नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (The News Air)
कोरोना (Corona) के मामले भले ही राहत दे रहे हों लेकिन डेंगू (Dengue) का ख़तरा लगातार बढ़ता जा रहा है. इस बार ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें मरीज़ डेंगू के डेन टू स्ट्रेोन (DEN 2 Strain) से संक्रमित पाया गया है. बता दें कि डेंगू का ये स्ट्रे न सबसे ज़्यादा ख़तरनाक होता है. इस स्ट्रेन से संक्रमित मरीज़ को डेंगू दिमाग़ी बुख़ार (Dengue Hemorrhagic Fever) या फिर डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue Shock Syndrome) भी हो सकता है. इस स्ट्रेnन के मरीज़ों की हालत बेहद नाज़ुक होती है. विशेषज्ञों के मुताबिक़ डेन टू स्ट्रेहन काफ़ी ख़तरनाक होता है, जिसमें बुख़ार, उल्टी, जोड़ों के दर्द, अल्टर्ड सेंसेरियम जैसी समस्याएं होती हैं.
विशेषज्ञों के मुताबिक़, डेन टू स्ट्रे न से संक्रमित मरीज़ में डेंगू दिमाग़ी बुख़ार और डेंगू शॉक सिंड्रोम हो सकता है. इसके लक्षण को पहचानना काफ़ी आसान है. इस तरह से स्ट्रेरन के मरीज़ में त्वचा पर लाल चकत्ते और दाने तेज़ी से उभरने लगते हैं और मरीज़ की नब्ज़ काफ़ी धीमी हो जाती है. संक्रमण के चलते नर्वस सिस्टम ख़राब हो जाता है और मरीज़ सदमें की हालत में पहुंच जाता है. इस बार कोरोना संक्रमण के बीच डेंगू के जो मरीज़ सामने आए हैं, उनमें डेन टू स्ट्रेन के मरीज़ भी मिल रहे हैं. मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज की प्रफेसर डॉ. सुनील गर्ग कहती हैं कि डेंगू के डेन 1, डेन 2, डेन 3 और डेन 4, चार स्टेज होते हैं. इन सभी स्ट्रेन में सबसे ज़्यादा ख़तरनाक डेन 2 को ही माना जाता है क्योंकि इसमें हेमरेजिक फीवर हो जाता है, प्लेटलेट्स बेहद तेज़ी से गिरती हैं.
इस स्ट्रेन से संक्रमित मरीज़ को डिहाइड्रेशन होने लगता है और उसके कई हिस्सों से ब्लीडिंग भी होने लगती है. अगर समय पर मरीज़ का इलाज नहीं किया जाए तो उसकी मौत हो सकती है. यह शॉक सिंड्रोम की भी एक वजह है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी को डेंगू हो चुका है और वह आराम से रिकवर कर लिया है तो उसे दूसरी बार डेंगू का ख़तरा पहले से कहीं ज़्यादा होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक़ क्योंकि डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं इसलिए इनका ख़तरा भी अलग-अलग होता है. किसी भी इंसान को चार बार डेंगू हो सकता है. जिस स्ट्रेन से वह संक्रमित होगा, उस स्ट्रेन का डेंगू उसे दोबारा नहीं होगा क्योंकि शरीर में उस स्ट्रेन की एंटीबॉडीज़ बन जाएंगी जो लंबे समय तक चलेगी.
राजधानी दिल्ली में डेंगू के मरीज़ों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. मरीज़ों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पतालों में कोविड बेड को डेंगू मरीज़ों के लिए रखा गया है. ज़्यादातर अस्पतालों में कोविड मरीज़ों के लिए रिज़र्व 30 प्रतिशत बेड को कम करके 10 प्रतिशत कर दिया गया है लेकिन अब इसे डेंगू के मरीज़ों के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
डेंगू से ठीक होने पर क्या करें
– बैलेंस डाइट के साथ नींबू पानी और ओआरएस घोल कुछ दिन तक लेते रहें
– अनार, संतरा और गन्ने का रस पीना ख़ून की मात्रा बढ़ाने के लिए ज़रूरी है.
– अंडा, चिकन और मछली खाना फायदेमन्द है.
क्या ना करें
– मच्छरदानी लगाए बिना न सोएं, इससे संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी.
– ऐसा ना सोचें कि दोबारा डेंगू नहीं हो सकता है, ये केवल भ्रम है.
– हैवी एक्सरसाइज़ या हैवी काम न करें. जंक फूड बिल्कुल ना खाएं.