VB G RAM G Bill : पंजाब में मनरेगा के नाम बदलने और नए ‘जी राम जी बिल’ (G RAM G Bill) को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ गया है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और सांसद अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने खरड़ में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना का न सिर्फ नाम बदल रही है, बल्कि ऐसे नियम थोप रही है जिससे गरीबों का हक मारा जाएगा और पंजाब जैसे गैर-बीजेपी शासित राज्यों के साथ भेदभाव होगा।
नाम बदलने से लेकर फंड में कटौती तक
अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘जी राम जी’ कर दिया है, जो सिर्फ एक शुरुआत है। असली खेल तो नियमों में बदलाव का है। उन्होंने बताया कि अब इस योजना में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60:40 कर दी गई है। पंजाब जैसे राज्य, जो पहले से ही 4.5 लाख करोड़ के कर्ज में डूबे हैं, उनके लिए 40% हिस्सा देना असंभव जैसा है। वारिंग ने तंज कसते हुए कहा कि “हमारे पास तो 10% भरने के भी पैसे नहीं हैं।”
‘बायोमेट्रिक हाजिरी और काम के दिन’
नए बिल में बायोमेट्रिक हाजिरी को अनिवार्य कर दिया गया है, जिस पर वारिंग ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कई गरीब मजदूरों के अंगूठे के निशान मशीनों पर काम नहीं करते, जिससे उनकी हाजिरी नहीं लग पाएगी और वे काम छोड़कर भागने को मजबूर हो जाएंगे। इसके अलावा, सरकार ने साल में दो महीने काम न देने का भी नियम बना दिया है। वारिंग ने कहा कि हालांकि सरकार काम के दिन 125 करने और दिहाड़ी बढ़ाने का दावा कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।
‘लुधियाना का उदाहरण: दावों की पोल खुली’
अपने दावों को साबित करने के लिए राजा वारिंग ने लुधियाना का उदाहरण दिया। उन्होंने बताया कि लुधियाना में 12 लाख 23 हजार परिवार मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड थे, लेकिन इस बार रजिस्ट्रेशन घटकर सिर्फ 54 हजार रह गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन 54 हजार परिवारों में से केवल 12 परिवार ऐसे हैं जिन्हें 100 दिन का काम मिला है, जो कि 1% से भी कम है।
‘कच्चे रास्तों और सिंचाई के काम पर रोक’
नए नियमों के तहत कच्चे रास्तों और सिंचाई के काम को मनरेगा से बाहर कर दिया गया है। वारिंग ने कहा कि पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां सिंचाई और कच्चे रास्तों का काम बहुत महत्वपूर्ण है। इसे बंद करने से पंजाब के किसानों और मजदूरों पर सीधा असर पड़ेगा।
‘गैर-बीजेपी सरकारों के साथ भेदभाव का आरोप’
राजा वारिंग ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि नए नियमों के तहत अब केंद्र ही तय करेगा कि किस राज्य को कितना काम और पैसा देना है। उन्होंने आशंका जताई कि जहां बीजेपी की सरकारें नहीं हैं, वहां फंड देने में भेदभाव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र कहेगा कि हम 10,000 करोड़ का काम देंगे, लेकिन हो सकता है कि पंजाब में सिर्फ 400 करोड़ का ही काम हो।
‘संपादकीय विश्लेषण: क्या वाकई गरीब का हित है?’
मनरेगा जैसी योजनाओं का मूल उद्देश्य ग्रामीण भारत के सबसे गरीब और जरूरतमंद लोगों को रोजगार की गारंटी देना है। नाम बदलना एक राजनीतिक कदम हो सकता है, लेकिन जब नियमों में ऐसे बदलाव किए जाएं जिससे काम मिलना मुश्किल हो जाए, तो सवाल उठना लाजमी है। 60:40 की हिस्सेदारी और बायोमेट्रिक जैसी शर्तें उन राज्यों और लोगों के लिए मुसीबत बन सकती हैं जो पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुधारों के नाम पर गरीबों का हक न मारा जाए।
‘जानें पूरा मामला’
यह विरोध प्रदर्शन पंजाब के खरड़ में हुआ, जहां कांग्रेस कार्यकर्ता ‘जी राम जी बिल’ और मनरेगा के नियमों में बदलाव के खिलाफ सड़कों पर उतरे। उनका मुख्य विरोध 60:40 की केंद्र-राज्य हिस्सेदारी, बायोमेट्रिक हाजिरी, और सिंचाई व कच्चे रास्तों के काम को योजना से बाहर करने को लेकर है। कांग्रेस का मानना है कि ये बदलाव गरीब विरोधी हैं और पंजाब जैसे राज्यों के हितों को नुकसान पहुंचाएंगे।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष राजा वारिंग ने ‘जी राम जी बिल’ के खिलाफ खरड़ में प्रदर्शन किया।
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नए नियमों में केंद्र और राज्य की हिस्सेदारी 60:40 कर दी गई है, जिसका पंजाब विरोध कर रहा है।
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बायोमेट्रिक हाजिरी और कच्चे रास्तों व सिंचाई के काम पर रोक से गरीबों को नुकसान होगा।
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वारिंग ने लुधियाना का उदाहरण देकर बताया कि मनरेगा के तहत काम के दिन बहुत कम मिले हैं।
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कांग्रेस ने केंद्र पर गैर-बीजेपी शासित राज्यों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।






