The News Air –देश के पांच राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीख़ों का ऐलान आज हो सकता है। इससे पहले चुनाव आयोग ये साफ़ कर चुका है कि चुनाव के दौरान लोग सी-विजिल (cVIGIL) ऐप का इस्तेमाल करें। अगर चुनाव में धांधली हो रही है तो लोग इसके ज़रिए शिकायत करें और हम एक्शन लेंगे। इस ऐप को आयोग ने 3 साल पहले 2019 में लॉन्च किया था। आइए इस ऐप के बारे में जानते हैं।
क्या है सी-विजिल ऐप?
चुनाव आयोग ने सी-विजिल ऐप को चुनावों में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए तैयार किया है। इस ऐप की मदद से वोटर चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी दे सकते हैं। इस ऐप को सभी एंड्रॉयड और iOS यूजर्स के लिए तैयार किया गया है। ऐप पर शिकायत करने के लिए यूजर को स्मार्टफोन के कैमरे और GPS एक्सेस की ज़रूरत होती है। चुनाव आयोग पिछले 3 सालों से इस ऐप का इस्तेमाल सभी तरह के चुनावों में कर रहा है।
ऐसे चुनाव को पारदर्शी बनाएगा सी-विजिल
- जिस राज्य में चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो जाती है। वहाँ के लोग इस ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- चुनाव आयोग के मुताबिक़ चुनाव तारीख़ों का ऐलान होने के बाद से वोटिंग ख़त्म होने तक, कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत सी-विजिल ऐप के ज़रिए चुनाव आयोग को भेज सकता है।
- आचार संहिता के दौरान नेताओं की तरफ़ से किसी भी तरह के कोई ग़ैरक़ानूनी दस्तावेज़ बांटने, भ्रष्टाचार और विवादित बयानों की शिकायत इस ऐप के ज़रिए कर सकते हैं।
- सी-विजिल ऐप पर शिकायतकर्ता जो भी वीडियो या फ़ोटो अपलोड करेंगे वो 5 मिनट के अंदर स्थानीय चुनाव अधिकारी के पास चला जाएगा।
- शिकायत सही है तब 100 मिनट के अंदर ही उस समस्या का समाधान किया जाएगा।
- मई 2019 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान इस ऐप का इस्तेमाल पहली बार किया गया था। उसके बाद से लगातार ऐप का इस्तेमाल चुनावों में किया जा रहा है।
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सी-विजिल ऐप से कैसे करें शिकायत?
जो लोग सी-विजिल ऐप से किसी की शिकायत करना चाहते हैं। उन्हें इस ऐप को इन्स्टॉल करना होगा। ऐप इन्स्टॉल होने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा। इसके लिए शिकायतकर्ता को नाम, पता, राज्य, ज़िला, विधानसभा और पिनकोड की जानकारी देनी होगी। एक OTP की मदद से इसका वेरिफिकेशन किया जाएगा। अब शिकायत करने के लिए फ़ोटो या कैमरे को सिलेक्ट करें। शिकायतकर्ता 2 मिनट तक का वीडियो ऐप पर अपलोड कर सकता है। फ़ोटो और वीडियो से जुड़ी डिटेल के लिए एक बॉक्स भी मिलता है, जहां उसके बारे में लिखा जा सकता है।
चुनाव आयोग के मुताबिक़ जो फ़ोटो या वीडियो अपलोड किया जाता है, उससे उस जगह की लोकेशन भी पता चल जाती है। फ़ोटो या वीडियो अपलोड होने के बाद यूजर को एक यूनीक आईडी मिलेगी। इसके ज़रिए वे मोबाइल पर ही फॉलोअप ट्रैक कर सकते हैं। शिकायतकर्ता की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। हालांकि ऐप पर पहले से रिकॉर्ड वीडियो या फ़ोटो अपलोड नहीं कर सकते। इतना ही नहीं, ऐप से रिकॉर्ड किए गए वीडियो या फ़ोटो फ़ोन गैलरी में सेव नहीं होंगे।