नई दिल्ली,21 नवंबर (The News Air): प्रतियोगी परीक्षाओं में भाषा और व्याकरण का महत्व किसी से छुपा नहीं है। खासतौर पर क्षेत्रीय मुहावरे, जो हमारे रोजमर्रा की भाषा को रोचक और प्रभावशाली बनाते हैं, अक्सर परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। ये न केवल हमारी अभिव्यक्ति को सशक्त बनाते हैं, बल्कि कठिन सवालों के उत्तर देने में भी मदद करते हैं। इस लेख में हमने कुछ महत्वपूर्ण और क्षेत्रीय मुहावरों को उनके अर्थ और विस्तार के साथ समझाया है, ताकि आप इन्हें याद कर आसानी से परीक्षा में सही उत्तर दे सकें। चाहे वो UPSC हो SSC, बैंकिंग या अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं, ये मुहावरे आपको दूसरों से एक कदम आगे बढ़ा सकते हैं।
मुहावरा- “आंधी में दिया जलाना” (उत्तर प्रदेश)
मुहावरे का अर्थ: बहुत कठिन परिस्थितियों में कोई बड़ा काम करना। यह मुहावरा उन हालातों को दर्शाता है जहां व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी साहस और धैर्य से अपना काम करता है। जैसे, कोई छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखे, भले ही उसके पास संसाधन न हों।
मुहावरा- “गुरु गुड़, चेला चीनी” (राजस्थान)
मुहावरे का अर्थ: शिष्य अपने गुरु से भी आगे निकल जाए। यह मुहावरा उस स्थिति में उपयोग होता है जब कोई व्यक्ति अपने शिक्षक, मार्गदर्शक या प्रेरणास्रोत से बेहतर प्रदर्शन करता है। यह ज्ञान के विकास और प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है।
मुहावरा- “कानी कुतिया काबुल गई, पूंछ गई न ऊंच” (बिहार)
मुहावरे का अर्थ: बुरी आदतें आसानी से नहीं छूटतीं। यह मुहावरा किसी की जिद्दी या स्थायी आदतों को बताने के लिए उपयोग किया जाता है। चाहे व्यक्ति कहीं भी चला जाए, उसकी आदतें नहीं बदलतीं।
मुहावरा- “चूल्हे में धुआं नहीं और पकरो आसमान” (मध्य प्रदेश)
मुहावरे का अर्थ: अपनी स्थिति के विपरीत बड़ी-बड़ी बातें करना। यह मुहावरा उस स्थिति को इंगित करता है जब कोई व्यक्ति अपनी वास्तविकता से परे महत्वाकांक्षा दिखाने की कोशिश करता है।
मुहावरा- “ऊंट के पांव में घी, न निगलते बने न उगलते” (राजस्थान)
मुहावरे का अर्थ: ऐसी स्थिति में फंसना जहां कुछ भी करना मुश्किल हो। यह मुहावरा बताता है कि जब व्यक्ति किसी दुविधा में होता है और कोई निर्णय लेना कठिन हो जाता है।