असम,16 जुलाई (The News Air): असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर एक्टिव मोड में दिखाई दे रही है और उसने कुछ हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया और पूछा कि वे सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन क्यों नहीं कर रहे हैं? इसके जवाब में लोगों का कहना है कि उन्हें सीएए पर यकीन नहीं है. वहीं, उसने अपनी सीमा पुलिस यूनिट को आदेश दिया है कि वह गैर-मुस्लिम अवैध प्रवासियों के मामलों को विदेशी न्यायाधिकरण को न भेजे.
असम की बॉर्डर यूनिट को दिया ये आदेश
असम सरकार ने अपनी सीमा पुलिस यूनिट से कहा है कि वह 2015 से पहले राज्य में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिमों को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने की सलाह दें. स्पेशल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (बॉर्डर) को लिखे पत्र में होम एंड पॉलिटिकल सचिव पार्थ प्रतिम मजूमदार ने सीएए का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ‘2014 तक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आने वाले सभी गैर-मुस्लिम अप्रवासी भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पात्र हैं.’ये पत्र 5 जुलाई को जारी किया गया था. असम पुलिस की बॉर्डर विंग से कहा गया है कि वह 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदायों के व्यक्तियों के मामलों को सीधे विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) को न भेजें. मजूमदार ने कहा कि ऐसे लोगों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे नागरिकता पोर्टल पर अप्लाई करें ताकि केंद्र सरकार उनके आवेदन पर विचार कर सके. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, यह सुविधा उन लोगों को उपलब्ध नहीं होगी जो 31 दिसंबर, 2014 के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से असम में आए हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो.’
पत्र मानदंडों के अनुसार- सीएम सरमा
सीएम सरमा ने कहा कि यह पत्र मानदंडों के अनुसार जारी किया गया था. सरमा ने यह भी कहा कि 2015 या उसके बाद असम आने वाले किसी भी व्यक्ति को उसके मूल देश वापस भेजा जाएगा. असम समझौते के अनुसार, 25 मार्च 1971 या उसके बाद राज्य में आने वाले सभी विदेशियों के नाम का पता लगाया जाएगा और उन्हें मतदाता सूची से हटाया जाएगा और उन्हें निर्वासित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.