Edible Oil Prices hike India : आपकी रसोई का जायका जल्द ही बिगड़ने वाला है, क्योंकि खाने के तेल की कीमतें आपकी जेब पर भारी पड़ने वाली हैं। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई ऐतिहासिक गिरावट और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों ने आम जनता को महंगाई का एक और तगड़ा झटका देने की तैयारी कर ली है।
खाने के तेल को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है जो सीधे आम आदमी की जेब से जुड़ी है। लोगों के लिए आने वाला वक्त थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है क्योंकि खाने का तेल जल्द ही महंगा होने के पूरे आसार हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो किचन के लिए बुरा वक्त आने की आशंका है, जिससे लोगों के घर का बजट बिगड़ सकता है।
‘क्यों महंगा होगा तेल?’
इसकी सबसे बड़ी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होना है। दरअसल, भारत अपनी जरूरत का करीब 60% खाद्य तेल विदेशों से खरीदता है। जब हम इतनी बड़ी मात्रा में बाहर से सामान खरीदते हैं, तो उसका भुगतान डॉलर में करना पड़ता है।
अब चूंकि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो गया है, तो भारत को तेल आयात करने के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। रुपये की यह गिरावट सीधे तौर पर तेल की कीमतों पर असर डालने वाली है।
इसका आम आदमी पर सीधा असर यह होगा कि बाहर से आने वाला हर सामान, खासकर आपकी रसोई में इस्तेमाल होने वाला जरूरी खाद्य तेल, अब ज्यादा कीमती हो जाएगा।
‘रुपये में ऐतिहासिक गिरावट’
हालात कितने गंभीर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले 6 महीनों में रुपये में करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई है और यह अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेडिंग की शुरुआत में ही रुपया डॉलर के मुकाबले लुढ़ककर 90.56 के स्तर तक पहुंच गया था।
‘अरबों का आयात बिल’
भारत की विदेशों पर निर्भरता के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पिछले साल देश ने करीब 160 लाख टन खाद्य तेल आयात किया था। इसकी कुल कीमत लगभग 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपये रही थी। अब एक तरफ रुपया कमजोर है और दूसरी तरफ इंटरनेशनल मार्केट में भी तेलों के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में इन दोनों कारकों के मिलने से घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।
‘इन तेलों के दाम बढ़ेंगे’
फिलहाल बाजार में रिफाइंड और कच्चे तेल दोनों की कीमतों में तेजी बनी हुई है। एक्सपर्ट्स का साफ मानना है कि अगर रुपया इसी तरह कमजोर होता रहा, तो आने वाले हफ्तों में सरसों, सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं। यह महंगाई सिर्फ किचन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि कुल महंगाई पर भी इसका दबाव देखने को मिलेगा। हालांकि, कीमतों में कितना इजाफा होगा यह अभी तय नहीं है, लेकिन मार पड़नी तय मानी जा रही है।
‘जानें पूरा मामला: क्यों गिरा रुपया?’
रुपये पर दबाव बढ़ने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डिफेंस (रक्षा) और पुराने कर्जों के ब्याज भुगतान के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर खरीदे गए थे। इसके अलावा तेल कंपनियों की ओर से भी डॉलर की डिमांड बढ़ी, जिससे दबाव और बढ़ गया। डीलर्स का कहना है कि ट्रेड डील पर कोई सकारात्मक संकेत न मिलने और कम लिक्विडिटी से भी व्यापारी निराश हैं, जिसका असर रुपये पर पड़ा है।
मुख्य बातें (Key Points)
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डॉलर के मुकाबले रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने से खाने का तेल महंगा होगा।
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भारत अपनी जरूरत का 60% खाद्य तेल विदेशों से आयात करता है, जो अब महंगा पड़ेगा।
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आने वाले हफ्तों में सरसों, सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल के दाम बढ़ने के आसार हैं।
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रुपये की कमजोरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतें एक साथ महंगाई बढ़ाएंगी।






