The News Air – (चंडीगढ़) पंजाब कैबिनेट की बैठक मंगलवार सायं 4:00 बजे चंडीगढ़ में होगी। बैठक में सरकार कर्मचारियों को बड़े तोहफ़े दे सकती है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी बैठक में लिए गए फ़ैसलों की जानकारी देने के लिए पत्रकारवार्ता करेंगे।
पंजाब सरकार को काफ़ी समय से कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। नौबत अब यहां तक आ गई है कि CM के कार्यक्रमों में भी कर्मचारी विरोध करने पहुंच जाते हैं। मंत्रियों के घरों का घेराव भी आम हो गया है। कर्मचारी मांगे मनवाने के लिए पानी की टंकियों पर चढ़े हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी कर्मचारियों के आंदोलन को हवा दे चुके हैं। चुनाव में अब समय कम है, इसको देखते हुए कांग्रेस सरकार विरोध को रोकने की क़वायद में लगी है।
पंजाब कैबिनेट की बैठक में कर्मचारियों की मांगों पर भी मुहर लग सकती है। काफ़ी दिनों से विभिन्न सरकारी विभागों के कच्चे ठेके पर काम करने वाले कर्मचारी, लागू किए गए छठे वेतन आयोग की विसंगतियों और पेंशन इत्यादि की मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। कर्मचारियों की हड़ताल से चुनाव के इस सीजन में लोगो में संदेश कुछ अच्छा नही जा रहा है।
सरकार ने कर्मचारियों के धरने प्रदर्शन को समाप्त करवाने के लिए ही इस बार की कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के मुद्दों को शामिल किया है। मुख्यमंत्री ने ख़ुद कई कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों से बैठकें की थी, वहीं पर मंत्रियों और अधिकारियों से भी कर्मचारी संगठनों की वार्ताएं हुई थी।
उन्हीं वार्ताओं के आधार पर कर्मचारियों की जायज़ मांगों पर मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में मुहर लग सकती है। जालंधर आए डिप्टी सीएम ओपी सोनी ने भी पत्रकार वार्ता के दौरान कहा था कि स्वास्थ्य विभाग के जो कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं, उनकी समस्याओं का निवारण किया जा रहा है।
दरअसल सबसे बड़ा पेंच अभी हाल में आई कर्मचारी नियमितीकरण पॉलिसी को लेकर फंसा हुआ है। सरकार कह रही है कि वह 36 हज़ार कर्मचारियों को रेगुलर करने जा रही है। जबकि कर्मचारी संगठनों के नेताओं का कहना है कि जो बिल विधानसभा में पास होने के बाद क़ानून बन चुका है, उसके अनुसार यदि 36 सौ कर्मचारी भी रेगुलर हो जाएंगे तो यह भी बड़ी बात होगी।
कर्मचारियों का कहना है कि पंजाब सरकार ने जो एंप्लाइज रेगुलराइजेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट बनाया है उसमें ऐसी ऐसी शर्ते रख दी गई हैं जो कि कर्मचारियों के नियमितीकरण में रोड़ा बनकर खड़ी हो गई है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि नए बनाए गए क़ानून में पहली शर्त रखी गई है की केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में काम करने वाले कर्मचारियों को सरकार रेगुलर नहीं कर सकती।
इसके अलावा बोर्डों निगमों के कर्मचारी भी नए क़ानून में नियमितीकरण से बाहर हो जाएंगे। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि राज्य में अपने तो कोई प्रोजेक्ट है नहीं बल्कि जितनी भी योजनाएं चल रही है बस अब सेंटर से आ रहे फंडों पर चल रही है। कैबिनेट बैठक में वेतन विसंगतियों पर भी सरकार कोई बड़ा फ़ैसला ले सकती है।