Delhi Red Fort Blast : दिल्ली एक बार फिर दहल गई है। 10 नवंबर 2025 की शाम 6 बजकर 52 मिनट पर लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक के पास हुआ एक भीषण कार धमाका 13 मासूम जिंदगियों को निगल गया। इस आतंकी हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
यह धमाका इतना जबरदस्त था कि इसकी गूंज ढाई किलोमीटर दूर आईटीओ तक सुनाई दी।
यह पूरी घटना तब शुरू हुई जब शाम 6:45 बजे एक i20 कार सुनहरी मस्जिद पार्किंग लॉट से निकली और लाल किले के सामने वाली सड़क पर आकर रेड लाइट पर रुकी। कुछ ही सेकंड बाद कार में एक भीषण विस्फोट हो गया।
कितना भयंकर था यह धमाका?
विस्फोट की तीव्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आसपास खड़ी छह कारें और तीन ऑटो-रिक्शा तुरंत आग के गोले में बदल गए।
आसपास की स्ट्रीट लाइटें बुझ गईं और मेट्रो स्टेशन के गेट पर लगे मोटे शीशे चकनाचूर हो गए।
धमाके वाली कार का मलबा 150 मीटर दूर तक जाकर गिरा। मौके पर मौजूद दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी तेज आवाज कभी नहीं सुनी थी।
इस हादसे में आम लोग ही आम लोगों के काम आए। चांदनी चौक के स्थानीय लोगों ने एंबुलेंस आने का इंतजार किए बिना, घायलों को ई-रिक्शा से लोकनायक जयप्रकाश (LNJP) हॉस्पिटल पहुंचाना शुरू कर दिया।
UAPA के तहत केस, NIA कर रही जांच
देर रात करीब 10 बजे गृह मंत्री अमित शाह ने पहले घायलों से अस्पताल में मुलाकात की और फिर ब्लास्ट साइट का जायजा लिया।
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तुरंत UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) के तहत FIR दर्ज कर ली, जो यह स्पष्ट करता है कि सरकार इसे एक आतंकी हमला मानकर चल रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भूटान से दिए अपने भाषण में इसे एक “साजिश” करार दिया और कहा कि “षड्यंत्रकारियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
मामले की गंभीरता को देखते हुए, पूरी जांच देश की टॉप काउंटर-टेररिज्म एजेंसी, NIA (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) को सौंप दी गई है।
i20 कार और उसके कई मालिक
शुरुआती जांच में कार के नंबर प्लेट (HR26 CE7674) से कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। यह कार हरियाणा के गुड़गांव में रहने वाले मोहम्मद सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
जब पुलिस ने सलमान को हिरासत में लिया, तो पता चला कि उसने यह गाड़ी दिल्ली के ओखला निवासी देवेंद्र को बेच दी थी।
इसके बाद यह गाड़ी अंबाला में किसी तीसरे शख्स को बेची गई और फिर वहां से यह किसी और के पास गई। कार के इतने सारे मालिकों ने इस केस को और भी उलझा दिया है।
क्या है फरीदाबाद का ‘डॉक्टर’ कनेक्शन?
इस ब्लास्ट के तार सीधे तौर पर फरीदाबाद में 10 नवंबर को ही हुई एक बड़ी आतंकी साजिश के खुलासे से जुड़ रहे हैं।
दिल्ली ब्लास्ट से कुछ ही घंटे पहले, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने एक जॉइंट ऑपरेशन में दो कश्मीरी डॉक्टरों, डॉ. आदिल मजीद रादर और डॉ. मुजामिल अहमद गनाई, को गिरफ्तार किया था।
ये दोनों डॉक्टर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अल-कायदा से जुड़े अंसर गजवातुल हिंद (AGH) के लिए काम कर रहे थे।
3000 किलो विस्फोटक और AK-47
डॉ. आदिल को सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद अनंतनाग के एक मेडिकल कॉलेज में उसके लॉकर से एक AK-47 राइफल बरामद हुई।
आदिल से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस फरीदाबाद की अल-फला यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले डॉ. मुजामिल तक पहुंची।
मुजामिल को जब हिरासत में लेकर फरीदाबाद के एक गांव में उसके किराए के घर पर छापा मारा गया, तो जांच एजेंसियों के होश उड़ गए।
वहां से लगभग 3000 किलो से ज्यादा विस्फोटक (अमोनियम नाइट्रेट होने का शक) बरामद हुआ।
इसके साथ ही, एक वॉकी-टॉकी, 20 टाइमर, बैटरियां, रिमोट, 5 किलो हेवी मेटल्स और एक क्रिंक राइफल भी मिली। यह साफ था कि यह किसी बड़ी तबाही की तैयारी थी।
‘फरार’ डॉ. उमर, जो i20 चला रहा था
जांच से पता चला है कि इस टेरर मॉड्यूल में इन दोनों के अलावा दो और डॉक्टर शामिल थे। इनमें से एक लखनऊ की महिला डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन एक चौथा डॉक्टर, डॉ. उमर नबी, अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद से ही फरार हो गया था।
अब पूरा शक इसी डॉ. उमर नबी पर है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई i20 कार आखिरी बार उमर के पास ही थी और धमाके से पहले वही इसे चला रहा था।
माना जा रहा है कि अपने साथियों की गिरफ्तारी से उमर घबरा गया और उसने “पैनिक और डेस्परेशन” में आकर इस धमाके को जल्दबाजी में अंजाम दे दिया।
क्या मारे गए लोगों में शामिल है आतंकी उमर?
ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ बम “लूजली असेंबल्ड” (ढीले-ढाले तरीके से बनाया गया) था और पूरी तरह विकसित नहीं हुआ था, जिसके कारण इसका इंपैक्ट “लिमिटेड” रहा।
पुलिस को शक है कि कार चलाते वक्त डॉ. उमर खुद भी इस ब्लास्ट में मारा गया।
इस बात की पुष्टि करने के लिए, उमर की मां का डीएनए सैंपल लिया गया है, जिसे ब्लास्ट में मारे गए अज्ञात लोगों के डीएनए से मैच किया जाएगा।
ब्लास्ट में मारे गए आम लोग
इस आतंकी हमले ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। मारे गए 13 लोगों में से 6 की पहचान हो पाई है:
- लोकेश अग्रवाल (उत्तर प्रदेश): दिल्ली में अस्पताल में भर्ती अपने बेटे की सास से मिलने आए थे।
- अशोक कुमार (अमरोहा): DTC के बस कंडक्टर थे, जो ड्यूटी खत्म करके घर जा रहे थे।
- पंकज सैनी: एक कैब ड्राइवर थे।
- दिनेश मिश्रा: चांदनी चौक में साड़ी-लहंगे की दुकान में काम करते थे।
- नोमान: एक कॉस्मेटिक स्टोर में काम करते थे।
- जुम्मन मोहम्मद: ई-रिक्शा चालक थे और अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे।
उठते गंभीर सवाल
इस पूरी घटना ने देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर 3000 किलो विस्फोटक फरीदाबाद तक कैसे पहुंच गया?
यह वही सवाल है जो 6 साल पहले पुलवामा हमले के वक्त भी उठा था कि 300 किलो RDX देश के अंदर कैसे आया।
‘जानें पूरा मामला’
10 नवंबर 2025 की शाम दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक कार में IED ब्लास्ट हुआ, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा घायल हो गए। इस केस के तार फरीदाबाद से गिरफ्तार 2 कश्मीरी डॉक्टरों और वहां मिले 3000 किलो विस्फोटक से जुड़ रहे हैं। इस मॉड्यूल का एक चौथा ‘फरार’ डॉक्टर, उमर नबी, इस ब्लास्ट का मुख्य संदिग्ध है, जिसके खुद भी ब्लास्ट में मारे जाने की आशंका है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
- 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला के पास हुए कार ब्लास्ट में 13 लोगों की मौत हुई।
- जांच NIA को सौंपी गई है और UAPA के तहत केस दर्ज किया गया है।
- ब्लास्ट के तार फरीदाबाद में मिले 3000 किलो विस्फोटक और 4 डॉक्टरों वाले टेरर मॉड्यूल से जुड़े हैं।
- डॉ. उमर नबी नाम का एक ‘फरार’ डॉक्टर मुख्य संदिग्ध है, जो ब्लास्ट के वक्त कार चला रहा था।






