World Media on Delhi Pollution: देश की राजधानी दिल्ली की हवा अब सिर्फ हवा नहीं रही, बल्कि यह एक खतरनाक ‘जहर’ बन चुकी है। यह वो जहर है जो सबसे पहले मासूम बच्चों की सांसों पर हमला कर रहा है। हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि दिल्ली सरकार को तत्काल प्रभाव से नर्सरी से लेकर पांचवीं कक्षा तक के सभी स्कूलों को बंद कर ऑनलाइन क्लास शुरू करने का बड़ा फैसला लेना पड़ा है।
लगातार बिगड़ते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) और दम घोंटू माहौल को देखते हुए अब अगली सूचना तक छोटे बच्चों की पढ़ाई सिर्फ घरों से ऑनलाइन मोड में ही होगी। राजधानी में प्रदूषण गंभीर श्रेणी को भी पार कर चुका है, जिसने न केवल दिल्लीवासियों को बल्कि पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
दिल्ली के हालात इतने बदतर हो गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट को भी इसमें दखल देना पड़ा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने सिस्टम को फटकार लगाते हुए एक बहुत ही कड़वी सच्चाई सामने रखी। उन्होंने कहा कि प्रदूषण अमीर लोग फैलाते हैं, लेकिन इसका खामियाजा गरीब आदमी को भुगतना पड़ता है। कोर्ट की यह टिप्पणी दिल्ली के पूरे प्रशासनिक सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान है।
फिलहाल दिल्ली में ‘ग्रैप-4’ (GRAP-4) यानी सबसे सख्त प्रतिबंध लागू कर दिए गए हैं। निर्माण कार्यों पर रोक है, डीजल वाहनों की एंट्री बंद है और लोगों से अपील की जा रही है कि बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें।
सिंगापुर की एडवाइजरी, दुनिया में बदनामी
दिल्ली की जहरीली हवा की चर्चा अब सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है। हालात को खतरनाक देखते हुए सिंगापुर दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है। उन्होंने साफ कहा है कि दिल्ली में बाहर निकलने से बचें और फ्लाइट से यात्रा करते समय विशेष सावधानी बरतें।
विदेशी मीडिया ने दिल्ली को आईना दिखाया
दुनिया भर के बड़े मीडिया संस्थानों ने दिल्ली के प्रदूषण पर तीखी प्रतिक्रिया दी है:
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CNN (अमेरिका): अमेरिकी मीडिया ने लिखा है कि “दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी में जानलेवा स्मॉग की वापसी हो चुकी है।” हवा इतनी भारी है कि सांस लेना मुश्किल है और ऐतिहासिक लाल किला भी काला पड़ गया है।
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The Guardian (ब्रिटेन): गार्डियन ने लिखा कि सरकारों की निष्क्रियता के कारण प्रदूषण को नजरअंदाज किया गया, जिससे जनता में गुस्सा है।
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Al Jazeera (कतर): अलजजीरा ने सवाल उठाया कि क्या नई दिल्ली चीन से कुछ सीख सकती है? बीजिंग कभी ‘स्मॉग कैपिटल’ था, लेकिन सख्त नीतियों से आज वह साफ शहर बन चुका है।
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ABC News & China Daily: एबीसी न्यूज ने इसे जनजीवन को ठप करने वाला बताया, तो वहीं चाइना डेली ने लिखा कि पराली, पटाखे और ट्रैफिक ने दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित जगहों में शामिल कर दिया है।
मेसी के इवेंट में लगे ‘AQI’ के नारे
इस गंभीर माहौल के बीच एक हैरान करने वाला नजारा भी देखने को मिला। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जब फुटबॉल सुपरस्टार लियोनेल मेसी के एक इवेंट के लिए स्टेडियम पहुंचीं, तो वहां मौजूद भीड़ ने उनका विरोध शुरू कर दिया।
आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज के अनुसार, लोग स्टेडियम में “AQI… AQI… AQI” के नारे लगाने लगे। हालांकि, भीड़ के शोर में यह नारे “ये क्यों आई… ये क्यों आई?” जैसे भी सुनाई दे रहे थे। सौरभ भारद्वाज ने सीएम पर तंज कसते हुए कहा कि जिस मुख्यमंत्री को AQI बोलना नहीं आता, वो दिल्ली का प्रदूषण क्या सुधारेंगी? यह घटना बताती है कि जनता में कितना गुस्सा है।
क्या स्कूल बंद करना ही समाधान है?
सरकार का कहना है कि वे हालात पर नजर बनाए हुए हैं और हवा सुधरते ही स्कूलों पर फैसला लेंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हर साल दिल्ली इसी तरह जहरीली हवा में घुटती रहेगी? क्या समाधान सिर्फ स्कूल बंद करना है या अब ठोस और स्थाई कदम उठाने का वक्त आ चुका है? दिल्ली की हवा आज जवाब मांग रही है।
जानें पूरा मामला
हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है। शांत हवा, गिरता तापमान, वाहनों का धुआं और पड़ोसी राज्यों में जलती पराली मिलकर दिल्ली को एक ‘गैस चेंबर’ में बदल देते हैं। इस बार स्थिति इतनी गंभीर है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि प्रभावित हो रही है और स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन कदम उठाने पड़ रहे हैं।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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स्कूल बंद: दिल्ली में नर्सरी से 5वीं तक की कक्षाएं तत्काल प्रभाव से ऑनलाइन कर दी गई हैं।
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विदेशी निंदा: सीएनएन, द गार्डियन और अलजजीरा जैसे विदेशी मीडिया ने दिल्ली के प्रदूषण को ‘जानलेवा’ और सरकारी विफलता बताया है।
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सिंगापुर की चेतावनी: सिंगापुर ने अपने नागरिकों को दिल्ली में बाहर न निकलने की सलाह दी है।
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सीएम का विरोध: मेसी के कार्यक्रम में सीएम रेखा गुप्ता के सामने भीड़ ने ‘AQI’ और ‘ये क्यों आई’ के नारे लगाए।
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सुप्रीम कोर्ट: कोर्ट ने कहा कि अमीर प्रदूषण फैलाते हैं और गरीब उसे भुगतते हैं।






