Delhi Pollution News दिल्ली की जहरीली हवा ने एक बार फिर राजधानी के लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। लगातार बिगड़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को देखते हुए सरकार ने गुरुवार से बेहद सख्त नियम लागू कर दिए हैं। अब दिल्ली में बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUC) वाले किसी भी वाहन को पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। इसके साथ ही, दिल्ली के बाहर से आने वाले गैर-BS6 वाहनों के प्रवेश पर भी पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है, जिसका सीधा असर अब आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाला है।
प्रदूषण के इस आपातकाल से निपटने के लिए सरकार ने न केवल सड़कों पर सख्ती बढ़ाई है, बल्कि दफ्तरों के लिए भी नए निर्देश जारी किए हैं। सरकारी और निजी दोनों संस्थानों के 50% कर्मचारियों के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work From Home) को अनिवार्य कर दिया गया है। हालांकि, अस्पताल, अग्निशमन विभाग और आपातकालीन सेवाओं जैसे क्षेत्रों को इस पाबंदी से बाहर रखा गया है ताकि आवश्यक सेवाएं प्रभावित न हों।
पेट्रोल पंपों पर उमड़ी भीड़ और कैमरों से निगरानी
नया नियम लागू होते ही दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर सुबह से ही पीयूसी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए लंबी कतारें देखी गईं। सरकार ने इस व्यवस्था को फूलप्रूफ बनाने के लिए पेट्रोल पंपों पर ‘ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन’ (ANPR) कैमरे लगाए हैं। ये कैमरे तुरंत उन वाहनों की पहचान कर लेंगे जिनके पास वैध पीयूसी नहीं है। प्रशासन ने राजधानी के 126 प्रमुख चेक पॉइंट्स और बॉर्डर इलाकों पर 580 पुलिसकर्मियों और 37 विशेष वैन को तैनात किया है ताकि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी नजर रखी जा सके।
गूगल मैप और रियल टाइम डेटा से ट्रैफिक मैनेजमेंट
दिल्ली के जाम और उससे होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार अब गूगल मैप (Google Maps) के साथ मिलकर काम कर रही है। ट्रैफिक सिग्नलों और रियल टाइम डेटा को जोड़कर उन 100 नए ट्रैफिक हॉटस्पॉट्स की पहचान की जाएगी जहां सबसे ज्यादा जाम लगता है। लक्ष्य यह है कि इन हॉटस्पॉट्स पर तुरंत समाधान लागू कर वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को कम किया जाए।
सड़कों के गड्ढों और धूल पर कड़ा प्रहार
धूल से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पीडब्ल्यूडी (PWD) ने एक नई व्यवस्था शुरू की है। अब थर्ड पार्टी एजेंसियां सड़कों का सर्वे करेंगी और 72 घंटे के भीतर किसी भी गड्ढे की मरम्मत सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही, निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है और निर्माण सामग्री ढोने वाले भारी ट्रकों के दिल्ली प्रवेश पर भी प्रतिबंध है। इस पाबंदी से प्रभावित होने वाले निर्माण श्रमिकों को सरकार ने 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने का बड़ा ऐलान किया है।
वरिष्ठ संपादक का विश्लेषण
दिल्ली में प्रदूषण हर साल एक वार्षिक त्रासदी बन चुका है। ‘No PUC-No Fuel’ जैसा कदम निश्चित रूप से साहसी है, लेकिन इसकी सफलता जमीन पर इसके क्रियान्वयन (Implementation) पर निर्भर करती है। 50% वर्क फ्रॉम होम लागू करने से सड़कों पर वाहनों का दबाव कम होगा, जो प्रदूषण घटाने में सहायक हो सकता है। हालांकि, निर्माण श्रमिकों को दी जाने वाली 10,000 की सहायता एक सराहनीय मानवीय कदम है, क्योंकि पाबंदियों की सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी मजदूरों पर ही पड़ती है। असल चुनौती यह है कि क्या ये ‘आपातकालीन उपाय’ दिल्ली को स्थायी राहत दे पाएंगे या यह केवल एक अस्थायी मरहम साबित होंगे।
जानें पूरा मामला
दिल्ली में सर्दी की शुरुआत के साथ ही धुंध और प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सरकार ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP) के तहत इन सख्त पाबंदियों को लागू किया है। इसमें यातायात प्रबंधन, धूल नियंत्रण और वाहनों के उत्सर्जन को कम करने पर विशेष जोर दिया गया है ताकि राजधानी के लोगों को जहरीली हवा से बचाया जा सके।
मुख्य बातें (Key Points)
-
बिना पीयूसी (PUC) वाले वाहनों को अब दिल्ली के पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल या डीजल नहीं मिलेगा।
-
दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-BS6 वाहनों के राजधानी में प्रवेश पर पूरी तरह रोक।
-
सरकारी और निजी दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम (WFH) अनिवार्य।
-
निर्माण कार्य रुकने से प्रभावित श्रमिकों को 10,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।






