New Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) हादसा अब अदालत के दायरे में पहुंच गया है। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने इस घटना पर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए भारतीय रेलवे (Indian Railways) को कड़ी फटकार लगाई और निर्देश दिया कि याचिका में उठाए गए मुद्दों की गहन जांच की जाए।
मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय (D.K. Upadhyaya) और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला (Tushar Rao Gedela) की खंडपीठ ने रेलवे को निर्देश दिया कि वह इस मामले पर उच्चतम स्तर पर जांच कर अदालत में हलफनामा दाखिल करे, जिसमें बताए कि इस घटना को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
हाई कोर्ट का रेलवे से सख्त सवाल – ‘आप जरूरत से ज्यादा टिकट क्यों बेचते हैं?’
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने रेलवे पर सीधा सवाल उठाया कि जब एक कोच की सीमित क्षमता होती है तो उससे अधिक टिकट क्यों बेचे जाते हैं? मुख्य न्यायाधीश ने रेलवे से पूछा,
“यदि आप एक कोच में यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करते हैं, तो उससे ज्यादा टिकट क्यों बेचते हैं? यही असली समस्या है!”
रेलवे का बचाव – ‘अभूतपूर्व स्थिति’ बताकर दी सफाई
रेलवे की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि इस मामले को प्रतिकूल दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए और रेलवे कानून का पालन करने के लिए बाध्य है। उन्होंने यह भी कहा कि यह एक अभूतपूर्व स्थिति थी, और रेलवे हाई कोर्ट के निर्देशानुसार मामले की उच्चस्तरीय समीक्षा करेगा।
याचिकाकर्ता का दावा – ‘9600 से ज्यादा अनारक्षित टिकट बेचे गए थे!’
याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट में दावा किया कि हादसे के दिन रेलवे ने 9600 से अधिक अनारक्षित टिकट (Unreserved Tickets) जारी किए थे। उनका कहना था कि यदि अधिकारी रेलवे के नियमों का पालन करते तो इस घटना को रोका जा सकता था।
वकील ने तर्क दिया, “अगर रेलवे अपने नियमों और प्रावधानों का पालन करता, तो इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सकता था। यह याचिका राष्ट्रीय और व्यापक जनहित में है।”
कोर्ट ने कहा – ‘सिर्फ इस हादसे तक सीमित नहीं है मामला’
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह याचिका केवल हाल ही में हुई भगदड़ की घटना तक सीमित नहीं है। बल्कि, इसमें एक डिब्बे में यात्रियों की अधिकतम संख्या तय करने और प्लेटफॉर्म टिकटों की बिक्री के नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की मांग की गई है।
अदालत ने कहा कि यदि रेलवे के कानूनी प्रावधानों को सही तरीके से लागू किया जाए तो इस तरह की भगदड़ की घटनाओं को रोका जा सकता है।
26 मार्च को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 मार्च 2025 की तारीख तय की है। रेलवे को इस दौरान हलफनामा दायर कर यह बताना होगा कि उसने इस घटना से बचाव के लिए क्या कदम उठाए हैं और आगे ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या नई व्यवस्था लागू की जाएगी।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ के बाद अब रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि रेलवे को अपनी टिकट बिक्री नीति और भीड़ नियंत्रण को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे। 26 मार्च की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि रेलवे इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है और क्या नए नियम लागू किए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।