Dr Nusrat Parveen Job Offer : हिजाब विवाद की शिकार हुई बिहार की महिला डॉक्टर नुसरत परवीन अब दो राज्यों की सियासत के बीच फंसती नजर आ रही हैं। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने उन्हें 3 लाख रुपये महीने की सैलरी और सरकारी नौकरी का जो सुनहरा सपना दिखाया था, उस पर उनकी ही सरकार (JMM) ने पानी फेर दिया है। आलम यह है कि एक तरफ ‘हवा-हवाई’ ऑफर है और दूसरी तरफ बिहार की 32,000 रुपये की वो नौकरी, जिसे ज्वाइन करने की तारीख भी निकल चुकी है।
नौकरी का ऑफर या सियासी जुमला?
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब 15 दिसंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़े हिजाब विवाद के बाद, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने एक बड़ा एलान कर दिया। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि डॉक्टर नुसरत एक गरीब परिवार से हैं और उनके साथ गलत हुआ है। अंसारी ने खुले तौर पर ऑफर दिया कि अगर नुसरत झारखंड आती हैं, तो वह उन्हें सरकारी नौकरी, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी फ्लैट और 3 लाख रुपये प्रति माह की सैलरी देंगे। इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, लेकिन जल्द ही हकीकत सामने आ गई।
‘मंत्री का निजी बयान, सरकार की नीति नहीं’
मंत्री के इस दावे की हवा तब निकल गई जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने इसे सरकार का फैसला मानने से ही इनकार कर दिया। पार्टी की तरफ से स्पष्ट किया गया कि 3 लाख रुपये की सैलरी पर सीधी नौकरी देने का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है। जेएमएम ने दो टूक कहा कि “यह मंत्री इरफान अंसारी का व्यक्तिगत बयान है, सरकार की नीति नहीं।” पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि एक मंत्री के स्तर से 3 लाख रुपये की नौकरी सीधे कैसे दी जा सकती है? यह बयान साबित करता है कि झारखंड सरकार के भीतर ही इस मुद्दे पर एक राय नहीं है।
’32 हजार की नौकरी बनाम 3 लाख का सपना’
इस सियासी रस्साकशी के बीच डॉक्टर नुसरत के करियर पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। बिहार में आयुष चिकित्सक के पद पर उनका चयन हुआ था, जहां उन्हें 32,000 रुपये प्रति माह मिलने थे। जॉइनिंग लेटर के मुताबिक, उन्हें 20 दिसंबर तक पटना सिटी के पीएचसी सदर में योगदान देना था। लेकिन 3 लाख के ऑफर और विवादों के बीच 20 दिसंबर की तारीख गुजर गई और नुसरत ने ज्वाइन नहीं किया। सिविल सर्जन कार्यालय में दिन भर उनका इंतजार होता रहा, लेकिन वह नहीं पहुंचीं।
‘बिहार में जॉइनिंग का आखिरी मौका’
राहत की बात यह है कि बिहार सरकार ने आयुष डॉक्टरों की जॉइनिंग की अंतिम तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है। नियमों के मुताबिक, जो उम्मीदवार समय पर ज्वाइन नहीं करता, उसे 10 दिन का रिमाइंडर नोटिस दिया जाता है। अगर 31 दिसंबर तक भी डॉक्टर नुसरत ने बिहार वाली नौकरी ज्वाइन नहीं की, तो उनकी उम्मीदवारी रद्द हो सकती है। अब उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वे मंत्री के उस वादे के भरोसे बैठी रहेंगी जिसे उनकी अपनी ही सरकार ने खारिज कर दिया है, या फिर हकीकत को स्वीकार करते हुए बिहार में नौकरी शुरू करेंगी।
‘संपादकीय विश्लेषण: भावनाओं से खिलवाड़ करती राजनीति’
यह घटना भारतीय राजनीति का एक क्रूर चेहरा दिखाती है। एक महिला जो पहले ही सार्वजनिक अपमान (हिजाब प्रकरण) से आहत है, उसे सांत्वना देने के बजाय नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। बिना किसी प्रशासनिक आधार के ‘3 लाख की सैलरी’ का ऑफर देना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि एक आम नागरिक की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है। अगर डॉक्टर नुसरत इस झूठे आश्वासन के चक्कर में अपनी मेहनत से मिली 32,000 की नौकरी गंवा देती हैं, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? नेताओं को समझना होगा कि उनके ‘जुमले’ किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकते हैं।
‘जानें पूरा मामला’
15 दिसंबर 2025 को पटना में एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन के चेहरे से हिजाब हटा दिया था, जिसका वीडियो वायरल होने पर खूब बवाल हुआ। इसी विवाद के बाद झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने नुसरत को झारखंड बुलाकर 3 लाख की नौकरी देने का बयान दिया था, जिसे अब उनकी ही सरकार ने नियम विरुद्ध बताते हुए खारिज कर दिया है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी ने डॉ. नुसरत को 3 लाख सैलरी और फ्लैट का ऑफर दिया था।
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जेएमएम ने इसे मंत्री का निजी बयान बताते हुए कहा कि ऐसी नौकरी देने का कोई नियम नहीं है।
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डॉ. नुसरत ने 20 दिसंबर तक बिहार में अपनी 32,000 रुपये वाली नौकरी ज्वाइन नहीं की।
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बिहार सरकार ने जॉइनिंग की तारीख 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है, जो उनके लिए आखिरी मौका है।






