यूरोपीय सेंट्रल बैंक (European Central Bank) ने गुरुवार को अपनी ब्याज दर में बढ़ोतरी की रफ्तार को धीमा कर दिया। हालांकि महंगाई के खिलाफ अभी भी बैंक ने लड़ाई जारी रखा है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) का यह कदम, काफी हद तक अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व से मिलता जुलता है, जिसने हाल ही में अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार को धीमा किया है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि लोन की दरों को बढ़ाने की ECB की कोशिशों को असर दिख रहा है।
बता दें कि ECB, यूरो मुद्रा का इस्तेमाल करने वाले यूरोप के करीब 20 देशों का केंद्रीय बैंक है। इससे एक दिन पहले अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी अपने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। साथ ही संकेत दिया था कि वो आगे शायद और बढ़ोतरी न करें। हालांकि ECB ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला बाद में शुरू किया था।
ऐसे में शायद ये अभी कुछ और बार ब्याज दरों को बढ़ा सकती है। ECB ने यह संकेत इस तथ्य के बावजूद दिया है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से आर्थिक ग्रोथ में सुस्ती और बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल की नई आशंकाओं को जन्म दे रहे हैं।
ECB ने एक बयान में कहा कि महंगाई में “हाल के महीनों में गिरावट आई है लेकिन अभी भी दबाव मजबूत बना हुआ है।”
ईसीबी ने अपने एक लेंडिंग सर्वे के बाद दरों में बढ़ोतरी की रफ्तार को कम किया है। सर्वे से पता चला कि बैंक लोन देने को लेकर सख्त हो रहे हैं और ग्राहक और कंपनियां कम क्रेडिट मांग रही हैं। यह इस बात का संकेत है कि ECI के आक्रामक रुख का असर हो रहा है।
माना जाता है कि उधार लेना अधिक महंगा होने से इकोनॉमी में खर्च कम होता है। कीमतों पर दबाव कम होता है। इससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलती है। हालांकि दूसरी तरफ इससे आर्थिक ग्रोथ पर भी असर पड़ सकता है। सर्वे के मुताबिक इस साल के पहले 3 महीनों के दौरान घरों की मांग में तेज गिरावट दर्ज की गई है और ये 2003 के बाद की सबसे तेज गिरावट है।