चंडीगढ़, 14 जून
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ हुई बयानबाजी को लेकर आलाकमान ने पूरी तरह से सख्त रूख अपना लिया है। कांग्रेस आलाकमान ने जाखड़ की प्रधानी छीनने का मन बना लिया है। जल्द ही इस कार्रवाई की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। विधायक परगट सिंह भी इस कार्रवाई की जद में आएंगे, क्योंकि उन्होंने भी बयानबाजी को लेकर कोई भी कसर बाकी नहीं रखी।
पूरे मामले में संज्ञान सोनिया गांधी की ओर से ही लिया जाना है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि इससे पहले भी पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह हुई है, उसका खामियाजा सुनील जाखड़ को ही भुगतना पड़ा। वह कैप्टन खेमे के करीब माने जाते रहे हैं। कैप्टन-सिद्धू विवाद में बलि का बकरा एक बार फिर से सुनील जाखड़ के बनने की चर्चा है। यह चर्चा पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के अपने ही बयान से शुरू हुई है, जो उन्होंने शुक्रवार को दिया था। आज भी उन्होंने कहा कि वह कुर्सी से लिपटे हुए नेता नहीं हैं। अगर उनको हटाए जाने से पार्टी मजबूत होती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। पार्टी हाई कमान कोई चीज अधर में न लटकाए। कोई न कोई फैसला कर दिया जाना चाहिए।
पंजाब कांग्रेस की अंतर्कलह को लेकर पार्टी आलाकमान को तीन सदस्यीय कमेटी की तरफ से रिपोर्ट सौंप दी गई है। रिपोर्ट की फाइल सोनिया गांधी के पास है और वह कमेटी के सदस्यों से इस मामले में विचार-विमर्श भी कर चुकी हैं। राहुल गांधी भी कमेटी सदस्यों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं और हर पहलू पर चर्चा कर रहे हैं। पंजाब प्रभारी हरीश रावत भी संगठन के सभी पहलुओं की जानकारी राहुल तक पहुंचा रहे हैं।
रविवार को राहुल गांधी से कमेटी के तीनों सदस्यों मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब प्रभारी हरीश रावत और जेपी अग्रवाल ने मुलाकात की। इस दौरान सदस्यों को साफ संकेत दिए कि पंजाब में पार्टी अनुशासन तोड़ने वाले किसी भी नेता को बख्शा नहीं जाएगा। इस सियासी मुलाकात में यह तय हो गया है कि पार्टी की अंतर्कलह में पंजाब के प्रधान सुनील जाखड़ एक बार फिर अपनी कुर्सी गंवाएंगे।
कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ के शुक्रवार को दिए गए बयान के बाद इस बात की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि यदि उनके हटने से पंजाब में कांग्रेस मजबूत होती है तो वह इस बलिदान के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। आलाकमान की इस कार्रवाई की जद में पार्टी विधायक परगट सिंह भी आएंगे। उनके खिलाफ भी आलाकमान मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी पर कोई बड़ा फैसला ले सकता है।
2017 में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रताप सिंह बाजवा की खींचतान में भी सुनील जाखड़ को विपक्ष के नेता की कुर्सी गंवानी पड़ी थी। उस समय पार्टी की कलह को खत्म करने के लिए प्रताप सिंह बाजवा को प्रधान पद से हटाकर कैप्टन को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया था। इस मुहिम में सुनील जाखड़ को नेता प्रतिपक्ष का पद गंवाना पड़ा था।