केंद्र सरकार द्वारा मीटिंग के प्रस्ताव के बाद किसानों ने घेराव के बजाय ईमेल के जरिए ज्ञापन भेजने का फैसला लिया।
- किसान नेता डल्लेवाल (Dallewal) ने कहा कि जब तक MSP गारंटी कानून लागू नहीं होता, वह अनशन पर रहेंगे।
26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान : किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि 26 जनवरी (Republic Day) को देशभर में ट्रैक्टर मार्च (Tractor March) निकाला जाएगा।
- यह मार्च किसानों की एकजुटता और उनके संघर्ष को दिखाने के लिए होगा।
- किसान नेता पंधेर ने कहा कि यह मार्च शांतिपूर्ण रहेगा और किसानों की मांगों को मजबूत तरीके से सरकार तक पहुंचाएगा।
केंद्र सरकार को 14 फरवरी तक अल्टीमेटम : सरकार ने किसानों को 14 फरवरी को चंडीगढ़ में मीटिंग का प्रस्ताव दिया है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि मीटिंग दिल्ली में होनी चाहिए।
- सरवन पंधेर ने कहा, “हमने हमेशा बातचीत के रास्ते को प्राथमिकता दी है, लेकिन हमारी मांगों को गंभीरता से लेना होगा।”
- सरकार द्वारा कोई ठोस कदम न उठाने पर किसानों ने अपने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।
सरवन पंधेर की प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य बातें
- दिल्ली कूच का प्लान फिलहाल टाला गया।
- 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च पूरे देश में आयोजित किया जाएगा।
- सांसदों के घरों के घेराव की जगह ईमेल के जरिए ज्ञापन भेजने का फैसला।
- MSP गारंटी कानून लागू होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों ने एक बार फिर शांतिपूर्ण आंदोलन की मिसाल पेश की है। दिल्ली कूच टालकर उन्होंने सरकार को बातचीत का मौका दिया है, लेकिन 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च का ऐलान साफ संकेत देता है कि किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि केंद्र सरकार किस तरह से इस मुद्दे का समाधान निकालती है।