Himachal News शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार वित्तीय अर्थव्यवस्था सुधारने और आमजन की खुशहाली सुनिश्चित करने की दिशा में कई ठोस कदम उठाए हैं। दरअसल मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू राज्य की अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी तरह का वित्तीय आपातकाल नहीं है जैसा विपक्ष कह रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन समय पर देना उनकी प्रमुखता में शामिल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेतृत्व ने राज्य की वित्तीय स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुमराह किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल के दौरान कोषागार कभी भी ओवरड्राफ्ट नहीं हुआ है और इससे संबंधित तथ्य भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा सत्यापित किये जा सकते हैं। उ
कर्मचारियों को पांच तारीख को मिल रहा वेतन
विपक्ष के आरोप को सिरे से नकारते हुए सीएम ने कहा कि बोर्डों और निगमों के कर्मचारियों और पेंशनभागियों को महीने की पहली तारीख को वेतन और पेंशन अदायगी की जा रही है। वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने नकदी प्रवाह असंतुलन को ठीक करने का निर्णय लिया है। इसलिए, विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों को महीने की 5 तारीख को वेतन मिल रहा है और इससे किसी भी सरकारी कर्मचारी का वेतन भुगतान नहीं रुका है। प्रदेश सरकार का यह निर्णय राज्य के राजकोष को सुदृढ़ करने के लिए लिया गया है, जिससे ऋण के ब्याज में प्रति माह 3 करोड़ रुपये की बचत हो रही है।
किसानों को मिल रहा दूध और फसल का बेहतर मुल्य
सीएम ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने से पहले किसानों और पशु पालकों को उनकी मेहनत का पूरा पैसा नहीं मिल पाता था। जब हमने सत्ता संभाली तो सबसे पहले इस दिशा में काम किया। सीएम ने कहा कि आज प्राकृतिक खेती पद्धति से पैदा किए गए गेहूं को 40 रुपए और मक्की को 30 रुपए प्रति किलो की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य देने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है। किसानों और पशुपालकों को लाभान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने भैंस के दूध के खरीद मूल्य को 55 रुपए और गाय के दूध के लिए खरीद मूल्य को 45 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा दिया है।