Lalu Family Dispute After Bihar Election 2025 Loss : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन की करारी हार ने RJD और लालू परिवार के भीतर एक बड़े ‘महाभारत’ को जन्म दे दिया है। NDA की 200 सीटों की सुनामी में RJD महज 30-35 सीटों पर सिमट गई है। इस ऐतिहासिक हार का ठीकरा अब तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर फूट रहा है और परिवार के भीतर विरासत की जंग खुलकर सड़क पर आ गई है।
कभी बिहार के सबसे कम उम्र के डिप्टी सीएम बनने वाले तेजस्वी यादव, आज अपनी पार्टी को सबसे बड़ी हार दिलाने वाले नेता के तौर पर चर्चा में हैं।
यह हार सिर्फ आंकड़ों की नहीं है, बल्कि इसने लालू परिवार के भीतर की खटपट और बगावत को भी जगजाहिर कर दिया है, जिसकी अगुवाई खुद तेजस्वी के बड़े भाई तेज प्रताप यादव कर रहे हैं।
तेजस्वी नहीं, ‘शकुनि’ संजय यादव ने हरवाया
हार के बाद सबसे मुखर आवाज तेज प्रताप यादव की है, जिन्हें चुनाव से पहले ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। तेज प्रताप ने हार के लिए सीधे तौर पर तेजस्वी यादव के करीबी और राजनीतिक सलाहकार संजय यादव को जिम्मेदार ठहराया है।
तेज प्रताप ने संजय यादव को “शकुनियों का नेता” बताते हुए आरोप लगाया कि टिकट बंटवारे से लेकर पूरी चुनावी रणनीति तक, सब कुछ संजय की मर्जी से हुआ। उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्यों की उपेक्षा की गई और जमीन से कटे सलाहकारों के भरोसे चुनाव लड़ा गया।
तेज प्रताप की ‘जेजेडी’ ने बिगाड़ा खेल
इस चुनाव में तेजस्वी की हार का एक बड़ा कारण खुद तेज प्रताप की पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’ (जेजेडी) भी बनी। पार्टी से बाहर किए जाने के बाद तेज प्रताप ने 40 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जिनमें से ज्यादातर RJD के पारंपरिक यादव बाहुल्य क्षेत्र थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप ने भले ही कोई सीट न जीती हो, लेकिन उन्होंने RJD के कोर ‘यादव’ वोट बैंक में सेंध लगाकर महागठबंधन के कई उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ दिया।
‘लालू के बड़े बेटे’ का भावनात्मक दांव
तेजस्वी जहां बेरोजगारी और विकास पर हाईटेक प्रचार कर रहे थे, वहीं तेज प्रताप ने ‘सम्मान’, ‘सुचिता’ और ‘लालू परिवार की उपेक्षा’ जैसे भावनात्मक मुद्दों पर अभियान चलाया।
यादव मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग आज भी तेज प्रताप को “लालू का बड़ा बेटा” मानता है, जिसे गलत समझकर दरकिनार कर दिया गया। इसी भावनात्मक जुड़ाव ने कई सीटों पर RJD को भारी नुकसान पहुंचाया।
क्या एकजुट रह पाएगा लालू परिवार?
इस करारी हार के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लालू परिवार एकजुट रह पाएगा? RJD के कई वरिष्ठ नेता, जो तेजस्वी के नेतृत्व और संजय यादव की बढ़ती ताकत से नाराज थे, अब धीरे-धीरे आवाज उठाने लगे हैं।
पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ रहा है और परिवार (मीसा भारती, रोहिणी आचार्य) के बीच भी मतभेद की खबरें चुनाव प्रचार के दौरान ही आ रही थीं।
जानें पूरा मामला
बिहार की 243 सीटों पर हुए चुनाव में NDA ने 200 से ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। वहीं, RJD का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। तेजस्वी यादव, जो 2020 में ‘युवा नायक’ बनकर उभरे थे, 2025 में उनकी नेतृत्व क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह देखना होगा कि क्या तेजस्वी इस ‘खलनायक’ की छवि से बाहर निकलकर वापसी कर पाएंगे, या बिहार की राजनीति में यह एक बड़ा निर्णायक मोड़ है।
मुख्य बातें (Key Points)
-
बिहार में RJD की ऐतिहासिक हार के बाद लालू परिवार में ‘विरासत की जंग’ छिड़ गई है।
-
तेज प्रताप यादव ने हार के लिए तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव को “शकुनि” बताते हुए जिम्मेदार ठहराया।
-
तेज प्रताप की पार्टी ‘जेजेडी’ ने 40 सीटों पर RJD के यादव वोट बैंक में सेंध लगाकर तेजस्वी का खेल बिगाड़ दिया।
-
RJD के कई वरिष्ठ नेताओं में तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर असंतोष है, जिससे पार्टी में बिखराव का खतरा बढ़ गया है।






