चीन फिर करेगा खुराफात, LAC पर क्या है स्थिति?

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नई दिल्ली, 01 अक्टूबर,(The News Air): भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने एलएसी पर स्थिति को लेकर कहा कि डिप्लोमेटिक साइड से पॉजिटिव सिगनल आ रहे हैं लेकन जब उसे ग्राउंड पर लागू करना होता है तो यह दोनों तरफ से मिलिट्री कमांडर देखते हैं। उन्होंने कहा कि एलएसी पर स्थिति स्टेबल है लेकिन सामान्य नहीं हैं और सेंसेटिव है।

सबसे ज्यादा नुकसान भरोसे का

चाणक्य डिफेंस डायलॉग में आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि चीन के साथ कंपीट करना, कोऑपरेट करना, कोएक्जिस्ट करना और कंफ्रंट और कंटेस्ट करना होता है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जो स्थिति अप्रैल 2020 से पहले थी वह वापस आए, चाहे वह ग्राउंड में कौन कहां था उस पर हो या फिर बफर जोन या पेट्रोलिंग को लेकर हो। जब तक वह नहीं हो जाता तब तक हमारे लिए स्थिति सेंसेटिव रहेगी और हम किसी भी ऑपरेशन के लिए पूरी तरह तैयार हैं, चाहे जो भी स्थिति आए हम उसका मुकाबला कर सकते हैँ। उन्होंने कहा कि इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा नुकसान भरोसे का हुआ है। उन्होंने कहा कि कई मसले जिन्हें सुलझाना आसान था वह सुलझ गए हैँ। जहां स्थिति ज्यादा मुश्किल है, जहां दोनों साइड का अपना अपना परसेप्शन है, वहां बात चल रही है। जनरल द्विवेदी ने कहा कि दोनों देशों के डिप्लोमेटिक साइड से कुछ पॉजिटिव इंडिकेशन दिए गए हैं, मिलिट्री साइड साथ बैठकर बात करेंगे कि कैसे इसे जमीन पर उतारा जा सकता है। जब यह बातचीत होगी तब डेपसांग, डेमचॉक सहित नॉर्दन फ्रंट के हर पहलू पर बात होगी।

चीनी विलेज को लेकर भी सतर्क

चीन ने एलएसी के दूसरी तरफ अपने कई गांव बनाएं हैं जिन्हें लेकर भारतीय सेना शुरू से ही सतर्क रही है। इस बारे में सेना प्रमुख ने कहा कि तिब्बत और चीन की आबादी एलएसी के पास नहीं है। वे आर्टिफिशियल इमिग्रेशन कर रहे हैं, उनका देश है वे जो चाहें कर सकते हैं लेकिन हमने देखा कि साउथ चाइन सी में क्या होगा। ग्रे जोन में पहले मछुवारे आए, फिर उन्हें बचाने के लिए मिलिट्री आती है। इसके पीछे एक बड़ा डिजाइन है उसे हमें देखना होगा। उन्होंने कहा कि भारत के भी मॉडल विलेज हैं। राज्य सरकार, आर्मी और केंद्र सरकार मिलकर काम कर रही है और जो हमारे मॉडल विलेज हैं वे ज्यादा बेहतर होंगे।

जम्मू की क्या स्थिति

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आर्टिकल 370 हटने के बाद यह साफ स्थिति आई कि भारत के लिए जम्मू-कश्मीर के क्या मायने हैं और जम्मू-कश्मीर के लिए भारत के क्या मायने हैँ। अमरनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ी, पर्यटकों की संख्या बढ़ी और खूब विकास हुआ। उन्होंने कहा कि इस साल अब तक आतंकी संगठनों में सिर्फ दो लोग रिक्रूट हुए जबकि पहले 200-300 होते थे। उन्होंने कहा कि हमारा ज्यादा फोकस सर्दन कश्मीर में था तो आतंकियों ने उन जगहों पर फोकस किया जहां हम ज्यादा शांति-समृद्धि देख रहे थे। उन एरिया में फॉरेन टेररिस्ट आए। हमने सेना की तैनाती में बदलाव किया और पुलिस में भी पुनर्गठन किया गया। सब मिलकर काम कर रहे हैं।

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