FSSAI vs Dabur विवाद में Dabur के ‘100% फ्रूट जूस (100% Fruit Juice)’ दावे को लेकर बड़ा मोड़ आया है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) में दायर एक शपथपत्र में कहा है कि Dabur को अपने उत्पादों की पैकेजिंग पर ‘100% फ्रूट जूस’ लिखने की अनुमति नहीं है। अथॉरिटी ने तर्क दिया है कि यह दवा Food Safety and Standards (Advertising and Claims) Regulations, 2018 का उल्लंघन करता है और उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकता है।
FSSAI के अनुसार, ‘100%’ जैसे शब्दों का प्रयोग उपभोक्ता को यह विश्वास दिला सकता है कि उत्पाद पूरी तरह से शुद्ध फलों से बना है, जबकि वास्तविकता में अधिकतर मामलों में यह reconstituted juice होता है, जिसमें पानी या अन्य तत्व मिलाए जाते हैं। 23 अप्रैल को FSSAI द्वारा कोर्ट में दाखिल इस शपथपत्र में स्पष्ट किया गया है कि Schedule V के तहत ‘100%’ जैसे संख्यात्मक दावे मान्य नहीं हैं।
इससे पहले जून 2024 में FSSAI ने सभी फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि वे ‘100% फ्रूट जूस’ जैसे दावों को लेबलिंग और विज्ञापन से हटाएं। Dabur द्वारा इसका विरोध करते हुए अदालत में याचिका दायर की गई है। कंपनी ने अपने पक्ष में कहा कि उनके Real Activ जैसे उत्पाद फलों के गाढ़े रस से बनाए जाते हैं, जिसमें सिर्फ पानी मिलाया जाता है, जिससे उसका प्राकृतिक रूप लौटाया जाता है। Dabur का यह भी दावा है कि उनके उत्पादों में कोई अतिरिक्त चीनी नहीं मिलाई जाती, इसलिए ‘100% फ्रूट जूस’ का दावा उचित है।
FSSAI ने अपने जवाब में कहा है कि इस दावे को Scientific Panel on Labelling and Claims/Advertisements (SP-08) द्वारा भी अवैध माना गया है। साथ ही, यह दावे Food Products Standards and Food Additives Regulations, 2011 के नियम 2.3.6 का उल्लंघन करते हैं।
मार्च 2025 में Dabur ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने FSSAI से जवाब मांगा था। FSSAI ने उसी नोटिस पर अब कोर्ट में अपना रुख स्पष्ट किया है। इस पूरे विवाद में अभी तक Dabur या FSSAI की ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस केस की अगली सुनवाई 7 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।
यह मामला न केवल उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा है बल्कि FMCG कंपनियों द्वारा किए जा रहे मार्केटिंग दावों पर भी सवाल खड़ा करता है। FSSAI की सख्ती से यह स्पष्ट हो रहा है कि अब खाद्य उत्पादों पर किए गए दावों की गहन जांच होगी और नियमों से समझौता नहीं किया जाएगा।