Waqf Board Amendment Bill – वक्फ बोर्ड (Waqf Board) संशोधन विधेयक 2025 को लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) दोनों से पारित कर दिया गया है, लेकिन कांग्रेस (Congress) इस विधेयक से सहमत नहीं है और अब इसे सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती देने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि यह विधेयक संविधान (Constitution) में निहित सिद्धांतों का उल्लंघन करता है और इसका सीधा असर अल्पसंख्यकों पर पड़ेगा।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने एक्स (X) पर पोस्ट कर जानकारी दी कि पार्टी जल्द ही इस विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देगी। उन्होंने लिखा, “हम मोदी सरकार द्वारा संविधान पर किए जा रहे हमलों का विरोध करते रहेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस पहले भी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA 2019), RTI एक्ट में 2019 के संशोधन, और चुनाव नियमावली 2024 में किए गए बदलावों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1991 के पूजा स्थल अधिनियम (Places of Worship Act) को बनाए रखने के लिए भी कोर्ट में हस्तक्षेप किया है, क्योंकि यह धार्मिक सद्भाव और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का एक मूलभूत स्तंभ है।
राज्यसभा में बिल पारित होने के समय नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने इस विधेयक पर सख्त आपत्ति जताई। उन्होंने इसे मुसलमानों के खिलाफ और अल्पसंख्यकों (Minorities) को तंग करने वाला कदम बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक ऐसा माहौल बना रही है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय पर दबाव डाला जा सके।
खरगे ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से अपील की कि इस विधेयक को प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं और इसे वापस लें। उन्होंने कहा कि “जिसकी लाठी, उसकी भैंस” जैसी सोच लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। यह विधेयक भले ही दान से संबंधित हो, लेकिन इसके माध्यम से अल्पसंख्यकों के हक छीने जा रहे हैं।
उन्होंने सरकार पर पसमांदा मुसलमानों (Pasmanda Muslims) और महिलाओं के हित की बात करके केवल दिखावा करने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने बताया कि सरकार लगातार अल्पसंख्यक मंत्रालय (Minority Affairs Ministry) के बजट में कटौती करती आ रही है, जिससे उसकी मंशा साफ दिखाई देती है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर राजनीतिक विवाद और कानूनी लड़ाई अभी और तेज़ होने वाली है। कांग्रेस इस विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी है और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देकर इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाने जा रही है।