Devvrat Mahesh Rekhe News: काशी की पवित्र धरती पर एक ऐसा कीर्तिमान रचा गया है, जिसे पिछले 200 सालों में कोई दिग्गज नहीं कर पाया था। महाराष्ट्र के अहिल्या नगर प्रांत के रहने वाले 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे घनपाठी ने वेदों के सबसे कठिन माने जाने वाले ‘दंडक्रम पारायण’ को महज 50 दिनों में पूरा कर इतिहास रच दिया है। उनकी इस अद्भुत उपलब्धि पर संतों ने उन्हें ‘दंडक्रम विक्रमादित्य’ की उपाधि दी है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की है।
200 साल बाद काशी में दोहराया गया इतिहास
काशी के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब दंडक्रम का पारायण संपन्न हुआ है। इससे पहले 200 साल पूर्व नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने यह कीर्तिमान हासिल किया था। पद्मश्री गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के अनुसार, देवव्रत ने 2 अक्टूबर को वल्लभ राम शालिग्राम सांगवेद विद्यालय में पारायण की शुरुआत की थी और 30 नवंबर को इसकी पूर्णाहुति हुई। इस दौरान उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यांदिनी शाखा के 2000 मंत्रों को कंठस्थ कर सुनाया।
क्या है दंडक्रम पारायण?
दंडक्रम पारायण वैदिक पाठ का मुकुट माना जाता है। इसमें जटिल स्वर श्रृंखला और कठिन ध्वनात्मक क्रम यानी सुरों में परिवर्तन के साथ मंत्रों का उच्चारण होता है। यह वेदों की आठ विकृतियों में से एक है, जिसमें मंत्रों का अनुलोम-विलोम के रूप में पारायण किया जाता है। इस शाखा के 2000 मंत्रों के दंडक्रम पारायण को 2 लाख से अधिक बार पारायण के बराबर माना जाता है। इतनी कम उम्र में इस कठिन कार्य को पूरा करना किसी प्रखर बुद्धि और तेजस्वी छात्र के लिए ही संभव था।
50 दिन की कठोर तपस्या
देवव्रत महेश रेखे ने बताया कि उन्होंने 17 साल की उम्र में वेद पढ़ना शुरू किया था। दंडक्रम के अध्ययन के लिए आमतौर पर 5 साल का समय लगता है, लेकिन गुरु कृपा से उन्होंने इसे डेढ़ साल में ही पूरा कर लिया। 50 दिनों तक चले इस पारायण के दौरान वे रोज सुबह 8 बजे से 11:30 बजे तक 3-3 घंटे अध्ययन करते थे। कभी-कभी तो उन्हें 5-6 घंटे लगातार बैठना पड़ता था। जब ग्रंथ समाप्त नहीं हो रहा था, तो उन्होंने भगवती और गुरुजनों से प्रार्थना की और कठोर परिश्रम जारी रखा।
पीएम मोदी और सीएम योगी ने की तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट ‘X’ पर देवव्रत की उपलब्धि की तारीफ करते हुए लिखा कि यह सफलता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर व्यक्ति के लिए यह गर्व की बात है। पीएम मोदी ने कहा कि काशी का सांसद होने के नाते उन्हें गर्व है कि यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संभव हुई।
वहीं, नमो घाट पर आयोजित काशी तमिल संगमम के मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवव्रत महेश रेखे को सम्मानित किया। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विद्यासागर भारती जी महाराज ने उन्हें स्वर्ण आभूषण और 1,11,000 रुपये की सम्मान राशि प्रदान की। श्रृंगेरी मठ में भी उनका नागरिक अभिनंदन किया गया।
युवाओं के लिए संदेश
आज के युवा जहाँ पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं देवव्रत ने एक मिसाल पेश की है। उनका संदेश है कि आप जिस भी कार्य में लगे हैं, उसमें मेहनत और लगन से काम करें, लेकिन अपने मूल यानी वेद धर्म को कभी न भूलें। अध्ययन करते रहें और गुरु की सेवा करते रहें।
मुख्य बातें (Key Points)
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19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे ने 50 दिनों में 2000 वेदमंत्रों का दंडक्रम पारायण पूरा किया।
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काशी में 200 साल बाद यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल की गई है।
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पीएम मोदी ने इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया।
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सीएम योगी और शंकराचार्य ने देवव्रत को सम्मानित किया।
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दंडक्रम पारायण वैदिक पाठ की सबसे कठिन विधाओं में से एक है।






