चीन ने साफ कर दिया है कि भारत, रूस और चीन अब सिर्फ पड़ोसी नहीं, बल्कि एक ऐसी ताकत हैं जो दुनिया की दिशा तय करेंगे।
अमेरिका के लिए खतरे की घंटी
चीन के इस बयान को अमेरिका के लिए एक ‘कड़वी गोली’ माना जा रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत, चीन और रूस ‘ब्रिक्स’ (BRICS) के सबसे ताकतवर देशों में से हैं। जैसे-जैसे ब्रिक्स मजबूत हो रहा है, अमेरिका दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है।
माना जा रहा है कि जब से डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की कमान संभाली है, उनके कई फैसलों—खासकर टैरिफ नीतियों—ने दुनिया को बांट दिया है। इसी का नतीजा है कि अब भारत, रूस और चीन एक-दूसरे के बेहद करीब आ रहे हैं। ब्राजील भी इस कड़ी में जुड़ रहा है।
चीन, रूस और भारत: ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुज जियाकुन ने मीडिया से बातचीत में एक बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि भारत, चीन और रूस के बीच मजबूत त्रिपक्षीय रिश्ते (Trilateral Relations) न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए, बल्कि पूरी दुनिया की स्थिरता (Global Stability) के लिए जरूरी हैं।
चीन का मानना है कि ये तीनों देश उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं और ‘ग्लोबल साउथ’ की सबसे अहम आवाज हैं। इनका साथ आना वैश्विक सुरक्षा, विकास और समृद्धि में बड़ा योगदान देगा। यह बयान सीधे तौर पर अमेरिका के एकाधिकार को चुनौती देता है।
सुधर रहे हैं भारत-चीन रिश्ते
यह बयान इसलिए भी खास है क्योंकि 2020 में गलवान घाटी की घटना के बाद से भारत और चीन के रिश्ते तल्ख थे। लेकिन अब हवा का रुख बदल रहा है। पिछले दिनों चीनी विदेश मंत्री भारत आए थे और रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एससीओ समिट (SCO Summit) में शामिल होने चीन पहुंचे थे।
चीन अब भारत के साथ रिश्तों को रणनीतिक और दीर्घकालिक (Long-term) नजरिए से देखने की बात कर रहा है। बीजिंग का कहना है कि वह भारत के साथ संबंधों को स्थिर और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि दोनों देशों के लोगों को इसका वास्तविक लाभ मिल सके।
पुतिन का इंटरव्यू और ‘पक्के दोस्त’
भारत आने से पहले व्लादिमीर पुतिन ने एक इंटरव्यू में भारत और चीन को रूस का ‘सबसे करीबी मित्र’ बताया था। उन्होंने भरोसा जताया था कि दोनों देश अपने आपसी विवाद खुद सुलझा लेंगे। चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी पुतिन के इस बयान को प्रमुखता से छापा।
खास बात यह है कि जब अमेरिका ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर आलोचना की थी, तो पुतिन ने उसका बचाव किया था। चीन ने पुतिन के इस रुख का भी समर्थन किया है।
व्यापार का नया लक्ष्य: 100 अरब डॉलर
पुतिन की इस यात्रा (4-5 दिसंबर) के दौरान भारत और रूस के बीच व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और निवेश पर कई अहम समझौते हुए। दोनों देशों ने साल 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
यह कदम इसलिए भी जरूरी है क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का टैरिफ लगाया है, जिससे अमेरिका के साथ व्यापार प्रभावित हुआ है। ऐसे में भारत अब रूस जैसे भरोसेमंद साथियों के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को नया आयाम दे रहा है।
‘मुख्य बातें (Key Points)’
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चीन का बयान: भारत, रूस और चीन का साथ आना वैश्विक स्थिरता के लिए अनिवार्य है।
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अमेरिका को झटका: ट्रंप की नीतियों के कारण ये तीनों देश और करीब आ रहे हैं।
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पुतिन का रुख: भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया।
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व्यापार लक्ष्य: भारत और रूस ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य रखा।






