DSR Paddy Sowing in Punjab : पंजाब (Punjab) में धान की सीधी बुआई (DSR – Direct Seeding of Rice) आज से शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने खुद इस योजना की घोषणा की है। राज्य सरकार ने इस खरीफ सीजन में 5 लाख एकड़ में डीएसआर तकनीक के माध्यम से धान की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह कदम जल संरक्षण, लागत में कटौती और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाने की दिशा में एक बड़ा निर्णय माना जा रहा है।
सरकार की योजना के अनुसार, डीएसआर तकनीक अपनाने वाले किसानों को प्रति एकड़ ₹1500 की वित्तीय सहायता दी जाएगी। साथ ही, बासमती चावल उगाने वाले किसान भी इस तकनीक का उपयोग करके समान लाभ प्राप्त कर सकते हैं। पंजाब सरकार का दावा है कि डीएसआर से न केवल 15 से 20 प्रतिशत तक पानी की बचत होगी, बल्कि मजदूरी की लागत में भी ₹3500 प्रति एकड़ की कमी आएगी।
जल संकट के मद्देनज़र, यह निर्णय और भी अधिक प्रासंगिक बन जाता है। वर्तमान में पंजाब के 113 ब्लॉक को डार्क जोन घोषित किया गया है, जहां भूजल स्तर 600 से 700 फीट नीचे चला गया है। पहले जहां 20-25 मीटर पर पानी मिल जाता था, वहीं अब किसानों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार का फोकस परंपरागत बुआई की बजाय सीधी बुआई पर है।
पिछले वर्ष की बात करें तो, वर्ष 2024 में राज्य में 2.53 लाख एकड़ भूमि पर डीएसआर तकनीक अपनाई गई थी, जो 2023 के मुकाबले 47% अधिक है। इस दौरान 21,338 किसानों को ₹29.02 करोड़ की आर्थिक सहायता दी गई थी। इस बार सरकार को उम्मीद है कि इससे भी बड़ा लाभ किसानों को होगा।
एक अहम तथ्य यह भी है कि पंजाब में उगाए गए चावल का केवल दो प्रतिशत ही स्थानीय उपभोग में आता है। बाकी सारा उत्पादन केंद्र सरकार के खाद्यान्न भंडार में चला जाता है। हालांकि पिछली बार धान की लिफ्टिंग को लेकर किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था और गोदामों में जगह की कमी हो गई थी। इस बार सरकार शुरू से ही केंद्र के साथ समन्वय बनाकर इस समस्या से निपटने की तैयारी कर रही है।
पंजाब सरकार का यह कदम पर्यावरण संरक्षण, जल स्तर संतुलन और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक व्यावहारिक और दूरदर्शी प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यदि इसे गंभीरता से लागू किया गया, तो राज्य के जल संकट और कृषि लागत की दोहरी चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकेगा।