Indian Deportation from USA: पंजाब में विदेश में नौकरी करने और वहीं बसने का सपना रखने वालों की संख्या हमेशा अधिक रही है। हर साल हजारों युवा अमेरिका, कनाडा और यूरोप जाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। लेकिन जब यह सपना टूटता है, तो उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। बुधवार को अमेरिका से निर्वासित (Deport) होकर लौटे 104 भारतीयों ने शायद कभी नहीं सोचा था कि उन्हें बेड़ियों और हथकड़ियों में जकड़कर वापस भेजा जाएगा। इनमें 30 पंजाबी युवक भी शामिल थे, जिन्होंने डंकी रूट (Dunki Route) के जरिए अमेरिका जाने की कोशिश की थी। इन युवाओं की दर्दनाक कहानियां अब सबके सामने आ रही हैं।
अमेरिका जाने की चाह में गंवाए 45 लाख रुपये
फतेहगढ़ साहिब (Fatehgarh Sahib) के सब डिवीजन अमलोह (Amloh) के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh) कुछ महीने पहले यूरोप के वीजा पर विदेश गए थे। वहां से वे मैक्सिको बॉर्डर (Mexico Border) पार कर अमेरिका में दाखिल होना चाहते थे, लेकिन बॉर्डर पर ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, जसविंदर के पिता मंडी गोबिंदगढ़ (Mandi Gobindgarh) में मिठाई की दुकान चलाते हैं और दूध का भी छोटा-मोटा कारोबार करते हैं। जसविंदर ने अमेरिका जाने के लिए अपनी सारी जमा पूंजी झोंक दी, लेकिन 45 लाख रुपये गंवाने के बाद भी वे अपने सपने को पूरा नहीं कर सके। जनवरी में मैक्सिको बॉर्डर पर गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें वापस भारत भेज दिया गया।
आठ माह पहले निकले थे घर से, डिटेंशन कैंप में बिताया समय
टांडा (Tanda) के दो युवक भी इस निर्वासन (Deportation) का शिकार बने। इनमें से एक ने एक माह पहले अमेरिका में प्रवेश किया था, जबकि दूसरा आठ महीने पहले इटली (Italy) गया था, लेकिन वह अमेरिका कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
हरविंदर सिंह (Harvinder Singh), जो टाहली (Tahli) गांव के निवासी हैं, पिछले महीने ही अमेरिका पहुंचे थे। लेकिन उन्हें अवैध प्रवेश के चलते गिरफ्तार कर डिटेंशन कैंप (Detention Camp) में डाल दिया गया। उनकी पत्नी कुलजिंदर कौर (Kuljinder Kaur) ने बताया कि उनके पति को एक एजेंट ने 42 लाख रुपये लेकर अमेरिका भेजने का वादा किया था, लेकिन वे धोखे से उन्हें डंकी रूट के जरिए भेज दिया।
जमीन बेचकर बेटे को भेजा अमेरिका, डिपोर्ट होकर लौटा
अमृतसर (Amritsar) के सीमावर्ती गांव राजाताल (Rajatal) के निवासी स्वर्ण सिंह (Swarn Singh) ने अपने बेटे आकाशदीप सिंह (Aakashdeep Singh) को अमेरिका भेजने के लिए 18 लाख रुपये कर्ज लिए और अपनी जमीन तक बेच दी।
आकाशदीप दुबई (Dubai) होते हुए मैक्सिको गया और वहां से अमेरिका पहुंचा, लेकिन सीमा पार करते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। सात महीने तक डिटेंशन कैंप में रहने के बाद वह अन्य 104 भारतीयों के साथ डिपोर्ट कर दिया गया।
एजेंट को 60 लाख रुपये देकर पति को भेजा था अमेरिका
चरणजीत कौर (Charanjit Kaur) अपने पति दिलेर सिंह (Diler Singh) को लेने अमृतसर एयरपोर्ट (Amritsar Airport) पर पहुंचीं। उन्होंने बताया कि उनके पति अमृतसर में बस चलाते थे। एजेंट ने 60 लाख रुपये लेकर उन्हें पहले दुबई भेजा, फिर आगे अमेरिका। लेकिन वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पिता ने घर गिरवी रखकर बेटे को भेजा अमेरिका
सुल्तानपुर लोधी (Sultanpur Lodhi) के गांव तरफ बहबल बहादुर के गुरप्रीत सिंह (Gurpreet Singh) को भी डिपोर्ट कर दिया गया। उनके पिता तरसेम सिंह (Tarsem Singh) ने बेटे को अमेरिका भेजने के लिए घर तक गिरवी रख दिया और 42 लाख रुपये जुटाए। लेकिन अब उनका बेटा वापस लौट आया है और उनके सिर पर कर्ज का भारी बोझ है।
41 लाख खर्च कर बेटे को भेजा विदेश, डिपोर्ट होकर लौटा
मोहाली (Mohali) के गांव जडौत (Jadaut) के 23 वर्षीय प्रदीप (Pradeep) भी अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटा है। उनके परिवार ने जमीन बेचकर और कर्ज लेकर 41 लाख रुपये खर्च किए थे। बॉर्डर पुलिस ने उसे पकड़ लिया और अब वह वापस अपने गांव लौट आया है।
सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
इन कहानियों से साफ जाहिर होता है कि पंजाब में बेरोजगारी और विदेश जाने की होड़ युवाओं को गलत रास्ते पर धकेल रही है। जरूरत है कि सरकार इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई करे और लोगों को सही दिशा में रोजगार उपलब्ध कराए, ताकि वे अवैध तरीकों से विदेश जाकर अपने भविष्य को खतरे में न डालें।