Ayurveda Alkaline Water Tips : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद को फिट रखने के लिए तरह-तरह के ट्रेंड्स को फॉलो कर रहे हैं। कोई डिटॉक्स वॉटर (Detox Water) पी रहा है, तो कोई महंगी बोतलों में बंद अल्कलाइन वॉटर (Alkaline Water) पर हजारों रुपए खर्च कर रहा है। लेकिन क्या ये सब वाकई आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है? चंडीगढ़ स्थित ‘वर्धन आयुर्वेदिक एंड हर्बल मेडिसिन्स’ के फाउंडर और प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य Subhash Goyal ने इन मॉर्डन हेल्थ ट्रेंड्स की पोल खोल दी है और सही पानी पीने का वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक तरीका बताया है।
पानी का ‘सत्यानाश’ कर रहे हैं लोग
सुभाष गोयल का कहना है कि आज के दौर में लोग पानी के साथ नए-नए प्रयोग करके उसका ‘सत्यानाश’ कर रहे हैं। पहले पानी को घड़े से निकालते हैं, फिर फ्रिज में रखते हैं, फिर प्लास्टिक की बोतलों में डालते हैं, और अंत में उसे ‘अल्कलाइन’ बनाने के नाम पर उसमें गाजर, खीरा और तरह-तरह की चीजें मिला देते हैं। जबकि हमारा शरीर 70% पानी से बना है और उसे प्राकृतिक रूप में ही पानी की जरूरत होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इतनी सारी रेसिपी डालकर पानी पीने की कोई जरूरत नहीं है।
सबसे सस्ता और बेस्ट अल्कलाइन वाटर: घड़े का पानी
अगर आप वाकई अल्कलाइन और शुद्ध पानी पीना चाहते हैं, तो उसका सबसे आसान और सस्ता उपाय है—मिट्टी का घड़ा। सुभाष गोयल बताते हैं कि उन्होंने बड़े-बड़े अमीरों को भी यही सलाह दी है कि अगर आप अमीर हैं, तो चांदी के स्टैंड पर घड़ा रख लीजिए, लेकिन पिएं घड़े का ही पानी। घड़े का पानी प्राकृतिक रूप से अल्कलाइन होता है और यह शरीर के लिए अमृत समान है।
कांच की बोतल और तुलसी का कमाल
जो लोग घड़ा नहीं रख सकते, उनके लिए आयुर्वेदाचार्य ने एक और बेहतरीन नुस्खा बताया है। एक कांच की बोतल में पानी भरें और उसमें तुलसी की 10 पत्तियां डाल दें। बस, इससे बेहतर और सस्ता अल्कलाइन वॉटर कुछ नहीं हो सकता। आजकल कई बड़े 5-स्टार और 7-स्टार होटल्स भी इस नियम को अपना रहे हैं। यह पानी न सिर्फ शुद्ध होता है, बल्कि शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में भी मदद करता है।
3 लाख का च्यवनप्राश: क्या है इसमें खास?
वीडियो में एक और हैरान करने वाला खुलासा हुआ—3 लाख रुपए का च्यवनप्राश! जब एंकर तानिया मित्तल ने बताया कि उन्होंने सुभाष गोयल के सेंटर से दो डिब्बे खरीदे जिनका बिल 3 लाख रुपए आया, तो हर कोई दंग रह गया। इस पर सुभाष गोयल ने समझाया कि यह कोई साधारण च्यवनप्राश नहीं, बल्कि ‘अष्टवर्ग च्यवनप्राश’ है, जिसे प्राचीन ग्रंथों और च्यवन ऋषि की असली विधि से बनाया गया है। यह च्यवनप्राश शरीर के 360 जोड़ों (Joints) को मजबूत करता है, 72,000 नाड़ियों को दुरुस्त करता है, और फैटी लिवर से लेकर माइग्रेन तक में फायदेमंद है। यह सिर्फ सर्दी-जुकाम के लिए नहीं, बल्कि इम्यूनिटी को लोहे जैसा मजबूत बनाने के लिए है।
विश्लेषण: प्रकृति की ओर लौटने का समय
सुभाष गोयल की बातें हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि हम स्वास्थ्य के नाम पर बाज़ारवाद के जाल में कैसे फंसते जा रहे हैं। डिटॉक्स वॉटर और फैंसी बोतलों के पीछे भागने की बजाय, अगर हम अपनी भारतीय परंपराओं—जैसे मटका, तांबा या तुलसी—को अपनाएं, तो न सिर्फ पैसे बचेंगे, बल्कि सेहत भी बेहतर होगी। 3 लाख का च्यवनप्राश भले ही आम आदमी की पहुंच से बाहर हो, लेकिन ‘तुलसी वाला पानी’ और ‘घड़े का पानी’ हर कोई अपना सकता है। यह वीडियो एक ‘Eye Opener’ है जो बताता है कि असली स्वास्थ्य फैंसी ट्रेंड्स में नहीं, बल्कि सादगी और प्रकृति में है।
जानें पूरा मामला
यह चर्चा एक पॉडकास्ट के दौरान हुई जहां एंकर तानिया मित्तल ने अपनी ‘डाइट’ और ‘डिटॉक्स वाटर’ के रूटीन के बारे में बताया। इसके जवाब में आयुर्वेदाचार्य सुभाष गोयल ने इन तरीकों को खारिज करते हुए आयुर्वेद के सरल सिद्धांतों को समझाया। उन्होंने पानी के प्राकृतिक गुणों को बनाए रखने और इम्यूनिटी के लिए सही च्यवनप्राश के महत्व पर जोर दिया।
मुख्य बातें (Key Points)
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डिटॉक्स और अल्कलाइन वॉटर के नाम पर पानी के साथ छेड़छाड़ करना गलत है।
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मिट्टी के घड़े का पानी सबसे बेहतरीन और नेचुरल अल्कलाइन वॉटर है।
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कांच की बोतल में 10 तुलसी के पत्ते डालकर पानी पीना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
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असली ‘अष्टवर्ग च्यवनप्राश’ इम्यूनिटी, जोड़ों के दर्द और नर्वस सिस्टम के लिए राम बाण है।
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पानी को प्लास्टिक की बोतलों में रखने से बचें, कांच या मिट्टी का उपयोग करें।






