The News Air- (चंडीगढ़) पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने वाले किसान नेताओं को बड़ा झटका लगा है। भारतीय किसान यूनियन एकता(डकौंदा) और BKU (लक्खोवाल) ने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने चुनाव लड़ने वाले 22 किसान संगठनों के समर्थन से भी इन्कार कर दिया है।
वहीं, चुनाव लड़ने वाले 22 किसान संगठनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) भी 15 जनवरी की मीटिंग में फ़ैसला लेगा। यह किसान नेता अब मोर्चे का हिस्सा नहीं रहेंगे। हालांकि उनकी यूनियन दूसरे प्रतिनिधि के ज़रिए आंदोलन में रहेगी या नहीं, इस पर भी अंतिम फ़ैसला लिया जाएगा।
समर्थन का किया था दावा
दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन में पंजाब के 32 किसान संगठन शामिल थे। इनमें से 22 किसान संगठनों ने संयुक्त समाज मोर्चा बनाया है। जिसके ज़रिए उन्होंने पंजाब विधानसभा की 117 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है। उस वक़्त इन नेताओं ने दावा किया था कि भारतीय किसान यूनियन डकौंदा और लक्खोवाल समेत 3 यूनियनों ने उन्हें समर्थन दिया है। वह अपने संविधान में फेरबदल कर खुलकर साथ आएंगी। हालांकि अब इन 2 यूनियनों ने इससे इन्कार कर दिया है।
न चुनाव लड़ेंगे, न किसी को समर्थन : BKU डकौंदा
भाकियू एकता डकौंदा के प्रदेश उपाध्यक्ष गुरदीप सिंह रामपुरा ने कहा कि हम न चुनाव लड़ेंगे और न ही किसी को समर्थन देंगे। वह संघर्ष के ज़रिए मुद्दे हल करवाते रहेंगे।
किसानों की मांगें संघर्ष से हल कराएंगे : BKU लक्खोवाल
भाकियू लक्खोवाल के नेता अजमेर सिंह लक्खोवाल ने कहा कि उनकी यूनियन न चुनाव लड़ेगी और न किसी को उनकी तरफ़ से समर्थन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों की कई मांगें अभी बाक़ी हैं। ऐसे में राजनीतिक लड़ाई से इसमें परेशानी हो सकती है।
बलबीर राजेवाल की अगुवाई में चुनाव लड़ रहे किसान
पंजाब में किसान दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन के बड़े चेहरे बलबीर राजेवाल की अगुवाई में चुनाव लड़ रहे हैं। किसान संगठनों ने राजेवाल को CM चेहरा घोषित किया है। किसानों की नज़र पंजाब में अर्बन और सेमी अर्बन क्षेत्र वाली 77 सीटों पर है। जहां किसानों का वोट बैंक प्रभावी है। हालांकि 32 में से पहले ही 7 संगठनों ने स्पष्ट इन्कार कर दिया है। जिन 3 किसान संगठनों के समर्थन का वह दावा कर रहे थे, वह भी किनारा करने लगे हैं। ऐसे में चुनाव के लिए किसानों की चुनौती बढ़ सकती है।