Election Commission Petition Dismissed by CJI : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग (Election Commission) की मतगणना प्रक्रिया को लेकर दायर एक अपील को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि एक ही मामले पर बार-बार सुनवाई नहीं की जा सकती। मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India – CJI) संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार (7 अप्रैल) को याचिकाकर्ता हंसराज जैन (Hansraj Jain) की अर्जी पर सुनवाई करते हुए तीखी टिप्पणी की।
PSU Oil Marketing Companies have informed that there will be no increase in retail prices of #Petrol and #Diesel, subsequent to the increase effected in Excise Duty Rates today.#MoPNG
— Ministry of Petroleum and Natural Gas #MoPNG (@PetroleumMin) April 7, 2025
CJI खन्ना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अदालत इस मामले पर पहले ही निर्णय दे चुकी है और अब दोबारा इस पर सुनवाई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, “हम बार-बार इस मुद्दे में उलझे नहीं रह सकते।” इस टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।
हंसराज जैन ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वर्तमान मतगणना प्रणाली (Counting System) पारदर्शिता से दूर है और इसमें बदलाव की आवश्यकता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि ईवीएम (EVM) और वीवीपीएटी (VVPAT) से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी गलत है।
जैन ने अदालत के समक्ष कहा कि आयोग ने पहले दावा किया था कि यदि सभी ईवीएम का वीवीपीएटी पर्चियों से मिलान किया जाए, तो उसमें 12 दिन लगेंगे, जबकि वे स्वयं 48 घंटे में यह कार्य कर सकते हैं। जब चुनाव आयोग ने उनकी आपत्तियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो उन्होंने हाई कोर्ट (High Court) में याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह अपील खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने स्पष्ट किया कि इससे पहले भी वर्ष 2024 में इसी मुद्दे पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms – ADR) की याचिका को खारिज किया जा चुका है। ADR ने भी 100% वीवीपीएटी मिलान की मांग की थी, जिसे न्यायालय ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि इससे चुनावी प्रक्रिया (Electoral Process) पर अनावश्यक संदेह उत्पन्न होता है।
तत्कालीन पीठ में शामिल जस्टिस दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) और जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा था कि चुनाव आयोग की मौजूदा व्यवस्था पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष (Free and Fair) है। आयोग ने बताया था कि हर विधानसभा क्षेत्र के पांच मतदान केंद्रों में रैंडम तरीके से वीवीपीएटी पर्चियों का सत्यापन किया जाता है, जो कि पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाता है।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ संदेश दिया है कि बार-बार एक ही मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा और इससे लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख पर भी असर पड़ता है।