Mamta Kulkarni (ममता कुलकर्णी), जो 90 के दशक की बॉलीवुड स्टार रह चुकी हैं, ने अब आध्यात्मिक मार्ग अपना लिया है। 24 जनवरी 2025 को Maha Kumbh (महाकुंभ) में पवित्र स्नान और पिंडदान के बाद उन्होंने किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में दीक्षा ली।
उनका आध्यात्मिक नाम अब Mamta Nand Giri (ममता नंद गिरी) हो गया है। हालांकि, उनके महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा हो गया है।
कुछ संतों और अखाड़ों ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उनके D Company (अंडरवर्ल्ड) से कथित कनेक्शन और उनके पिछले जीवन पर बहस छिड़ी हुई है।
ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक सफर और विवाद का कारण
ममता कुलकर्णी ने 1990 के दशक में बॉलीवुड में 40 से अधिक फिल्मों में काम किया। लेकिन उनके फिल्मी करियर के बाद विवादों से घिरा जीवन सुर्खियों में रहा।
- D Company से कनेक्शन: ममता कुलकर्णी का नाम अंडरवर्ल्ड डॉन Vicky Goswami (विक्की गोस्वामी) के साथ जुड़ा।
- ड्रग्स केस: 2016 में उनका नाम ड्रग्स तस्करी केस में सामने आया था।
उनके इस विवादित अतीत के कारण कई संतों का मानना है कि Mahant (महामंडलेश्वर) जैसे सम्मानित पद के लिए उनके चरित्र और व्यवहार की गहन जांच होनी चाहिए थी।
महामंडलेश्वर बनने पर क्यों छिड़ा विवाद?
किन्नर अखाड़ा ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर नियुक्त किया, लेकिन अखाड़ों में इस निर्णय पर गहरा असंतोष देखा गया।
- संतों की राय:
- Himanki Sakhi (हिमांकी सखी), महामंडलेश्वर: उन्होंने कहा कि ममता कुलकर्णी का अतीत इस पद के योग्य नहीं है।
- Swami Anand Swaroop (स्वामी आनंद स्वरूप): उन्होंने इसे सनातन धर्म के साथ विश्वासघात करार दिया।
- Balak Nand Maharaj (बालकनंद महाराज): उनका कहना है कि महामंडलेश्वर बनने के लिए चरित्र, आचरण और योग्यता की पूरी जांच होनी चाहिए।
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया और ममता पर सवाल
महामंडलेश्वर का पद अखाड़े की सबसे प्रतिष्ठित उपाधि है। इसके लिए उम्मीदवार को कठोर मापदंडों से गुजरना पड़ता है।
- चरित्र जांच: उम्मीदवार के जीवन के सभी पहलुओं की जांच की जाती है।
- आध्यात्मिक योग्यता: यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति ने लंबे समय तक संन्यास और तपस्या की हो।
- सामाजिक योगदान: व्यक्ति का समाज और धर्म में योगदान महत्वपूर्ण होता है।
लेकिन ममता कुलकर्णी के मामले में इन सभी मापदंडों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
विवाद पर संतों के बयान
स्वामी आनंद स्वरूप:
“ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाना सनातन धर्म के साथ विश्वासघात है। यह परंपरा और अखाड़ों की गरिमा के खिलाफ है।”बालकनंद महाराज:
“हमारे शैव अखाड़ों में ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर नहीं बनाया जा सकता, जिसने अपने अतीत से जुड़े विवादों को साफ नहीं किया हो।”रामकृष्णानंद गिरि:
“महामंडलेश्वर बनने के लिए सख्त मानदंड होने चाहिए। ममता कुलकर्णी को यह उपाधि देना सही नहीं है।”
ममता कुलकर्णी का पक्ष और समर्थकों की राय
ममता कुलकर्णी के समर्थकों का कहना है कि हर व्यक्ति को अपना जीवन बदलने और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का अधिकार है।
- उनके खिलाफ कोई आरोप कोर्ट में साबित नहीं हुए हैं।
- समर्थकों ने उदाहरण दिया कि प्राचीन काल में वेश्याओं को भी गुरुओं द्वारा संन्यास की उपाधि दी गई थी।
ममता कुलकर्णी और आध्यात्मिकता का भविष्य
भले ही ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद हो, लेकिन यह मामला अध्यात्म बनाम धर्म की परंपरा के बीच की बहस को उजागर करता है।
- क्या अतीत व्यक्ति का भविष्य तय करता है?
- क्या आध्यात्मिक मार्ग अपनाने के लिए किसी को दूसरा मौका नहीं मिल सकता?
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले धर्मगुरुओं और विशेषज्ञों से सलाह लें।
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