नई दिल्ली, 30 अगस्त (The News Air) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली सेवा अधिनियम ने अधिकारियों को दिल्ली की चुनी हुई सरकार के लिखित आदेशों के खिलाफ खुलेआम विद्रोह करने का लाइसेंस दे दिया है।
केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट किया, “दिल्ली सेवा अधिनियम अधिकारियों को निर्वाचित सरकार के लिखित आदेशों के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह करने का लाइसेंस देता है। अधिकारी निर्वाचित मंत्रियों के आदेशों को मानने से इनकार करने लगे हैं। क्या कोई राज्य, देश या संस्था ऐसे हालात में काम कर सकती है? यह अधिनियम दिल्ली को नुकसान पहुंचाएगा, और यही भाजपा चाहती है। इस अधिनियम को जल्द से जल्द रद्द करने की जरूरत है।”
इससे पहले दिन में दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि अधिकारी खुलेआम दिल्ली सरकार के खिलाफ बगावत कर रहे हैं। एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए आतिशी ने कहा कि पहले मुख्य सचिव ने उनके आदेश पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था और अब वित्त सचिव ने 40 पेज का पत्र लिखकर उनके निर्देश का पालन करने से इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा, “आदेशों का विरोध करने के बारे में पहले अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान अब सच होते दिख रहे हैं। दिल्ली में मुख्य सचिव के बाद वित्त सचिव ने भी 40 पेज का पत्र लिखकर सरकार के आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया है। दिल्ली सेवाओं के संदर्भ में अधिनियम, सभी सरकारी गतिविधियों में बाधा डालने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “मैं फिर से पूछना चाहती हूं : क्या केंद्र सरकार ने दिल्ली में अधिकारियों को चुनी हुई सरकार के आदेशों को अस्वीकार करने और लोकतंत्र को कमजोर करने का निर्देश दिया है? क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेशों में उल्लिखित ‘जवाबदेही की ट्रिपल चेन’ की धारणा का कोई महत्व नहीं है?”
आतिशी ने कहा कि वित्त सचिव को दिया गया आदेश जीएसटी रिफंड से जुड़े एक अदालती मामले से संबंधित है। यह आदेश पहले तत्कालीन वित्तमंत्री कैलाश गहलोत और बाद में उनके द्वारा जारी किया गया था।
उन्होंने पूछा, “अब, यदि अधिकारी नियमित सरकारी प्रक्रियाओं से संबंधित निर्वाचित सरकार के आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो सरकार प्रभावी ढंग से लोगों के हितों की सेवा कैसे करेगी?”