लखनऊ (The News Air): कोरोना महामारी के चलते लगातार तीन साल तक चौपट रहे कारोबार के बाद इस बार ईद (Eid) के मौके पर सेवईयों के धंधे (Vermicelli Business) में फिर से रौनक नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बनारस (Banaras) और लखनऊ (Lucknow) के कारखानों की बनी सेवई की मांग स्थानीय बाजारों में और बाहर भी बढ़ी हैं। हालांकि बीते तीन सालों की तुलना में सेवई की कीमतों में बहुत इजाफा नहीं हुआ है।
राजधानी लखनऊ में सेवई के कारोबारियों के मुताबिक, इस साल कीमतों में 10 से 15 रुपए प्रति किलो का ही इजाफा हुआ है जो कच्चे माल की महंगाई को देखते हुए बहुत ज्यादा नहीं है। हर साल की ही तरह इस बार भी स्थानीय बाजारों मे सबसे ज्यादा मांग बनारस की बनी सेवईयों की हो रही हैं, जबकि लखनऊ का माल देश के बड़े शहरों से लेकर विदेशों में भेजा जा रहा है। बनारसी डिब्बे वाली महीन सेवई 130 से 140 रुपए किलो तक बिक रही है, जबकि अवध के इलाके में खायी जाने वाली किमामी सेवई 100 रुपए किलो के हिसाब से मिल रही है।
इन दिनों 24 घंटे काम हो रहा
सेवई कारोबारी अलीमुल हक बताते हैं कि राजधानी लखनऊ में 100 से ज्यादा कारखानों में इन दिनों 24 घंटे काम हो रहा है और हर दिन माल बनारस से भी आ रहा है। उनका कहना है कि मुंबई, दिल्ली, बंगलौर से लेकर खाड़ी देशों में यहां की सेवई भेजी जा रही है। अकेले लखनऊ में ही रमजान के दिनों में 2,500 कुंतल सेवई की खपत है। लखनऊ और बनारस को मिलाकर इतना ही माल बाहर भी भेजे जाने की उम्मीद है।
लखनऊ की किमामी सेवई खाड़ी देशों में खूब बिकती है
लखनऊ की नक्खास बाजार में सेवई के कारोबारी बताते हैं कि यहां की बनी किमामी सेवई की मांग देश भर में है तो बनारस की डबल जीरो नंबर वाले माल की खपत भी बाहरी राज्यों में खासी है। डबल जीरो नंबर वाली सेवई की कीमत सबसे कम 80 रुपए किलो चल रही है। लखनऊ की किमामी सेवई खाड़ी देशों में खूब बिकती है। उनका कहना है कि ईद के दिनों में सूतफेनी वाली सेवई की मांग अपेक्षाकृत कम रहती है, हालांकि यह साल भर बिकती रहती है। बनारस और लखनऊ के कारखानों में सूतफेनी कम ही बनती है और इसकी सप्लाई पश्चिमी जिलों से ही होती है।
अब नया आर्डर लेना बंद हो चुका
उनका कहना है कि रमजान का आखिरी हफ्ता आते ही तोहफे में दी जाने वाली डिब्बे वाली सेवई की बंपर मांग आ रही है। होली के कुछ दिन पहले से लगातार सेवई की मांग बढ़ रही है। हर रोज 15 से 20 कुंतल सेवई बना रहे कारखानों में पहले की मांग को पूरा करने की जिद्दोजहद में अब नया आर्डर लेना बंद हो चुका है।