Export Promotion Mission (EPM): मोदी सरकार ने नए साल से ठीक पहले देश के छोटे और मंझोले व्यापारियों (MSMEs) को एक बड़ा तोहफा दिया है। 31 दिसंबर 2025 को सरकार ने आधिकारिक तौर पर ‘मार्केट एक्सेस सपोर्ट’ (MAS) पहल की शुरुआत कर दी है। इसके तहत अब भारतीय निर्यातकों, खासकर छोटे व्यापारियों को विदेशों में अपना माल बेचने, प्रदर्शनी लगाने और विदेशी खरीदारों से मिलने के लिए सरकार न केवल मंच देगी, बल्कि आर्थिक मदद के तौर पर हवाई किराया भी मुहैया कराएगी। यह पहल ‘निर्यात प्रोत्साहन मिशन’ (Export Promotion Mission) का हिस्सा है, जिसे हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।
क्या है ‘मार्केट एक्सेस सपोर्ट’ (MAS)?
वाणिज्य विभाग और एमएसएमई मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से चलाई जाने वाली इस पहल का मुख्य मकसद भारतीय निर्यातकों की ‘ग्लोबल रीच’ बढ़ाना है। अक्सर देखा जाता है कि छोटे व्यापारियों के पास अच्छा प्रोडक्ट तो होता है, लेकिन वे विदेशी बाजारों तक पहुंच नहीं पाते। MAS के जरिए सरकार विदेशों में होने वाले बड़े ट्रेड फेयर (Trade Fairs) और बायर-सेलर मीट (BSM) में भारतीय व्यापारियों की भागीदारी सुनिश्चित करेगी।
सबसे खास बात यह है कि सरकार अब ‘तदर्थ’ (Ad-hoc) फैसले नहीं लेगी, बल्कि अगले 3 से 5 साल का एक ‘एडवांस कैलेंडर’ जारी करेगी। इससे निर्यातकों को पहले से पता होगा कि किस देश में कब प्रदर्शनी है और वे अपनी तैयारी समय पर कर सकेंगे।
छोटे निर्यातकों के लिए खजाना
इस योजना में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका पूरा फोकस छोटे खिलाड़ियों पर है:
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35% आरक्षण: सरकार द्वारा समर्थित किसी भी विदेशी इवेंट में कम से कम 35% भागीदारी सिर्फ एमएसएमई (MSME) सेक्टर की होगी।
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हवाई किराया: जिन छोटे निर्यातकों का सालाना टर्नओवर 75 लाख रुपये तक है, उन्हें सरकार आंशिक हवाई किराया (Partial Airfare Support) देगी। यह उन लोगों के लिए संजीवनी है जो बजट की कमी के कारण विदेश यात्रा नहीं कर पाते थे।
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बड़े डेलिगेशन: सरकार अब 2-4 लोगों को नहीं, बल्कि कम से कम 50 प्रतिभागियों के बड़े डेलिगेशन को विदेश भेजेगी ताकि वहां भारत की मजबूत उपस्थिति दर्ज हो सके।
विश्लेषण: ‘मेकिंग’ से ‘मार्केटिंग’ की ओर बड़ा कदम
एक वरिष्ठ संपादक के नजरिए से देखें तो यह नीति सरकार की सोच में एक बड़ा बदलाव दर्शाती है। अब तक सरकार का जोर ‘मैन्युफैक्चरिंग’ (PLI स्कीम आदि) पर था, लेकिन ‘मार्केट एक्सेस सपोर्ट’ बताता है कि सरकार अब ‘मार्केटिंग’ पर भी उतना ही जोर दे रही है। चीन और वियतनाम जैसे देश अपनी आक्रामक मार्केटिंग के कारण ही ग्लोबल मार्केट पर कब्जा जमाए हुए हैं। भारत का यह कदम—जिसमें दूतावासों और कमोडिटी बोर्ड्स को भी शामिल किया गया है—हमारे निर्यातकों को एक ‘इकोसिस्टम’ प्रदान करेगा। यह केवल सब्सिडी नहीं है, यह ‘हैंड-होल्डिंग’ है।
डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया
पूरी प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने के लिए trade.gov.in पोर्टल का उपयोग किया जाएगा। आवेदन करने से लेकर फंड जारी होने तक सब कुछ ऑनलाइन होगा। इसके अलावा, विदेश से लौटने के बाद निर्यातकों को ऑनलाइन फीडबैक देना अनिवार्य होगा कि उन्हें वहां क्या बिजनेस मिला, ताकि योजना को और बेहतर बनाया जा सके।
जानें पूरा मामला
क्या है पृष्ठभूमि: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 नवंबर 2025 को ‘निर्यात प्रोत्साहन मिशन’ (EPM) को मंजूरी दी थी। यह मिशन ‘निर्यात दिशा’ उप-योजना के तहत काम करता है। इसका उद्देश्य भारतीय निर्यात को पारंपरिक बाजारों (जैसे अमेरिका, यूरोप) से आगे ले जाकर नए और उभरते हुए बाजारों (जैसे अफ्रीका, लैटिन अमेरिका) तक फैलाना है। सरकार का मानना है कि एमएसएमई और पहली बार निर्यात करने वाले (First-time Exporters) ही भारत की निर्यात वृद्धि के असली इंजन बनेंगे।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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Market Access Support पहल 31 दिसंबर 2025 को लॉन्च की गई।
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75 लाख रुपये तक टर्नओवर वाले निर्यातकों को हवाई किराए में मदद मिलेगी।
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विदेशी कार्यक्रमों में 35% भागीदारी MSMEs के लिए अनिवार्य कर दी गई है।
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अगले 3-5 साल का इवेंट कैलेंडर एडवांस में जारी किया जाएगा।
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पूरी प्रक्रिया trade.gov.in पोर्टल के जरिए डिजिटल होगी।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न








