Kartik Purnima 2025 : कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाती है, जो इस साल 5 नवंबर 2025 को है। यह पूरा महीना भगवान विष्णु की उपासना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग में इसे वर्ष की सबसे पावन पूर्णिमा कहा गया है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का संहार किया था, इसलिए इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। साथ ही, यह भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार के प्रकट होने का भी शुभ दिन है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस पावन दिन पर कुछ गलतियों से बचना चाहिए, वरना भगवान का आशीर्वाद नहीं मिलता।
1. तामसिक भोजन से परहेज
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूल से भी तामसिक भोजन जैसे मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इन चीजों का सेवन इस दिन बहुत अशुभ माना गया है।
2. सुबह देर तक न सोएं
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने और भगवान की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देर से उठने पर दिन का शुभ प्रभाव कम हो जाता है।
3. क्रोध या बहस से बचें
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मन को शांत रखना बहुत जरूरी होता है। इस दिन किसी से झगड़ा करना, अपशब्द कहना या बुरा व्यवहार करने से पूजा का फल घट जाता है।
4. तुलसी के पत्ते न तोड़ें
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूल से भी तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। इस दिन तुलसी माता की पूजा की जाती है।
5. दीपक जलाना न भूलें
कार्तिक पूर्णिमा की शाम को ही देव दिवाली का उत्सव भी मनाया जाता है। इसलिए, इस दिन शाम के समय भगवान विष्णु और भगवान शिव के नाम से दीपक अवश्य जलाएं। इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है।
6. दान-पुण्य जरूर करें
कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इस दिन किसी को भी अपने दरवाजे से खाली हाथ न लौटाएं और ना ही किसी गरीब या जरूरतमंद का अपमान करें। ऐसा करने से भी भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
मुख्य बातें (Key Points):
- कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी, इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं।
- इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन) का सेवन नहीं करना चाहिए।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है।
- शाम को देव दिवाली के उपलक्ष्य में दीपक जरूर जलाएं और दान-पुण्य करें।






