K-4 Ballistic Missile Test – भारत ने अपनी सामरिक ताकत का एक ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसने पड़ोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसेना ने अपनी सबसे घातक और गोपनीय K-4 Ballistic Missile का सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया है। खास बात यह है कि यह परीक्षण ठीक उसी वक्त किया गया जब चीन का एक जासूसी जहाज उसी क्षेत्र में निगरानी कर रहा था।
23 दिसंबर 2025 को भारत ने एक बेहद गोपनीय मिशन को अंजाम दिया। आमतौर पर किसी भी मिसाइल टेस्ट से पहले ‘नोटम’ (NOTAM – Notice to Airmen) जारी किया जाता है, लेकिन इस बार गोपनीयता बनाए रखने के लिए इसे रद्द कर दिया गया था। इसका मकसद था चीन के निगरानी जहाजों को चकमा देना। और भारत इसमें पूरी तरह कामयाब रहा। आईएनएस अरिघात (INS Arighaat) पनडुब्बी से दागी गई इस मिसाइल ने पानी के भीतर से निकलकर आसमान को चीरते हुए अपने लक्ष्य को भेदा।
चीन के जासूस को भारत का ‘सरप्राइज’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिस समय बंगाल की खाड़ी में यह टेस्ट हुआ, वहां चीन का एक सर्विलांस शिप (निगरानी जहाज) मौजूद था। चीन की मंशा भारत की गतिविधियों पर नजर रखने की थी, लेकिन भारतीय नौसेना ने बड़ी चतुराई से इस मिशन को अंजाम दिया। यह टेस्ट केवल एक तकनीकी सफलता नहीं है, बल्कि चीन के लिए एक सीधा सामरिक संदेश है कि भारत अब अपनी समुद्री सीमाओं में किसी भी चुनौती का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
K-4 मिसाइल: समंदर के अंदर से तबाही
K-4 एक सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, जिसे DRDO ने विशेष रूप से अरिहंत क्लास की परमाणु पनडुब्बियों के लिए तैयार किया है। इसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर से ज्यादा है, जिसका मतलब है कि भारत अब समुद्र के बीचों-बीच से भी दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना लगा सकता है। 17 टन वजनी और 12 मीटर लंबी यह मिसाइल अपने साथ 2 टन तक का परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। इसमें ‘कोल्ड लॉन्च सिस्टम’ लगा है और यह हवा में अपना रास्ता बदलने (3D maneuvering) में भी सक्षम है, जिससे इसे इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
पाकिस्तान और चीन में खलबली क्यों?
इस परीक्षण के बाद पाकिस्तान और चीन की चिंता बढ़ना लाजमी है। भारत की ‘न्यूक्लियर ट्राइड’ (जल, थल और नभ से परमाणु हमला करने की क्षमता) अब और भी मजबूत हो गई है। यह मिसाइल भारत को ‘सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी’ (Second Strike Capability) प्रदान करती है। इसका अर्थ है कि अगर दुश्मन भारत पर पहले परमाणु हमला करता है, तो समुद्र में छिपी भारतीय पनडुब्बियां इस मिसाइल से पलटवार कर दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकती हैं।
विश्लेषण: भारत का ‘अंडरवॉटर ब्रह्मास्त्र’
एक वरिष्ठ संपादक के तौर पर इस घटना का विश्लेषण करें, तो यह भारत की रक्षा नीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। अब तक भारत जमीन से मार करने वाली अग्नि सीरीज की मिसाइलों पर निर्भर था, लेकिन K-4 के सफल परीक्षण ने भारत को समुद्र में अजेय बना दिया है। चीन हिंद महासागर में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, ऐसे में K-4 मिसाइल एक ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। यह परीक्षण बताता है कि भारत अब डिफेंसिव नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक ऑफेंसिव की क्षमता रखता है।
पृष्ठभूमि
K-4 मिसाइल का विकास पिछले कई सालों से चल रहा था। इससे पहले इसके कई परीक्षण पानी के नीचे बने प्लेटफार्म (Submersible Pontoons) से किए गए थे। लेकिन नवंबर 2024 में इसे पहली बार असली पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से दागा गया था और अब यह परीक्षण इसकी परिचालन क्षमता (Operational Capability) पर अंतिम मुहर लगाता है।
मुख्य बातें (Key Points)
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K-4 Ballistic Missile Test: भारत ने 3500 किमी रेंज वाली परमाणु सक्षम मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
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Launch Platform: मिसाइल को परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से दागा गया।
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Secret Mission: चीन के जासूसी जहाज को चकमा देने के लिए बिना शोर-शराबे के टेस्ट किया गया।
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Strategic Impact: भारत की सेकंड स्ट्राइक क्षमता मजबूत हुई, दुश्मन के रडार और डिफेंस सिस्टम को भेदने में सक्षम।






