नई दिल्ली (New Delhi), 17 जनवरी (The News Air): दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को आबकारी नीति (Excise Policy) से जुड़े धन शोधन (Money Laundering) मामले में मिली जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) में याचिका दायर की थी। शुक्रवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए 21 मार्च 2025 की तारीख तय की। इस मामले में दिलचस्प मोड़ आया है क्योंकि ईडी (ED) की ओर से मामले में बार-बार तारीखें ली गई थीं, लेकिन केजरीवाल के वकील ने इस बार जल्द सुनवाई की मांग की।
केजरीवाल के वकील ने स्थगन का किया विरोध : दिल्ली उच्च न्यायालय में केजरीवाल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील (Senior Lawyer) ने ईडी द्वारा स्थगन की मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछले कई महीनों से मामले में लगातार तारीखें ली जा रही हैं, और अब तक ईडी (ED) द्वारा सभी आरोपियों को जमानत मिलने के बाद क्यों केजरीवाल को लंबित रखा गया है।
केजरीवाल के वकील ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि (विधानसभा) चुनाव (Assembly Election) के दौरान इस मामले को लंबित न रखा जाए, क्योंकि अन्य आरोपियों को धन शोधन (Money Laundering) मामले में जमानत मिल चुकी है।
न्यायमूर्ति महाजन का फैसला : ईडी के वकील ने स्थगन के कारण केजरीवाल को कोई नुकसान न होने की बात कही, क्योंकि उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) से पहले ही उन्हें अंतरिम जमानत मिल चुकी थी। न्यायमूर्ति विकास महाजन (Justice Vikas Mahajan) ने कहा, “मैं इसे सुनवाई के लिए रखूंगा, उनके साथ कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।” इसके बाद अदालत ने 21 मार्च को सुनवाई के लिए तारीख तय की।
केंद्र सरकार के खिलाफ केजरीवाल की ओर से न्याय की बात : 12 जुलाई 2024 को शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के तहत गिरफ्तारी की आवश्यकता और अनिवार्यता पर 3 अहम सवाल एक बड़ी पीठ को भेजे थे।
इससे पहले, 2024 के जून महीने (June 2024) में निचली अदालत ने केजरीवाल को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी, लेकिन बाद में ईडी (ED) की याचिका पर उच्च न्यायालय ने इस जमानत पर रोक लगा दी थी।
आबकारी नीति और भ्रष्टाचार का मुद्दा : यह मामला आबकारी नीति 2021 (Excise Policy 2021) के निर्माण और क्रियान्वयन से जुड़े कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है। उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) ने 2022 में इस नीति को रद्द कर दिया था, और इसके बाद सीबीआई (CBI) ने इस मामले में जांच शुरू की थी।