नई दिल्ली, 2 मार्च (The News Air) भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म कर दिया है. आधिकारिक डेटा इस बात की पुष्टि करता है. हेडकाउंट पोवर्टी रेशियो यानी एचएसआर के मुताबिक 2011-12 में 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2 प्रतिशत हो गया है. इसे वैश्विक गरीबी जनसंख्या दर पर एक सकारात्मक विकास की तरह देखा जा रहा है. इसका मतलब यह भी है कि अब समय आ गया है कि भारत भी अन्य देशों की तरह गरीबी रेखा के उपर पहुंच जाए. उच्च गरीबी रेखा में मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों को फिर से परिभाषित करने का मौका देता है.
आपको बताते चलें कि केंद्र सरकार ने हाल फिलहाल में ही भारत में खाने, कपड़े, नशे और अन्य चीजों पर कौन कितना खर्च करता है, इसको लेकर हाउसहोल्ड कंजंप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे यानी HCES जारी किया था. यह सर्वे अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच में किया गया था. पिछला ऐसा सर्वे 11 साल पहले 2011-12 में किया गया था. सर्वे की रिपोर्ट में एक ट्रेंड सामने आया था कि लोग अब सब्जियों से ज्यादा अंडे-मछली खाने के लिए खर्च कर रहे हैं.गांव में गरीब की जिंदगी 45 रुपए रोज के खर्च पर कट जाती है, जबकि शहर में रहने वाला सबसे गरीब आदमी एक दिन में महज 67 रुपए ही खर्च कर पाता है.
हेडकाउंट पोवर्टी रेशियो का डेटा क्या कहता है?
विकास: 2011-12 से रियल पर कैपिटा इनकम हर साल 2.9% की दर से बढ़ी है. ग्रामीण में शहरों के मुकाबले अधिक विकास हुआ है. ग्रामीण में विकास दर 3.1% रही तो वहीं शहरी विकास दर 2.6% ही रही.
असमानता: शहरी और ग्रामीण दोनों में ही असमानताओं में बड़ी गिरावट आई है. गिनी इंडेक्स को आमतौर पर आर्थिक असमानता के पैमाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जिसका काम है जनसंख्या के बीच संपत्ति के वितरण को मापना. शहरी गिनी 36.7 से घटकर 31.9 हो गई. ग्रामीण गिनी 28.7 से घटकर 27.0 हो गई.
गरीबी: उच्च विकास और असमानता में बड़ी गिरावट ने पीपीपी $ 1.9 गरीबी रेखा के लिए भारत में गरीबी को खत्म कर दिया है. 2011 पीपीपी $ 1.9 के लिए हेडकाउंट गरीबी अनुपात गरीबी रेखा 2011-12 में 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2 प्रतिशत हो गई है, जो प्रति वर्ष 0.93 प्रतिशत अंक के बराबर है. ग्रामीण गरीबी 2.5% थी जबकि शहरी गरीबी 1% से कम थी.








