DDA Unsold Flats Report : एक दौर था जब दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) का फ्लैट निकलना लॉटरी लगने जैसा था, लेकिन आज हालात यह हैं कि ‘भारी सेल’ के बाद भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं। केंद्र सरकार ने लोकसभा में खुलासा किया है कि दिल्ली में DDA के 34,052 फ्लैट आज भी खाली पड़े हैं। यह सन्नाटा उस शहर में है जहाँ हर इंसान का सपना ‘अपना घर’ होता है।
DDA के फ्लैटों के लिए अब सिफारिशें नहीं, बल्कि खरीदारों की मिन्नतें हो रही हैं। संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक, तमाम नई योजनाओं और कीमतों में भारी कटौती के बावजूद हजारों फ्लैट्स धूल फांक रहे हैं।
नरेला बना ‘भूतहा शहर’, 50% फ्लैट खाली
इस संकट का सबसे बड़ा केंद्र Narela है। यहाँ DDA ने कुल 62,801 फ्लैट्स बनाए थे, लेकिन उनमें से 31,487 फ्लैट्स—यानी करीब 50%—आज भी बिकने का इंतजार कर रहे हैं। फ्लैट्स बनकर तैयार हैं, चारदीवारी खड़ी है, लेकिन रहने वाला कोई नहीं।
हालांकि DDA ने नरेला को बसाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। कीमतें घटाई गईं, विशेष योजनाएं लाई गईं, लेकिन खरीदार यहाँ आने को तैयार नहीं हैं। यह एक चिंताजनक संकेत है कि सिर्फ ईंट-गारे से घर नहीं बनता, उसके लिए सुविधाएं भी चाहिए।
क्यों नहीं बिक रहे फ्लैट? (बड़ा विश्लेषण)
यह सवाल सबके मन में है कि आखिर दिल्ली जैसे शहर में, जहाँ किराए के मकान भी मुश्किल से मिलते हैं, वहां सरकारी फ्लैट खाली क्यों हैं? इसकी सबसे बड़ी वजह Connectivity और Safety है।
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मेट्रो की कमी: नरेला और अन्य इलाकों में मेट्रो की सीधी कनेक्टिविटी न होना खरीदारों को दूर कर रहा है।
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रोजगार से दूरी: ये इलाके मुख्य दिल्ली और रोजगार केंद्रों से काफी दूर हैं।
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सुरक्षा का डर: सुनसान इलाके और आबादी कम होने की वजह से लोग यहाँ परिवार के साथ रहने में असुरक्षित महसूस करते हैं।
इन इलाकों में भी पसरा है सन्नाटा
सिर्फ नरेला ही नहीं, दिल्ली के कई अन्य पॉश और सामान्य इलाकों में भी इन्वेंटरी खाली पड़ी है। लिस्ट काफी लंबी है:
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Karkardooma: 1,524 फ्लैट खाली
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Loknayak Puram: 222 फ्लैट
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Siraspur: 487 फ्लैट
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Rohini: 112 फ्लैट
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Dwarka: 70 फ्लैट
इसके अलावा नसीरपुर, आजादपुर, जसौला और अशोक पहाड़ी जैसे इलाकों में भी फ्लैट्स खरीदारों का इंतजार कर रहे हैं। यह समस्या सिर्फ LIG (लो इनकम ग्रुप) की नहीं है, बल्कि HIG (हाई इनकम ग्रुप) और EWS के फ्लैट्स भी खाली हैं।
DDA पर 17,000 करोड़ का बोझ
खाली पड़े ये फ्लैट्स न सिर्फ संसाधनों की बर्बादी हैं, बल्कि DDA की जेब पर भी भारी पड़ रहे हैं। 31 मार्च तक DDA पर करीब 16,988 करोड़ रुपये की देनदारी (Liability) थी। फ्लैट न बिकने से DDA की ‘वित्तीय सेहत’ बिगड़ रही है।
हालांकि, कुछ उम्मीद की किरण भी है। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन सालों में बिक्री में करीब 214% का इजाफा हुआ है। 2019-22 के बीच जहाँ 6,423 फ्लैट बिके थे, वहीं 2022-25 के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 20,247 हो गया। लेकिन बैकलॉग इतना बड़ा है कि यह तेजी भी कम पड़ रही है।
नई उम्मीद: ‘टावरिंग हाइट्स’ और ‘कर्मयोगी’
इस संकट से उबरने के लिए DDA अब 2025-26 में नई योजनाओं का सहारा ले रहा है।
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कड़कड़डूमा में ‘Towering Heights’ योजना लाई गई है, जिसमें 2BHK के 1026 फ्लैट्स हैं।
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नरेला के लिए ‘Karmayogi Awas Yojana’ के तहत 1000+ फ्लैट्स और नए साल में बड़ी स्कीम की तैयारी है। DDA को उम्मीद है कि इन लुभावने ऑफर्स से पुराने फ्लैट्स का स्टॉक खत्म हो जाएगा।
जानें पूरा मामला
आज का खरीदार समझदार हो गया है। उसे सिर्फ सस्ती छत नहीं चाहिए, बल्कि घर के पास मेट्रो, स्कूल, अस्पताल और सुरक्षा भी चाहिए। जब तक DDA इन ‘बुनियादी जरूरतों’ (Basic Infrastructure) को ठीक नहीं करता, तब तक भारी डिस्काउंट के बावजूद इन कंक्रीट के जंगलों में रौनक लौटना मुश्किल है। यह खबर साफ करती है कि सरकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए सिर्फ निर्माण काफी नहीं, ‘वैल्यू फॉर मनी’ और ‘लिवेबिलिटी’ सबसे जरूरी है।
मुख्य बातें (Key Points)
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दिल्ली में DDA के 34,052 फ्लैट्स अभी भी बिना बिके खाली पड़े हैं।
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सबसे बुरा हाल नरेला का है, जहाँ करीब 31,487 फ्लैट्स (50%) खाली हैं।
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फ्लैट न बिकने की मुख्य वजहें मेट्रो कनेक्टिविटी की कमी और सुरक्षा चिंताएं हैं।
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DDA पर करीब 17,000 करोड़ रुपये की देनदारी (Liability) है।






