नई दिल्ली, 27 दिसंबर (The News Air): डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के एक अत्यंत महत्वपूर्ण नेता रहे हैं। उनका योगदान न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था, बल्कि वैश्विक मंच पर भी सराहनीय है। एक कुशल अर्थशास्त्री के रूप में, उन्होंने भारत को कई आर्थिक संकटों से उबारा और उसे विकास के नए रास्तों पर अग्रसर किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े रहे डॉ. सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा : डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब (जो अब पाकिस्तान में है) के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनका परिवार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ था, और उनके पिता एक समाजसेवी थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में प्राप्त की और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट-ग्रैजुएट डिग्री प्राप्त की। इसके साथ ही, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल की।
करियर की शुरुआत : डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से की थी, लेकिन उनका मुख्य ध्यान हमेशा अर्थशास्त्र और नीति निर्धारण पर रहा। वे भारतीय रिज़र्व बैंक में भी कार्य कर चुके थे और बाद में वित्त मंत्रालय में उनकी भूमिका ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के एक प्रमुख विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया।
राजनीतिक यात्रा : डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक वरिष्ठ नेता रहे हैं और राजीव गांधी के बाद कांग्रेस पार्टी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक माने जाते हैं। वे 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वर्तमान में, वे राज्य सभा (संसद के ऊपरी सदन) के सदस्य हैं, जहां वे देश के आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर अपने विचार व्यक्त करते हैं। उनका राजनीतिक प्रभाव अब पहले की तरह सक्रिय नहीं रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में उनकी उपस्थिति अब भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
हाल ही में, डॉ. सिंह ने कई राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की है, जिनमें भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति, बेरोजगारी, महंगाई और प्रशासनिक नीतियों पर आलोचना शामिल है। वे अक्सर वर्तमान सरकार की नीतियों, विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते रहे हैं।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल : डॉ. मनमोहन सिंह को 2004 में भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उनके कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार लागू किए गए। विशेष रूप से, उन्होंने भारत में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया को गति दी, जिसके तहत विदेशी निवेश, व्यापार और विनिमय दरों में सुधार किया गया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली।
उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्व योजनाओं को लागू किया, जिनमें मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना), भारत निर्मल (निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम) जैसी योजनाएं शामिल थीं, जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और निर्धनता को कम करना था।
आर्थिक सुधारों का योगदान : डॉ. मनमोहन सिंह का सबसे बड़ा योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार करने के क्षेत्र में था। 1991 में, जब वे भारत के वित्त मंत्री थे, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। विदेशी निवेश को आकर्षित करने, व्यापार को बढ़ावा देने और वित्तीय संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए उन्होंने कई अहम नीतियाँ बनाई।
इस प्रक्रिया को “आर्थिक उदारीकरण” के रूप में जाना जाता है, और इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक नई दिशा प्राप्त की। उनके नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेज़ वृद्धि की और वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य में भारत का स्थान मजबूत हुआ।
उनके दृष्टिकोण : डॉ. मनमोहन सिंह को एक शांतिपूर्ण और विचारशील नेता के रूप में जाना जाता है। उनके दृष्टिकोण में हमेशा समावेशिता, विकास और सुधार का स्थान रहा। उनका विश्वास था कि अगर भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनना है, तो उसे अपनी नीतियों को लचीला और समावेशी बनाना होगा।
निजी जीवन और सम्मान : डॉ. मनमोहन सिंह का निजी जीवन बहुत साधारण और संयमित रहा है। वे एक ईमानदार, जिम्मेदार नागरिक के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्हें कई प्रमुख सम्मान और पुरस्कार मिले हैं, जिनमें भारत सरकार द्वारा उन्हें प्रदान किया गया भारत रत्न पुरस्कार भी शामिल है।
आर्थिक दृष्टिकोण : डॉ. मनमोहन सिंह के दृष्टिकोण को हमेशा एक प्रखर अर्थशास्त्री के रूप में देखा गया है। 1991 में भारतीय वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों की नींव रखी। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मुक्त बाजार और उदारीकरण को जरूरी माना। वर्तमान में, वे अक्सर भारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी, महंगाई और अन्य समस्याओं पर चिंता व्यक्त करते रहे हैं।
उनका मानना है कि सरकार को आर्थिक सुधारों को तेज़ी से लागू करने की आवश्यकता है, ताकि भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके।
सम्मान और श्रद्धांजलि : डॉ. मनमोहन सिंह को उनके योगदान के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। 2023 में भी, उनके योगदान को सम्मानित किया गया, विशेष रूप से 1991 के आर्थिक सुधारों के 30 वर्षों के बाद उनकी भूमिका को सराहा गया।
पुस्तकें और भाषण : डॉ. मनमोहन सिंह के विचार और उनके भाषण आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। वे अक्सर समाज के समग्र विकास, आर्थिक नीति और देश की प्रगति पर गहन विचार व्यक्त करते रहते हैं। उनके भाषण और लेखन भारतीय नीति निर्धारण पर प्रभाव डालते हैं।
निजी जीवन : डॉ. मनमोहन सिंह का निजी जीवन बहुत साधारण और शांतिपूर्ण रहा है। वे मीडिया से दूर रहते हुए अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। उनकी पत्नी, श्रीमती गुरशरण कौर, भी उनके साथ हमेशा से सहायक रही हैं।