Delhi Pollution Update राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर की हवा एक बार फिर बेहद जहरीली हो गई है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर श्रेणी की ओर बढ़ रहा है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि अब खुले में सांस लेना भी स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा जोखिम बन चुका है और आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह होने की आशंका है।
दिल्ली की सर्द सुबह अब धुंध और धुएं की चादर में लिपटी हुई नजर आ रही है। नवंबर का महीना अपने चरम पर है, लेकिन हवा में जो ठंडक होनी चाहिए थी, वह अब घुटन और भारीपन में तब्दील हो चुकी है। बुधवार और गुरुवार की सुबह दिल्ली-एनसीआर के लोगों ने महसूस किया कि हवा अब सिर्फ सांस लेने का जरिया नहीं, बल्कि जीवन और स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
खतरे के निशान पर राजधानी
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है। शहर का औसत एक्यूआई 392 दर्ज किया गया है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। यह लगातार छठा दिन है जब दिल्ली की हवा इसी श्रेणी में फंसी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। मंगलवार को जो आंकड़ा 374 था, वह अब और बढ़ गया है। दिल्ली के कई इलाकों में तो एक्यूआई 400 के पार चला गया है, जो ‘गंभीर’ श्रेणी को दर्शाता है।
इन इलाकों में हालात सबसे बदतर
राजधानी के कुछ विशिष्ट इलाकों में स्थिति सामान्य से कहीं ज्यादा खराब है। चांदनी चौक, मुंडका, नरेला, आनंद विहार, पूसा और वजीरपुर जैसे इलाके, जो पहले से ही भीड़भाड़ और ट्रैफिक के लिए जाने जाते थे, अब प्रदूषण के हॉटस्पॉट बन चुके हैं। यहां सुबह के वक्त एक्यूआई 400 के पार दर्ज किया गया। यह वह स्तर है जहां न केवल बीमार, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का शिकार हो सकते हैं।
वाहनों और पराली का डबल अटैक
इस जहरीली हवा के पीछे मुख्य रूप से दो कारण सामने आए हैं। आईआईटी पुणे (IITM) के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी करीब 18% है। यह वही धुआं है जो लाखों गाड़ियों से निकलकर हवा में जहर घोल रहा है। दूसरी ओर, पराली जलाने की घटनाओं ने भी आग में घी का काम किया है। बुधवार को पराली का योगदान 3.8% था, जिसके गुरुवार को बढ़कर 16.1% तक पहुंचने का अनुमान है। सैटेलाइट तस्वीरों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर पराली जलती हुई देखी गई है।
बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा फैसला
प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कड़े कदम उठाए हैं। आयोग ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है। इसमें स्पष्ट सलाह दी गई है कि नवंबर और दिसंबर महीने में स्कूलों में होने वाली सभी आउटडोर स्पोर्ट्स गतिविधियों और फिजिकल प्रतियोगिताओं को तुरंत स्थगित कर दिया जाए। जिस हवा में सामान्य रूप से चलना भी मुश्किल हो, वहां बच्चों का खेलना उनके फेफड़ों और स्वास्थ्य के लिए बेहद जोखिम भरा हो सकता है।
आम आदमी पर सीधा असर
इस जहरीली हवा का सबसे बुरा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो रोजमर्रा के काम के लिए घर से बाहर निकलते हैं। आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह समय किसी आपातकाल से कम नहीं है।
जानें पूरा मामला
दिल्ली में हर साल सर्दियों की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण का स्तर जानलेवा हो जाता है। इस बार भी दिवाली के बाद से हवा की गुणवत्ता लगातार गिर रही है। मौसम विभाग और प्रदूषण निगरानी एजेंसियों का अनुमान है कि अगले 6 दिनों तक लोगों को इस जहरीली हवा से कोई राहत नहीं मिलेगी, बल्कि स्थिति ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में जा सकती है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली का औसत एक्यूआई 392 दर्ज, कई इलाकों में 400 के पार।
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लगातार छठे दिन हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी हुई है।
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वाहनों का धुएं में 18% योगदान, पराली का असर भी बढ़ने लगा है।
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CAQM ने स्कूलों में आउटडोर खेल गतिविधियों को रोकने की सलाह दी है।






