नई दिल्ली, 17 फरवरी (The News Air) अनुभवी राजनेता शरद पवार ने शनिवार को कहा कि उनके भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले समूह को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में मान्यता देने का चुनाव आयोग का निर्णय कानून के अनुरूप नहीं था और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
सार्वजनिक पहुंच बढ़ाने की जरूरत- शरद पवार : उन्होंने कहा, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि राजनीतिक पार्टी बनाने वालों को पार्टी से निकाला गया हो, इतना ही नहीं बल्कि पार्टी का चुनाव चिन्ह भी छीन लिया गया। ये फैसला कानून के मुताबिक नहीं था, हमने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हमें अपनी सार्वजनिक पहुंच बढ़ाने की जरूरत होगी। एनसीपी पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न खोने के बाद शरद पवार ने शनिवार को दावा किया कि यह फैसला कानून के अनुरूप नहीं है। यह घटनाक्रम उन अटकलों के बीच आया है कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी और बारामती से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ मैदान में उतरेंगी।
शरद पवार गुट को कोई सिंबल नहीं : वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के आदेश के कारण, शरद पवार को 20 फरवरी से शुरू होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा सत्र में अजीत पवार के चाबुक का सामना करना पड़ सकता है। मनु सिंघवी ने कहा कि शरद पवार के गुट को कोई सिंबल ही नहीं दिया गया है। एक वरिष्ठ वकील ने शीर्ष अदालत को बताया, चुनाव आयोग के आदेश के कारण, शरद पवार अजीत पवार के चाबुक के अधीन होंगे। महाराष्ट्र में सत्र अगले सप्ताह शुरू होगा। हमें कोई भी प्रतीक नहीं दिया गया है। मामले को 19 फरवरी को सूचीबद्ध करने की मांग की गई। भारत के मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि वह मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने पर विचार करेगी। पीठ ने कहा, मुझे देखने दीजिए। हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।