बांग्लादेश, 31 दिसंबर (The News Air): बांग्लादेश में राजनीतिक और संवैधानिक अस्थिरता अपने चरम पर है। खबरों के मुताबिक, 31 दिसंबर को बांग्लादेश का संविधान खत्म करने और नए गणराज्य की घोषणा का ऐलान किया जा सकता है। इससे 1972 में शेख मुजीबर रहमान के दौर में स्थापित मौजूदा संविधान और व्यवस्थाएं खत्म हो जाएंगी।
संवैधानिक बदलाव और पदों का खात्मा: सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया के तहत राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जैसे पदों को भी समाप्त किया जा सकता है। यह कदम बांग्लादेश के वर्तमान अंतरिम सरकार प्रमुख और नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की अध्यक्षता में उठाया जा सकता है।
स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन का प्रभाव: संविधान खत्म करने की मांग को लेकर स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन नामक समूह ने यह बड़ा कदम उठाने की तैयारी की है। इस समूह के नेता हसनत अब्दुल्ला ने 1972 के संविधान को “मुजीबवादी कानून” करार देते हुए उसे दफन करने की बात कही।
हसनत ने भारत के खिलाफ भी खुलकर बयान दिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा संविधान ने भारत को बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का अवसर दिया है। समूह ने घोषणा की है कि 31 दिसंबर की दोपहर को ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार में इस नई व्यवस्था का ऐलान किया जाएगा।
कट्टरपंथी सोच का विस्तार: बांग्लादेश में कट्टरपंथी विचारधारा के उभार को लेकर पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और मोहम्मद यूनुस के बीच हुई मुलाकात ने इन आशंकाओं को और बल दिया है। इसके अलावा, इस्लामिक देशों के संगठन डी-8 की बैठक में भी दोनों के बीच करीबी बढ़ने के संकेत मिले।
भारत के लिए बढ़ती चिंताएं: बांग्लादेश में हो रहे इन संवैधानिक और राजनीतिक बदलावों से भारत के लिए गंभीर चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।
- राजनीतिक अनिश्चितता: अगर संविधान खत्म होता है, तो भारत के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि बांग्लादेश में किससे बातचीत की जाए।
- कट्टरपंथी उभार: कट्टरपंथी ताकतों के बढ़ते प्रभाव और पाकिस्तान से नजदीकियां भारत के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक स्तर पर समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
- सीमा और व्यापार: भारत-बांग्लादेश के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ती अस्थिरता और व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं: अमेरिका समेत कई अंतरराष्ट्रीय समुदायों ने इस मामले पर चिंता जताई है। यदि बांग्लादेश को कट्टरपंथी इस्लामिक गणराज्य में बदला गया, तो यह दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ा भू-राजनीतिक संकट बन सकता है।
बांग्लादेश में संविधान खत्म करने और नए गणराज्य की घोषणा की संभावनाओं ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है। भारत और अन्य पड़ोसी देशों के लिए यह एक गंभीर कूटनीतिक चुनौती बन सकती है। अब सभी की नजरें 31 दिसंबर की दोपहर पर टिकी हैं, जब ढाका में बांग्लादेश के भविष्य का खाका पेश किया जाएगा।