नई दिल्ली, 15 जून
कोरोना वायरस लगातार अपना स्वरूप बदलते ही जा रहा है और अब इसके नए वेरिएंट का पता चला है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट अब म्यूटेट होकर ‘डेल्टा प्लस’ या AY.1 में तब्दील हो चुका है, जो वैज्ञानिकों के लिए एक नई चुनौती बन कर आया है। इसी डेल्टा वेरिएंट के डर से दुनिया के कई मुल्कों में पाबंदियों को फिर से लागू करने की नौबत तक आ चुकी है। यही नहीं भारत में भी कोरोना की दूसरी लहर सबसे ज्यादा घातक साबित हुई है।
दूसरी लहर आई थी ‘डेल्टा’ से- राहत की बात तो यह है कि भारत में अभी इसको लेकर चिंतित होने की कोई बात नहीं है, क्योंकि देश में अब भी इसके बेहद कम मामले देखने को मिल रहे हैं। ‘डेल्टा प्लस’ वेरिएंट, वायरस के डेल्टा या ‘बी1.617.2’ से म्यूटेट होने से बना है, जिसकी पहचान पहली बार भारत में की गई थी। यही वेरिएंट महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।
हालांकि, वायरस के नए वेरिएंट के कारण बीमारी कितनी घातक हो सकती है, इसका अभी तक कोई संकेत नहीं मिला सका, डेल्टा प्लस उस ‘मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल’ उपचार का रोधी है, जिसे हाल ही में भारत में मंजूरी मिली है।
संक्रमण कोशिकाओं में फैलाता है- दिल्ली स्थित सीएसआईआर-जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान (आई.जी.आई.बी) में वैज्ञानिक विनोद स्कारिया ने रविवार को ट्वीट करके कहा कि K417N म्यूटेश के कारण B1.617.2 वेरिएंट बना है जिसको AY.1 के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कहा कि यह म्यूटेशन SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ है, जो वायरस को मानव कोशिकाओं के अंदर जाकर संक्रमित करने में मदद करता है।
स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, ‘भारत में K417N से उपजा वेरिएंट अभी बहुत ज्यादा नहीं है। यह सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका में देखने को मिले हैं।’ स्कारिया ने यह भी कहा कि म्यूटेशन, वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता से भी संबंधित हो सकता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता विशेषज्ञ विनीता बल ने जानकारी देते कहा कि हालांकि, वायरस के नए प्रकार के कारण ‘एंटीबॉडी कॉकटेल’ के टेस्ट को झटका लगा है, परन्तु इसका यह मतलब नहीं है, कि वायरस अधिक संक्रामक है या इससे बीमारी और ज्यादा घातक हो जाएगी। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे में टीचर विनीता बल ने कहा, ‘यह नया वेरिएंट कितना संक्रामक है, यह इसके तेजी से फैलने की क्षमता को परखने में अहम होगा या इसका उलट भी हो सकता है।’
उन्होंने कहा कि नए वेरिएंट से संक्रमित किसी व्यक्ति में रोगाणुओं से कोशिकाओं का बचाव करने वाले एंटीबॉडी की गुणवत्ता और संख्या म्यूटेशन के कारण प्रभावित होने की भी आशंका नहीं है। श्वास रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा अनुसंधानकर्ता अनुराग अग्रवाल ने विनीता बल की बात का समर्थन किया है।
सी.एस.आई.आर.-आई.जी.आई.बी. के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा कि अभी वायरस के इस वेरिएंट को लेकर भारत में चिंता की कोई बात नहीं है।’ टीके की पूरी खुराक ले चुके लोगों के प्लाज्मा से वायरस के इस प्रकार का टेस्ट करना होगा, जिससे पता चलेगा कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा दे पाता है भी या नहीं।